क्या 10 वर्ष पहले सोचा जा सकता था कि भारत एक दिन ब्रिटेन को पीछे छोड़ दुनिया की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा? लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज यह स्थिति साकार हो चुकी है। 2014 में तो वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत 10वें नंबर पर था, फिर आज ब्रिटेन को पछाड़कर विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना क्या ऐसे ही हो गया है? वस्तुतः यह मोदी की नीति, नीयत और नेतृत्व का ही परिणाम है।
एक खेमे में की तरफ से कहा जा रहा था कि 15 अगस्त को दिया गया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण लाल किले की प्राचीर से उनका आखिरी भाषण होगा। इन बातों का उत्तर प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में ही दे दिया। तकनीकी रूप से जरूर यह उनके दूसरे कार्यकाल का आखिरी संबोधन था, लेकिन भाषण के दौरान जब प्रधानमंत्री ने ये कहा कि अगले वर्ष वो दोबारा लाल किला पर झण्डा फहराएँगे, तो इसका सीधा आशय यही था कि उन्हें देश के नागरिकों पर अटूट भरोसा है और वो जानते हैं कि देश की जनता क्या चाहती है।
आपको याद होगा कि 2014 में नरेंद्र मोदी ने बदलाव के लिए वोट मांगा था, तब विपक्ष ने मोदी को क्या-क्या नहीं कहा और उनके विषय में कितने ही भ्रम फैलाने का प्रयास किया, लेकिन जनता जनार्दन ने परिवर्तन पर मुहर लगाते हुए एक “भ्रष्ट सरकार” को बाहर का रास्ता दिखाने में चूक नहीं की और अंततः नरेंद्र मोदी पूर्ण बहुमत से प्रधानमंत्री बने।
फिर 2019 में भी मोदी के खिलाफ झूठे आरोपों का पहाड़ खड़ा किया गया लेकिन जनता ने नरेंद्र मोदी को उनके परिश्रम और परफॉर्मेंस का इनाम देकर फिर से, 2014 से भी बड़े बहुमत के साथ, सरकार बनाने का जनादेश दे दिया।
अब 2024 भी दूर नहीं है। नरेंद्र मोदी उस मुकाम पर खड़े हैं जहां वो अपने लिए कुछ नहीं चाहते हैं। वो जो भी चाहते हैं देश के लिए। 140 करोड़ लोगों के लिए।
आप पूछेंगे कि मोदी देश को तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनाने का वादा कर रहे हैं, क्या ये प्राप्य है? वास्तव में, भारत तीसरी अर्थव्यवस्था बनेगा, ये वादा नहीं विश्वास है।
विचार तो इसपर भी होना चाहिए कि क्या 10 वर्ष पहले सोचा जा सकता था कि भारत एक दिन ब्रिटेन को पीछे छोड़ दुनिया की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा? लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज यह स्थिति साकार हो चुकी है। 2014 में तो वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत 10वें नंबर पर था, फिर आज ब्रिटेन को पछाड़कर विश्व की पाँचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना क्या ऐसे ही हो गया है? वस्तुतः यह मोदी की नीति, नीयत और नेतृत्व का ही परिणाम है।
पहले गरीबों का घर बनाने के लिए 90 हजार करोड़ खर्च होता था। आज चार लाख करोड़ खर्च हो रहे हैं। मोदी सरकार के पिछले साढ़े पांच साल के कार्यकाल में 13.50 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए।
सरकार की नीयत अगर सही हो तो सब कुछ मुमकिन है। देश एक निरंतरता की मांग कर रहा है। देश एक मजबूत सरकार की बात कर रहा है, जो देश के विकसित देशों के साथ कंधे से कंधा मिलकर खड़ा हो सके। इस अमृतकाल में क्या जनता चाहेगी कि देश की प्रगति किसी भी हालत में अवरुद्ध हो। कदापि नहीं।
आज देश रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म की बात कर रहा है। पीएम मोदी कहते हैं कि यह काम करने वाली सरकार है। यह नया भारत है, जो आत्मविश्वास से भरा हुआ है। यह संकल्पों को चरितार्थ करने वाला भारत है। यह भारत न रुकता है, न थकता है, न हांफता है, न ही हारता है।
2014 में और 2019 में भारत की जनता ने मजबूत सरकार ‘फॉर्म’ की, तो नरेंद्र मोदी ने ‘रिफॉर्म’ करने की संकल्प शक्ति दिखाई। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में तीन दशकों की अनिश्चितता और अस्थिरतता से मुक्ति मिली। भारत मोदी के कार्यकाल में सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय के रास्ते पर आगे बढ़ा, इसे और आगे बढ़ाया “राष्ट्र प्रथम” सोच की अभिव्यक्ति ने।
इन सब बातों ने मोदी की लोकप्रियता और उनके प्रति जनविश्वास को अत्यंत सुदृढ़ और गहरा किया है। इसी का परिणाम है कि आज मोदी लाल किले की प्राचीर से पूरे आत्मविश्वास के साथ यह कह रहे हैं कि अगले वर्ष वे पुनः झंडा फहराएँगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)