आम बजट में किये गये प्रावधानों से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने की प्रबल संभावना है। कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र, शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग क्षेत्र, प्रत्यक्ष एवं अ प्रत्यक्ष कर में राहत देने, रेलवे एवं कुछ अन्य क्षेत्रों में पीपीपी मॉडल अपनाने से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की संभावना है। अंतिम उपभोग व्यय में तेजी लाने से स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन आयेगा, जिसके लिये सरकार लगातार कोशिश कर रही है।
आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद के पटल पर बजट-2020-21 प्रस्तुत किया। इस बजट में समाज के प्रत्येक क्षेत्र तक पहुँचने की नीतिगत मंशा दिखाई देती है। यूँ तो यह बजट सबके लिए कुछ न कुछ लेकर आया है, फिर भी इसे मुख्यतः किसान केन्द्रित कहा जा सकता है।
आम बजट में वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुनी करने के लिये 16 बिन्दुओं को अमल में लाया जायेगा, जिसके तहत 100 जिलों में पानी की समस्या को दूर करने, अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिये 20 लाख किसानों द्वारा सोलर पंप लगाने के लिये प्रोत्साहित करने, किसानों की बंजर भूमि पर सौर पैनल इकाई लगाने सम्बन्धी बजटीय प्रवधान किए गए हैं।
साथ ही, एकीकृत कृषि प्रणाली, जीरो बजट एवं जैविक कृषि को बढ़ावा देने, नाबार्ड की किसानोन्मुख योजनाओं का विस्तार करने, वर्ष 2021 में 15 लाख करोड़ रुपए कृषि ऋण देने की व्यवस्था करने जैसी घोषणाएं भी बजट में की गयी हैं।
वहीं पशुधन के इलाज की व्यवस्था करने, दुग्ध उत्पादन को 53 मीट्रिक टन से 108 मीट्रिक टन करने तक ले जाने, मछली उत्पादन को वर्ष 2023 तक 200 लाख टन तक बढ़ाने के लक्ष्य को प्राप्त करने, दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा देने और 2.83 लाख करोड़ रुपए कृषि से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ाने के लिये, सिंचाई और ग्रामीण विकास पर खर्च करने आदि की व्यवस्था की जायेगी। जाहिर है, इस बजट में कृषि के सभी पक्षों को समाहित करने का प्रयास सरकार द्वारा किया गया है।
शिक्षा
एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2030 तक भारत में कामगारों की संख्या सबसे अधिक होगी। इसलिए, उस समय ज्यादा संख्या में रोजगार सृजन की जरूरत होगी। इस तथ्य को दृष्टिगत करते हुए जल्द ही नई शिक्षा नीति की घोषणा की जायेगी। प्रतिभाशाली शिक्षकों को बढ़ावा देने के लिए 150 शिक्षा संस्थानों के लिये नये पाठ्यक्रम शुरू किये जायेंगे।
शहरी निकाय नये इंजीनियरों को एक साल के लिए इंटर्नशिप देने के लिये कार्यक्रम शुरू करेंगे, जिससे उन्हें लंबित कार्यों को निपटाने में मदद मिलेगी। पुलिस अपने कार्यों को बेहतर तरीके से कर सकें के लिये राष्ट्रीय पुलिस विश्वविधालय और राष्ट्रीय फॉरेंसिक विज्ञान विश्वविधालय की स्थापना की जायेगी।
शिक्षा के क्षेत्र को विकसित करने के लिये वित्त वर्ष 2020-21 में शिक्षा पर 99,300 करोड़ रुपए खर्च किए जायेंगे। रोजगार सृजन के लिये कौशल विकास पर ध्यान देना जरूरी है। इसलिए, इस मद में 3000 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है।
शिक्षा के क्षेत्र में पूँजी की कमी को दूर करने के लिये सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दी जायेगी। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में साक्षरता दर बढ़ाने के लिये ग्रामीण और दूर-दराज के छात्रों के लिये ऑनलाइन माध्यम से डिग्री स्तर की शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा दी जायेगी।
स्वास्थ्य
डॉक्टरों की देश में भारी कमी है। इसके लिये बड़े मेडिकल कालेज में पीजी डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किये जायेंगे। पीपीपी मॉडल के तहत नये मेडिकल कॉलेज खोलने का प्रस्ताव है, जिसके लिये उन्हें किफायती दरों पर जमीन मुहैया कराई जाएगी।
देश में नर्स एवं पैरा मेडिकल स्टाफों की भर्ती करने का भी प्रस्ताव है। देश के 112 जिलों में आयुष्मान भारत योजना को लागू करने में प्राथमिकता दी जायेगी, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार सृजन होने का अनुमान है।
बजट में 2025 तक टीबी की बीमारी को पूरी तरह से समाप्त करने की घोषणा की गई है। यह एक गंभीर बीमारी है, जिसका जड़ से खात्मा करना जरूरी है और बजट में इस तरह लक्ष्य रखा जाना इसके प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाता है।
जन औषधि केंद्रों के खोले जाने से आम लोगों को बहुत राहत मिला है। इसके माध्यम से जेनरिक या सस्ती दवा लोगों को उपलब्ध कराई जा रही है। वर्ष 2024 तक देश के हर जिले में जन औषधि केंद्रों को खोलने का प्रस्ताव है। स्वास्थ्य क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिये 69 हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
स्वास्थ्य सेवा को कारगर बनाने के लिये आयुष्मान भारत योजना के तहत आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे मरीजों का इलाज करना आसान हो जायेगा।
स्वास्थ्य क्षेत्र में चिकित्सा से इतर रोगों को रोकने के लिए स्वच्छता की महती आवश्यकता है। इसके लिये स्वच्छ भारत मिशन के लिए 12,300 करोड़ रुपए और जल जीवन मिशन के लिए 11,500 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है।
कर में छूट
आयकर स्लैब में बदलाव से 15 लाख रूपये तक की आय वालों को ज्यादा फायदा मिलेगा। नये आयकर संरचना को वैकल्पिक बनाया गया है। अब करदाता नए या पुराने दोनों में से किसी भी स्लैब के अनुसार कर का भुगतान कर सकेगा। जिन करदाताओं को निवेश में छूट चाहिए, वे कर स्लैब के हिसाब से आयकर दे सकेंगे। हाँ, नई संरचना में भी 5 लाख तक की आय पर किसी तरह का कर नहीं देना होगा। इस संरचना को निम्नवत प्रकार से समझा जा सकता है :
अब विवादों की स्थिति में करदाता व्यक्तिगत उपस्थिति के बिना अपील कर 31 मार्च, 2021 तक गृह ऋण लेने वालों को भी कर में छूट मिलेगा। विवाद में फंसे कर के 31 मार्च 2020 तक भुगतान पर जुर्माना ब्याज नहीं दिया जायेगा।
बैंकिंग क्षेत्र में सुधार
बैंकों को बजट-2020-21 में अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाने के लिये तीन लाख पचास हजार करोड़ रूपये देने की घोषणा की गई है, जिससे कमजोर बैंकों को अपने प्रदर्शन में सुधार लाने में मदद मिलेगी साथ ही साथ उन्हें अपनी वित्तीय गतिविधियों में पारदर्शिता लाने एवं प्रतिस्पर्धी होने में मदद मिलेगी।
दरअसल, सरकार वित्तीय क्षेत्र को भरोसेमंद और मजबूत बनाना चाहती है। इसी मकसद से कुछ सरकारी बैंकों का विलय किया गया है। सरकार का मानना है कि बड़े बैंक होने से बैंकों को पूँजी की कमी नहीं होगी। सरकार, सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों पर निगरानी की व्यवस्था को और भी मजबूत बनाना चाहती है, ताकि लोगों की जमा पूँजी सुरक्षित रहे।
वित्त मंत्री ने आईडीबीआई बैंक में सरकार की हिस्सेदारी को कम करने की भी घोषणा की है। इससे सरकार को विनिवेश लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी साथ ही साथ बैंक को बैंकिंग गतिविधियों में तेजी लाने में भी आसानी होगी।
बैंकिंग क्षेत्र से जुड़ी एक महत्वपूर्ण घोषणा बैंक जमा पर गारंटी सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रूपये करना है। इस सीमा में बढ़ोतरी की माँग बैंक खाताधारक एक लंबे समय से कर रहे थे, लेकिन पीएमसी घोटाले के बाद इसमें विशेष तेजी आई थी। अब यदि कोई बैंक डूबता है तो बैंक खाते में जमा 5 लाख रूपये तक की राशि सुरक्षित रहेगी।
इस घोषणा से निवेशकों का बैंकों पर भरोसा बढ़ेगा और बैंकों को सस्ती पूँजी की किल्लत भी नहीं होगी। गौरतलब है कि अभी तक डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट 1961 के तहत बैंक में जमा राशि में से कुल 1 लाख रूपये तक की राशि सुरक्षित होती है।
अप्रत्यक्ष रूप से भी बैंकों के कारोबार में बढ़ोतरी के लिये बजट में अनेक प्रावधान किये गये हैं। वर्ष 2021 में 15 लाख करोड़ रुपए की राशि कृषि ऋण के लिए रखे गए हैं। मछली और पशुपालन, अक्षय ऊर्जा, स्मार्ट सिटी, विनिर्माण, कौशल विकास आदि के लिये बजट में प्रावधान किये गये हैं। इससे बैंकों को अपने क्रेडिट ग्रोथ बढ़ाने में मदद मिलेगी।
वर्ष 2019 के दौरान इसमें 7.9 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है, जबकि वर्ष 2018 के दौरान इसमें 15.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। भारत को 2024 तक 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिये बैंकिंग क्रेडिट को मौजूदा स्तर से दोगुना करना जरूरी भी है।
कॉरपोरेटस को राहत
बजट में कॉरपोरेटस को लाभांश वितरण कर (डीडीटी) से राहत देने की घोषणा की गई है। लाभांश कर की व्यवस्था के तहत पहले कंपनियां अपने शेयरधारकों को जो लाभांश देती थीं, उस पर उन्हें लाभांश वितरण कर देना होता था। अब उन्हें लाभांश वितरण कर नहीं देना होगा। कंपनियों को अभी लाभांश वितरण पर 220.35 प्रतिशत अतिरिक्त कर देना होता था, जिसमें सेस और सरचार्ज भी शामिल होता था। इस वजह से कंपनियां शेयरधारकों को कम कर दे पाती थीं। अब कर से छूट मिलने पर वे अधिक लाभांश दे पायेंगी।
इससे निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश करने की प्रेरणा मिलेगी। सनद रहे कि कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर को पहले ही 35 प्रतिशत से कम करके 22 प्रतिशत कर दिया गया है। अब नये विनिर्माण कंपनियों के लिए शर्तों के साथ कॉरपोरेट कर को घटाकर 15 प्रतिशत करने का भी प्रस्ताव है।
रेलवे के लिये प्रावधान
रेलवे की कम आय को देखते हुए सौर ऊर्जा के जरिये आय अर्जित करने का प्रस्ताव है। इसके लिये रेलवे की जमीन का इस्तेमाल किया जाएगा। तेजस जैसी 150 ट्रेनें चलाने का भी प्रस्ताव है। इस ट्रेन को देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों से जोड़ा जाएगा।
वित्त मंत्री के अनुसार वर्ष 2024 तक सभी रेलें बिजली से चलने लगेंगीं। इसके लिये 27000 किलोमीटर ट्रैक का विद्युतीकरण किया जायेगा। पीपीपी मॉडल के माध्यम से 4 स्टेशनों और 150 यात्री ट्रेनों का संचालन करने का भी प्रस्ताव है।
जीएसटी से लाभ
बजट भाषण में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से हुए लाभों को स्पष्ट करते हुए बताया गया कि इससे कर प्रणाली में पारदर्शिता आई है और इसकी वजह से 2 सालों में 60 लाख नये करदाता जुड़े हैं। भले ही इससे अभी अपेक्षित कर संग्रह नहीं हो रहा है, लेकिन आगामी दिनों में कर संग्रह में तेजी आने का अनुमान है।
भ्रष्टाचार में कमी
बजट में यह भी कहा गया है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में भ्रष्टाचार में भी कमी आई है। है। पहले 100 रूपये में 50 रूपये ही लाभार्थियों तक पहुंच पाता था, लेकिन अब प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के जरिये पूरे 100 रूपये लाभार्थियों को मिल रहे हैं।
निष्कर्ष
कहा जा सकता है कि आम बजट में किये गये प्रावधानों से अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने की प्रबल संभावना है। कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र, शिक्षा, स्वास्थ्य, बैंकिंग क्षेत्र, प्रत्यक्ष एवं अ प्रत्यक्ष कर में राहत देने, रेलवे एवं कुछ अन्य क्षेत्रों में पीपीपी मॉडल अपनाने से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की संभावना है। अंतिम उपभोग व्यय में तेजी लाने से स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन आयेगा, जिसके लिये सरकार लगातार कोशिश कर रही है।
राजस्व संग्रह में बढ़ोतरी के लिये सरकार भारतीय जीवन बीमा और आईडीबी आई बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचेगी। जीएसटी से भी आगामी महीनों में राजस्व बढ़ने की उम्मीद है साथ ही साथ दूसरों करों से भी राजस्व संग्रह में इजाफा होने की उम्मीद है। कुल मिलाकर यह बजट देश के कमजोर वर्गों को मजबूती देने के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी आगे ले जाने वाला है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)