प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि इस साल के बजट में सभी वर्गों के सहूलियतों का ध्यान रखा जाये। बजट सभी की उम्मीदों के मुताबिक हो, इसके लिये बजट पेश करने से पहले भाजपा सभी वर्गों के प्रतिनिधियों से सुझाव ले रही है। भाजपा विगत 15 दिनों से समाज के हर वर्ग के प्रतिनिधियों के साथ सलाह-मशवरा कर रही है। पार्टी मुख्यालय में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पार्टी के राष्ट्रीय महासचिवों सहित सभी मोर्चा के प्रभारियों व प्रवक्ताओं के साथ बैठक कर बजट से संबंधित सुझाव ले रही हैं। वित्त मंत्री हर बैठक में विविध वर्गों के प्रतिनिधियों एवं संबंधित व्यक्तियों से पूछ रही हैं कि वे बजट में क्या चाहते हैं।
वित्त वर्ष 2020-21 का आम बजट 1 फरवरी को पेश किया जाने वाला है और बजट पेश करने से एक दिन पहले यानी 31 जनवरी को “आर्थिक सर्वे” जारी किया जायेगा। वित्त वर्ष 2015-16 के बाद ऐसा पहली बार होगा, जब आम बजट शनिवार को पेश किया जायेगा। मोदी सरकार ने निर्णय लिया है कि अब हर साल 1 फरवरी को बजट पेश किया जायेगा। इससे पहले फरवरी के अंतिम सप्ताह में बजट पेश किया जाता था। अपने पहले कार्यकाल में मोदी सरकार ने आम बजट एक महीने पहले पेश करने का फैसला किया था।
वित्त वर्ष 2017-18 का बजट 1 फरवरी को पेश किया गया था। उसके बाद से 1 फरवरी को बजट पेश करने की परंपरा शुरू हो गई। फरवरी के शुरुआत में बजट पेश करने का उद्देश्य यह है कि 31 मार्च तक खर्च से संबंधित सारे आकलन पुरे कर लिये जाएँ। पहले रेल बजट और आम बजट अलग-अलग पेश किया जाता था, लेकिन अब दोनों बजट एक साथ पेश किए जाते हैं।
गौरतलब है कि वित्त मंत्रालय ने 14 अक्टूबर से वित्त वर्ष 2020-21 के बजट की तैयारियां शुरू की थी। इसके लिये संबंधित विभागों और मंत्रालयों के साथ कई बैठकें की गई हैं और व्यय सचिव द्वारा अन्य सचिवों और वित्तीय सलाहकारों के साथ गहन विमर्श के बाद बजट को अंतिम रूप दिया जाने वाला है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि इस साल के बजट में सभी वर्गों के सहूलियतों का ध्यान रखा जाये। बजट सभी की उम्मीदों के मुताबिक हो, इसके लिये बजट पेश करने से पहले भाजपा सभी वर्गों के प्रतिनिधियों से सुझाव ले रही है। भाजपा विगत 15 दिनों से समाज के हर वर्ग के प्रतिनिधियों के साथ सलाह-मशवरा कर रही है। पार्टी मुख्यालय में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पार्टी के राष्ट्रीय महासचिवों सहित सभी मोर्चा के प्रभारियों व प्रवक्ताओं के साथ बैठक कर बजट से संबंधित सुझाव ले रही हैं। वित्त मंत्री हर बैठक में विविध वर्गों के प्रतिनिधियों एवं संबंधित व्यक्तियों से पूछ रही हैं कि वे बजट में क्या चाहते हैं।
भाजपा मुख्यालय में सुबह 11 बजे से ऐसी बैठकें चल रही हैं। भाजपा विगत 15 दिनों के अंदर कारोबारियों, कारोबार से जुड़े महत्वपूर्ण संगठनों के कई पदाधिकारियों के साथ अब तक 6 से अधिक बैठकें कर चुकी है। ऐसी बैठकों को आयोजित करने की जिम्मेदारी भाजपा के आर्थिक मामलों के प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल को दी गई है।
ये सारी बैठकें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा-निर्देशों में चल रही हैं। ऐसे बैठकों में किसान, अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति आदि मोर्चे से जुड़े नेताओं से वित्त मंत्री मिल रही हैं। उनकी अपेक्षाओं से अवगत हो रही हैं। वे बजट में किसानों, अल्पसंख्यकों आदि समुदायों के मांगों के बारे में भी जानकारी ले रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी खुद भी बजट में सभी वर्गों को बराबर तवज्जो देने के लिये अर्थशास्त्रियों के साथ बैठक कर रहे हैं। सरकार चाहती है कि सबके सुझावों का समावेश करके “सबका साथ, सबका विकास” की संकल्पना को साकार करने के दिशा में बजट को तैयार किया जाये।
भाजपा को मिल रहे सुझावों के अनुसार वित्त मंत्री से इस बजट में गावों, गरीबों और किसानों का खास ख्याल रखने की मांग की गई है। इसके अलावा, नौकरीपेशा वर्ग के लिए कर में यथासंभव रियायत देने की भी मांग की गई है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पार्टी पदाधिकारियों को आश्वासन दिया कि बजट को अंतिम रूप देते समय सभी के सुझावों को अमल में लाने की कोशिश की जायेगी।
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति में वित्त वर्ष 2019-20 के लिए अपने विकास अनुमान को 6.1 प्रतिशत से कमकर 5 प्रतिशत कर दिया है। कई अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय एजेंसियों ने भी वित्त वर्ष 2019-20 के लिये भारत के विकास अनुमान को कम कर दिया है।
माना जा रहा है कि सरकार इस बजट के जरिये वैश्विक चुनौतियों से निपटने एवं देश के आर्थिक ढांचे को मजबूत बनाने की दिशा में अग्रतर कार्रवाई करेगी। फिलहाल, सरकार के पास 4 सालों से भी ज्यादा समय है, इसलिए वह लोकलुभावन घोषणाओं से बचेगी और कुछ मोर्चों पर बड़े एवं कड़े फैसले ले सकती है।
हालांकि, इस बजट में गरीबों और मध्यम वर्ग की अनदेखी नहीं की जायेगी, खासकर वेतनभोगी वर्ग की, जिनकी आर्थिक स्थिति लगातार ख़राब हो रही है। इसलिये, उम्मीद की जा रही है कि आयकर में मध्यम वर्ग को कुछ राहत मिल सकती है। पिछले बजट में सरकार ने कॉरपोरेट कर में राहत दी थी। अस्तु, माना जा रहा है कि प्रस्तावित बजट में आम आदमी की जेब का पूरा ध्यान रखा जायेगा।
सरकार के लिए वर्ष 2022 का एजेंडा महत्वपूर्ण है। भाजपा ने अपने चुनावी घोषणापत्र में आजादी के 75 साल पूरे होने पर सरकार के लिए 75 सूत्री एजेंडा तैयार किया था। सरकार इस बजट से उसे आगे बढ़ाने का काम करेगी।
इसमें एक बड़ा मिशन सबको आवास मुहैया कराने का है। इस लक्ष्य को वर्ष 2022 तक पूरा किया जाना है, लेकिन सरकार चाह रही है कि इसे समय से पूरा कर लिया जाये। कहा जा रहा है कि खुद का घर खरीदने के साथ-साथ किराये की विभिन्न आवासीय योजनाओं को भी सरकार बढ़ावा देगी, ताकि आवासीय समस्या को हल किया जा सके। नौकरीपेशा वर्ग, जिसका लगातार स्थानांतरण होता रहता है, उसके लिए ऐसे आवास बेहद अहम होंगे। इससे लोगों के कई शहरों में अपना मकान रखने की प्रवृत्ति कम होगी।
वित्त वर्ष 2020-21 के बजट के लिये मोदी सरकार विभिन्न वर्गों से संवाद कर सभी से बजट कैसा हो, उसके संबंध में प्रतिक्रिया एवं सुझाव ले रही है। सरकार के लिये पार्टी कार्यकर्ताओं और अन्य समुदायों और वर्गों से मिले सुझाव बेहद ही अहम हैं, क्योंकि पार्टी कार्यकर्त्ता गरीबों के लिए कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने के साथ-साथ मध्यम वर्ग के लिए ज्यादा सुविधाएँ व सहूलियतें चाहते हैं। आज गैर-सरकारी वेतनभोगी वर्ग और छोटे कारोबारियों को आर्थिक रूप से सबल बनाने की जरूरत है। ऐसे में माना जा रहा है कि वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में बुनियादी ढांचे को मजबूती प्रदान किया जायेगा साथ ही साथ वेतनभोगी वर्ग को आयकर एवं कारोबारियों को जीएसटी में राहत भी मिल सकती है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)