योगी सरकार के तीन वर्ष: विकास के नए आयामों को छूता उत्तर प्रदेश

2017 में जब योगी मुख्यमंत्री बने तो उनके सामने सपा के शासनकाल में बेपटरी हो चुकी क़ानून व्यवस्था, किसानों की समस्याएं, स्वास्थ्य तथा शिक्षा के क्षेत्र में व्याप्त विभागीय भ्रष्टाचार जैसी अनेक चुनौतियाँ थीं। योगी सरकार ने धीमे-धीमे इन सभी क्षेत्रों में सुधार लाना शुरू किया और आज जब वो अपने तीन साल पूरे कर चुकी है, तो उसके अबतक के कामकाज पर एक नजर डालना समीचीन होगा।

डेढ़ दशक की जातिवाद, भ्रष्टाचार और गुंडाराज वाले सपा-बसपा शासन से मुक्ति प्राप्त करने के लिए उत्तर प्रदेश की जनता 11 फरवरी 2017 से लेकर 8 मार्च 2017 तक ईवीएम में भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल पर बटन दबा रही थी। परिवारवाद को समाजवाद पर हावी करने वाले अखिलेश यादव की सपा, प्रदेश की राजनीति में अप्रासंगिक चुकी कांग्रेस तथा राजनीतिक रसताल को प्राप्त होने वाली मायावती की बसपा को जनता ने पूरी तरह से नकार दिया था।    

लगभग 25 दिन के अथक परिश्रम के बाद 11 मार्च 2017 को जब परिणाम आया तो प्रदेश की जनता आकांक्षाओं के रथ पर सवार हो चुकी थी। उत्तर प्रदेश भगवामय हो चुका था। 2012 से 2017 तक पूरे पांच साल परिवारवाद का कुचक्र और आखिर में अपनी कमियों पर पर्दा डालने के लिए कांग्रेस से किया गया मौकापरस्त गठबंधन भी अखिलेश यादव को बचा न सका।

देश की सबसे बड़ी 403 सदस्यों वाली विधायिका में भाजपा को 325, सपा कांग्रेस गठबंधन को 54 जबकि बसपा को 19 सीटें मिलीं और इस तरह योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें। योगी के सामने सपा के शासनकाल में बेपटरी हो चुकी क़ानून व्यवस्था, किसानों की समस्याएं, स्वास्थ्य तथा शिक्षा के क्षेत्र में व्याप्त विभागीय भ्रष्टाचार जैसी अनेक चुनौतियाँ थीं। योगी सरकार ने धीमे-धीमे इन सभी क्षेत्रों में सुधार लाना शुरू किया और आज जब वो अपने तीन साल पूरे कर चुकी है, तो उसके अबतक के कामकाज पर एक नजर डालना समीचीन होगा।

क़ानून व्यवस्था

अखिलेश यादव के सरकार की अराजकता को समाप्त कर एक अपराधमुक्त वातावरण बनाने की दिशा में योगी सरकार ने न सिर्फ प्रयास किया है बल्कि सफलता भी अर्जित की है। अपराधियों के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति अपनाकर शत-प्रतिशत मुकदमे दर्ज करने का निर्देश दिया गया। पहली बार पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में एफआईआर कराने की व्यवस्था दी गई।

एक आंकड़ों के अनुसार पुलिस और अपराधियों के बीच लगभग 4600 से भी ज्यादा मुठभेड़ हुईं जिनमें 10 हजार से ज्यादा अपराधी गिरफ्तार किए गए और करीब 100 बदमाशों को मार गिराया गया। इस प्रभावी कार्रवाई के चलते 16 हजार से ज्यादा अपराधियों ने न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया। इसके अलावा एसटीएफ ने भी अपराधियों पर अंकुश लगाते हुए सघन कार्रवाई की।

हाल में जिस तरह से दंगाइयों को लेकर योगी सरकार ने कठोरतम उपाय किए हैं, वो अन्य प्रदेशों और वहां की सरकारों के लिए मिसाल बन गई है। वो दिन लद गए जब मुज्जफरनगर दंगाई जला रहे हों और सरकार निरीह बनकर देख रही हो। आज योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं, जो पूरी ठसक के साथ डंके की चोट पर दंगाईयों का पोस्टर लगवा कर उनसे वसूली करने का क़ानून बना रहे हैं।

साथ ही साथ एंटी-रोमियो स्क्वायड से लेकर 1090, 1076 जो मुख्यमंत्री हेल्पलाइन है और इसके माध्यम से प्रदेश की जनता अपना सुझाव, अपनी शिकायत अथवा अपनी समस्या सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंचा सकती है।

कृषि

किसानों की बात करें तो करीब 86 हजार करोड़ रूपए से तकरीबन 86 लाख से ज्यादा किसानों का ऋण माफ़ किया गया। 73 हजार करोड़ रूपए गन्ना किसानों को देने के अलावा 50 लाख से अधिक किसानों को डीबीटी के माध्यम से सीधे खाते में धनराशि भेजने का काम किया गया।

ऐसा पहली बार हुआ जब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कृषि कुम्भ का आयोजन हुआ जिसमें एक लाख से अधिक किसानों ने अपनी सहभागिता दर्ज की और कृषि की नई तकनीक से भी परिचित हुए।

इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना हो, उज्ज्वला योजना हो, प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय बनवाना हो, सौभाग्य योजना हो, ई-टेंडरिंग का काम हो अथवा सड़क या हवाई संपर्क हो, ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने अन्य राज्यों को पीछे छोड़कर सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।

स्वास्थ्य

स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय प्रदर्शन करते हुए योगी सरकार ने रायबरेली और गोरखपुर में एम्स के निर्माण में तेजी लाई वहीं बनारस और गोरखपुर में कैंसर इंस्टीट्यूट अब कार्यशील हो चुके हैं।

शिक्षा

शिक्षा की बात करें तो प्राथमिक विद्यालयों में 45 हजार से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती करने के अलावा माध्यमिक स्तर पर 193 नए इंटर कॉलेज शुरू हुए और 55 कॉलेजों को मंजूरी प्रदान की गई। 51 नए उच्च शिक्षा में तथा 22 नए पोलिटेक्निक कॉलेजों को मंजूरी देने के साथ-साथ हॉस्टल से लेकर शिक्षकों के वेतन बढ़ोत्तरी संबंधी महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। 

प्रदेश में इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में अभूतपूर्व विस्तार करते हुए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में 4100 किलोमीटर से ज्यादा सड़क निर्माण किया गया है। साथ ही, पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे के अलावा गंगा एक्सप्रेस वे, जो मेरठ से प्रयागराज तक प्रस्तावित है, पर भी काम जारी है।

उत्तर प्रदेश में औद्योगिक संभावनाओं को विस्तार देते हुए योगी सरकार ने इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया और लगभग 2 लाख करोड़ रूपए की निवेश परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई।

पर्यटन

उत्तर प्रदेश के पर्यटन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 2015, 2016 और 2017 में क्रमशः 20, 21 और 23 करोड़ से ज्यादा पर्यटक साल भर आए। 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाओं को देखते हुए योगी सरकार ने सबसे पहले उत्तर प्रदेश की ब्रांडिंग करना शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप प्रदेश के मुख्य पर्यटन स्थलों पर पिछली सरकार की तुलना में ज्यादा पर्यटक आए।

अकेले 2018 में यह आंकड़ा 28 करोड़ और 2019 में आश्चर्यजनक रूप से वृद्धि होते हुए 54 करोड़ को पार कर गया। इसमें 47 लाख से ज्यादा विदेशी पर्यटक शामिल थे। पिछले साल के मुकाबले इसमें 87 फीसदी का उछाल आया।

इसके पीछे जो प्रमुख कारण है वो यह कि योगी सरकार ने ‘सैफई महोत्सव’ की तिलांजलि देते हुए अयोध्या में भव्य दीपावली का आयोजन किया। सरयू के तट पर 3 लाख से ज्यादा दिये जलाकर गिनीज बुक ऑफ़ रिकॉर्ड में भी स्थान पाया। मथुरा, काशी और वृंदावन जैसे हिन्दुओं के प्रमुख धार्मिक स्थल पर अनेकानेक योजनाओं शुरू की गई। सबसे महत्वपूर्ण राम मंदिर, जो कि योगी आदित्यनाथ के मन और जीवन से जुड़ा विषय रहा है, जिसके निर्माण के साथ-साथ अयोध्या के अलावा प्रदेश में भी विकास के नए आयाम सृजित होंगे।    

उत्तर प्रदेश के सुनियोजित विकास के क्षेत्र में किए गए वृहद प्रयासों पर यह एक सूक्ष्म दृष्टि है, इसके अलावा भी कई ऐसी जनहित योजनाएं और व्यवस्थाएं शुरू की गई हैं जिनसे प्रदेश की जनता विकास की मुख्यधारा में स्वयं को शामिल महसूस कर रही है और तीन साल बाद भी विपक्षी दल जनहित से जुड़े एक भी मुद्दे को लेकर सरकार के सामने सवाल करने की स्थिति में नहीं हैं।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)