यह बजट हर वर्ग को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इस बजट के केंद्र में देश का गरीब और निचला तबका है। व्यापार और कारोबारी वर्ग के लिए जहाँ एक ओर सहूलियत प्रदान की जा रही है, वहीं किसानो के हितों की दिशा में भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाये गये हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से तो यह बजट ऐतिहासिक ही है। इस बजट में स्वदेशी कारोबारियों के हितों को भी संरक्षित किया गया है। समग्रतः सरकार ने हरबार की तरह इसबार के बजट के द्वारा भी ‘सबका साथ सबका विकास’ के अपने मूलमंत्र को धरातल पर साकार करने के अपने संकल्प को प्रकट किया है।
मोदी सरकार ने वर्ष 2018 का वार्षिक और अपने कार्यकाल का अंतिम पूर्णकालीन बजट गत 1 फरवी को सदन में पेश किया। इस बजट में यूँ तो सबसे अधिक महत्व ‘कृषि’ व ‘स्वास्थ्य’ से जुड़े विषयों को दिया गया है, लेकिन अन्य क्षेत्रों की भी इसमें अनदेखी नहीं की गयी है। चुनाव से पूर्व सरकारों द्वारा प्रायः लोकलुभावन बजट पेश किया जाता है, लेकिन मोदी सरकार ने लोकलुभावन घोषणाओं की बजाय दूरगामी हितों को ध्यान में रखकर एक साहसिक बजट पेश किया है। आइये जानते हैं कि कुल 24.42 लाख करोड़ रूपये के इस बजट में किस क्षेत्र के लिए क्या है ख़ास।
कृषि: लगभग 16 हजार करोड़ रूपए कृषि को आवंटित किये गये है। इस 16000 हजार करोड़ में से दस हजार करोड़ मत्स्य पालन, पशुपालन आदि के क्षेत्र को दिया गया है। कृषि आधारित आधारभूत संरचना को मजबूत करने के लिए दो हजार करोड़ रूपए की राशि आवंटित की गयी है, वहीं बांस उद्योग को लगभग तेरह सौ करोड़ की राशि दी गयी है। ‘ऑपरेशन ग्रीन’ के तहत आलू, टमाटर, प्याज़ जैसी सदाबहार फसलों की कीमत स्थिर करने के लिए पांच सौ करोड़ रूपए की राशि सुनिश्चित की गयी है। ग्रामीण कृषि बाजार को सुधारने के लिए भी दो हज़ार करोड़ की राशि दी गयी है।
फसल में न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत से डेढ़ गुना बढ़ाने का ऐलान किया गया है। किसान का कर्ज लेना और आसान बनाया जायेगा। किसानों के कर्ज के लिए 11 लाख करोड़ रुपए का फंड आवंटित किया गया है। कृषि आर्थिक सुधार पर सरकार ईमानदारी से काम कर रही है। जरूरत मंदो तक सुविधाएं पहुंचाई जा रही हैं। अनाज का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर है। 27.5 करोड़ टन अनाज का उत्पादन हुआ है। पूरी तरह से कृषि से जुड़े क्षेत्रों का ध्यान रखा गया है।
रेल बजट: इसबार से रेल बजट भी आम बजट में ही शामिल कर दिया गया है। रेल बजट में 148528 करोड़ का बजट दिया है, इस बजट के अधिकांश भाग का उपयोग बुनियादी ढांचे के सुधार के लिए किया जायेगा। 12000 वैगन, 5160 कोच और 700 लोकोमोटिव की खरीद की घोषणा की गयी है। इसके अलावा सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों को पुनः विकसित करने का कार्य भी किया जायेगा और सुरक्षा हेतु रेलवे स्टेशन व रेल गाड़ियों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की घोषणा की गयी है। हाई स्पीड रेल परियोजना के लिए आवश्यक श्रमबल को प्रशिक्षित करने के लिए वडोदरा में एक संस्थान की स्थापना की जाएगी।
स्वास्थ्य: स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक संरक्षण के लिए 1.38 लाख करोड़ रूपए आवंटित किये है। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत दस करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को इस योजना से लाभ प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना शुरू की जाएगी जिसके तहत अस्पताल में भर्ती होने के लिए प्रति परिवार 5 लाख रूपये प्रति वर्ष तक का कवेरेज प्रदान किया जायेगा। यह विश्व का सबसे बड़ा सरकारी वित्त पोषित स्वास्थ्य संरक्षण कार्यक्रम होगा।
महिला: उज्जवला योजना के अंतर्गत आठ करोड़ महिलाओं को एलपीजी कनेक्शन देने की घोषणा की गयी है। महिला सहायता समूहों को मिलने वाले ऋण की राशि में भी इजाफा करते हुए आवंटित राशी 75,000 करोड़ रूपए की गयी है।
अनुसूचित जाति/जनजाति: इस बजट में सबसे ज्यादा प्रतिशत बढ़ोतरी जनजातीय कोष में हुई है। अनुसूचित जनजातियों के लोगों से जुड़े कल्याण-कोष को बढ़त मिली है और हर जनजातीय ब्लाक में एकलव्य आवासीय स्कूल की घोषणा भी की गयी है। अनुसूचित जाति के लिए इस वर्ष बजट में 56619 करोड़ रूपए प्रस्तावित किये गये हैं, तो वहीं अनुसूचित जनजाति के लिए 39135 करोड़ रूपए। पिछले तीन वर्षों में इस कोष में लगातार वृद्धि हुई है।
आधारभूत संरचना: देश के विकास में लंबे समय से रुकावट की वजह बना हुआ है यह क्षेत्र। इसलिए इस वर्ष, विशेष तौर पर इस क्षेत्र में सरकार ने काफी ध्यान दिया है। जहाँ एक ओर इससे देश आगे बढ़ता है, कारोबार में सहूलियत होती है और विदेशी निवेश आकर्षित करने में सहायता मिलती है, वहीं इससे रोजगार भी पैदा होता है। बजट में बुनियादी ढांचे के लिए 5.97 लाख करोड़ का आवंटन किया गया है। भारतमाला परियोजना के अंतर्गत करीब 35 हजार किमी सड़क निर्माण करने के कार्य को प्रथम चरण में प्रारंभ करने की अनुमति प्रदान कर दी गयी है। इसकी लागत 535000 करोड़ रूपए है। दूरसंचार बुनियादी ढांचे के लिए दस हजार करोड़ रूपए का आवंटन जिसके जरिये भारत में 5जी का परीक्षण शुरू किया जायेगा। आपदा प्रबंधन के ढांचे पर 60 करोड़ की राशि प्रस्तावित है।
परिवहन: हवाई अड्डों को और बेहतर बनाने पर ध्यान दिया जायेगा, जिसके लिए बजटीय राशि में वृद्धि करते हुए परिवहन के लिए अब तक की सबसे बड़ी 134572 करोड़ रूपए की राशि प्रस्तावित की गयी है।
उद्योग एवं रोजगार सृजन: लघु एवं कुटीर उद्योगों को नवाचार के लिए 3794 करोड़ रूपए दिए गये है। सीमा शुल्क अधिनियम 1962 में भी कुछ संशोधन करने की घोषणा की गयी है, जिससे कारोबार करने में और आसानी मिलेगी। देश के प्रत्येक जिले में कौशल विकास केंद्र की स्थापना की जाएगी। सरकार दो बीमा कम्पनी समेत सार्वजानिक क्षेत्र की 14 केंद्रीय उद्धमों को स्टॉक एक्सचेंज में सूची बद्ध करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी गयी है। नेशनल इन्सुरेंस कंपनी लिमिटेड, यूनाइटेड इंडिया इन्सुरेंस कंपनी लिमिटेड और ओरिएण्टल इंडिया इन्सुरेंस कंपनी लिमिटेड को विलय करने का प्रस्ताव भी रखा गया है।
वरिष्ठ नागरिक: वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रधानमन्त्री वय वंदना योजना की अवधि 2020 तक बढ़ा दी गयी है। वर्तमान निवेश सीमा को प्रति वरिष्ठ नागरिक के लिए 7.5 लाख रूपए की मौजूदा सीमा से बढ़ाकर 15 लाख रूपए करने का प्रस्ताव किया गया है।
शिक्षा: 2022 तक शिक्षा में आधारभूत सुविधाओं और प्रणालियों को एक बार फिर मजबूत बनाने के लिए चार वर्षों में एक लाख करोड़ रूपए के निवेश को प्रस्तावित किया गया है। ‘प्रधानमंत्री अनुसन्धान अध्येता पहल’ के तहत भी देश के श्रेष्ठ तकनीकी संस्थानों में से हर वर्ष एक हजार उत्कृष्ट बीटेक छात्रों की पहचान की जाएगी। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के लिए भी आवंटन दुगुना किया गया है। साथ ही, साइबर भौतिक प्रणालियों पर अभियान की शुरुआत भी की गयी है।
करदाता: वेतनभोगी करदाताओं को राहत देते हुई वर्तमान कटौतियों के बदले 40000 की मानक कटौती प्रस्तावित की गयी है। आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं, मगर कस्टम ड्यूटी और सेस में एक प्रतिशत की मामूली-सी बढ़ोतरी हुई है। अप्रत्यक्ष कर के सन्दर्भ में वस्तु एवं सेवा कर लागू होने के बाद यह पहला बजट है, आयतित वस्तुओं पर लगने वाले शिक्षा उपकर एवं उच्च शिक्षा उपकर को समाप्त करने का प्रस्ताव दिया गया है और इसके स्थान पर आयातित वस्तुओं पर 10 प्रतिशत की दर से एक सामाजिक कल्याण उपकर लगाया जायेगा।
परिवार एवं सामाजिक कल्याण: ‘राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम’ के लिए 9975 करोड़ रूपए प्रस्तावित किये गये हैं। सौभाग्य योजना जिससे 4 करोड़ परिवारों को बिजली कनेक्शन मिला है, के लिए 16 हजार करोड़ रूपए का आवंटन किया गया है।
ग्रामीण विकास: राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम के लिए 5750 करोड़ रूपए का आवंटन हुआ है। खेतों के ठोस अपशिष्ट पदार्थों को कम्पोस्ट, बायो-गैस और बायो-सीएनजी में परिवर्तित करने की योजनाओं को प्रस्तावित किया गया है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो यह बजट हर वर्ग को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इस बजट के केंद्र में देश का गरीब और निचला तबका है। व्यापार और कारोबारी वर्ग के लिए जहाँ एक ओर सहूलियत प्रदान की जा रही है, वहीं किसानो के हितों की दिशा में भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाये गये हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से तो यह बजट ऐतिहासिक ही है। इस बजट में स्वदेशी कारोबारियों के हितों को भी संरक्षित किया गया है। समग्रतः सरकार ने ‘सबका साथ सबका विकास’ के अपने मूलमंत्र को हरबार की तरह इसबार के बजट के द्वारा भी धरातल पर साकार करने का प्रयास किया है।
(लेखिका पत्रकारिता की छात्रा हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)