भारत में तो मोदी की लोकप्रियता समझ में आती है, लेकिन प्रश्न यह है कि आखिर भारत से बाहर भी उनकी इतनी लोकप्रियता किस कारण है ? इस प्रश्न का संक्षिप्त उत्तर यही है कि जिन कारणों से मोदी भारत में लोकप्रिय हैं, कमोबेश उन्हीं कारणों से उनकी वैश्विक लोकप्रियता भी है। कहा भी जाता है कि जिसकी अपने घर में इज्जत होती है, उसीको बाहर भी सम्मान मिलता है। मोदी की कार्यशैली और नीतियां आज भारत में सफल हैं, जिस कारण वे यहाँ लोकप्रिय हैं; और बस इसी कारण विश्व में भी उनकी लोकप्रियता का विस्तार होता जा रहा है।
भारत में तो इस समय निर्विवाद रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं, परन्तु अब यह सिर्फ भारत की बात नहीं रह गयी है। मोदी की लोकप्रियता का फलक दिन-प्रतिदिन विस्तृत से अति-विस्तृत होता जा रहा है। अभी बीते दिनों आए प्यू इंटरनेशनल के सर्वेक्षण में यह स्पष्ट हुआ था कि देश में मोदी की लोकप्रियता में वृद्धि हुई है, अब गैलप इंटरनेशनल नामक एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था के सर्वेक्षण में यह सामने आया है कि मोदी दुनिया के तीसरे सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं।
इस सूची में मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित रूस, ब्रिटेन आदि कई महाशक्ति देशों के राष्ट्राध्यक्षों को पछाड़ दिया है। मोदी से ऊपर मौजूद दो लोगों में पहले नंबर पर फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रान और दूसरे स्थान पर जर्मनी की चांसलर एंजला मर्केल हैं। इनके बाद और कोई वैश्विक नेता मोदी की लोकप्रियता के समक्ष टिक नहीं सका है। यूँ तो प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक लोकप्रियता का अनुमान उनकी विदेश यात्राओं के दौरान लोगों द्वारा उनके स्वागत को देखते हुए लगाया जा सकता है, लेकिन अब इस रिपोर्ट के बाद इस लोकप्रियता को एक तथ्यात्मक आधार भी प्राप्त हो गया है।
भारत में तो मोदी की लोकप्रियता समझ में आती है, लेकिन प्रश्न यह है कि आखिर भारत से बाहर भी उनकी इतनी लोकप्रियता किस कारण है ? इस प्रश्न का संक्षिप्त उत्तर यही है कि जिन कारणों से मोदी भारत में लोकप्रिय हैं, कमोबेश उन्हीं कारणों से उनकी वैश्विक लोकप्रियता भी है। कहा भी जाता है कि जिसकी अपने घर में इज्जत होती है, उसीको बाहर भी सम्मान मिलता है। मोदी की कार्यशैली और नीतियां आज भारत में सफल हैं, जिस कारण वे यहाँ लोकप्रिय हैं; और बस इसी कारण विश्व में भी उनकी लोकप्रियता का विस्तार होता जा रहा है।
विचार करें तो किसी भी देश के नागरिक हों, उनकी यह इच्छा होती है कि उनका नेतृत्व एक मजबूत, दूरदर्शी और सक्षम व्यक्ति के हाथों में रहे। भारत में मोदी सत्तारूढ़ होने के बाद से ही इन सब कसौटियों पर स्वयं को सिद्ध कर चुके हैं। सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी जैसे बड़े निर्णय लेने और क्रियान्वित कराने के द्वारा उन्होंने खुद को एक मजबूत नेता के रूप में सिद्ध किया। पाकिस्तान, चीन जैसे संदिग्ध पड़ोसियों से आवश्यकतानुसार सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर निपटना भी उनके मजबूत और कुशल नेतृत्व का ही परिचायक था।
साथ ही जनधन, पहल, उज्ज्वला, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया आदि योजनाओं के माध्यम से अपनी रचनात्मक और दूरदर्शी शासन क्षमता का पक्ष भी उन्होंने देश के सामने रखा। ऐसे ही तमाम क़दमों ने उनकी लोकप्रियता में निरंतर वृद्धि का कार्य किया है। विश्व समुदाय भी इन बातों को देख और समझ रहा है, उसे भी मोदी की क्षमताओं का अंदाजा है। यही कारण है कि उनकी लोकप्रियता का डंका भारत ही नहीं, वैश्विक स्तर पर बजने लगा है। निश्चित तौर पर यह न केवल भारतीय जनमानस के लिए गर्व का विषय है, बल्कि भारतीय लोकतंत्र के लिए आशाकारी संकेत भी है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)