विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैरा ने कहा है कि एसटीएफ मजीठिया के खिलाफ ड्रग्स मामलों की जांच कर रही है, ऐसे में भला केजरीवाल की क्या मजबूरी रही कि उन्होंने चुपचाप माफ़ी मांग ली ? पार्टी के अन्दर अब विधायक केजरीवाल से पल्ला छुड़ाना चाहते हैं, ऐसे में पंजाब की आम आदमी पार्टी कब तक केजरीवाल के साथ खड़ी रहेगी, आज सबसे बड़ा प्रश्न यही है।
झूठ को गढ़ने और उसे बहुप्रचारित करने में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कोई सानी नहीं है। इन्होने पंजाब चुनाव से पहले पूरे देश को बताया कि वहाँ पूरी युवा पीढ़ी ड्रग्स की वजह से तबाह हो गई है। केजरीवाल ने यह भी कहा था कि अकाली नेता बिक्रम मजीठिया खुद नशे के सौदागरों से मिले हुए हैं और नशे की तस्करी में शामिल हैं।
आम आदमी पार्टी सिर्फ इस आरोप के दम पर सत्ता के काफी करीब आ गई और पंजाब में दूसरे नंबर की पार्टी बन गई। लेकिन, विचित्र बात ये है कि अरविन्द केजरीवाल ने एक साल के अन्दर ही बिक्रम मजीठिया के खिलाफ लगाये गए अपने आरोप वापस ले लिए और उनसे माफ़ी मांग ली। केजरीवाल के इस कदम के बाद पंजाब की सियासत में भूचाल आ गया। आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल ही अलग-थलग पड़ गए, पंजाब के विधायक उनसे बेहद नाराज बताये जाते हैं, इसलिए विरोध जताने के लिए बहुत से विधायक दिल्ली भी गए हैं।
केजरीवाल के इस कदम की वजह से आम आदमी पार्टी की सहयोगी लोक इन्साफ पार्टी ने “आप” से किनारा कर लिया। केजरीवाल के खिलाफ गुस्से की वजह है कि आखिर पंजाब के विधायकों से पूछे या उनकी राय लिये बिना अरविंद केजरीवाल ने अकाली नेता बिक्रम मजीठिया से माफ़ी क्यों मांग ली। क्या अरविंद केजरीवाल के दिल में कोई अज्ञात भय था, जिससे वह ग्रस्त थे; या उन्हें डर था कि अदालत में कहीं उनका झूठ पकड़ा न जाए।
घटना के बाद आम आदमी पार्टी के अन्दर विधायकों का गुस्सा इतना बढ़ा कि पंजाब इकाई के अध्यक्ष भगवंत मान ने इस्तीफा दे दिया है और कहा है कि उनकी ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। हालाँकि अपनी इज्जात बचाने के लिए “आप” के विधायक कह रहे कि वह ड्रग्स के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
केजरीवाल पहले भी पंजाब चुनाव के दौरान अपने फैसलों को लेकर विवादों में घिरे रहे हैं, जिसके बाद केजरीवाल काफी महीनों तक पंजाब आए ही नहीं। इसमें एक वजह थी, पूर्व आतंकियों के प्रति उनका विशेष आग्रह, जिनके घर रुकने में उन्हें कोई परहेज़ नहीं था। आम आदमी पार्टी की पंजाब इकाई के सभी सदस्यों ने एक राय में केजरीवाल के फैसले के खिलाफ आवाज़ उठाई है। इस कदम से आम आदमी पार्टी के अन्दर केजरीवाल की स्थिति कमजोर हो सकती है।
केजरीवाल के करीबी माने जाने वाले संजय सिंह के खिलाफ भी मजीठिया ने मान हानि का दावा ठोंका है, लेकिन संजय सिंह ने कोई माफीनामा नहीं माँगा है। संसद भवन के बाहर संजय सिंह ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि केजरीवाल ने आखिरकार क्यों माफ़ी मांग ली। पंजाब के सभी विधायकों की राय है कि उनकी ड्रग्स के खिलाफ मुहिम जारी रहेगी और अकालियों के खिलाफ अपनी लड़ाई में वह किसी भी हालत में अब पीछे नहीं जा सकते हैं।
विधानसभा में विपक्ष के नेता सुखपाल सिंह खैरा ने कहा है कि एसटीएफ मजीठिया के खिलाफ ड्रग्स मामलों की जांच कर रही है, असल में मजीठिया को घेरने वाली है, ऐसे में भला केजरीवाल की क्या मजबूरी रही कि उन्होंने चुपचाप माफ़ी मांग ली ? पार्टी के अन्दर अब विधायक केजरीवाल से पल्ला छुड़ाना चाहते हैं, ऐसे में पंजाब की आम आदमी पार्टी कब तक केजरीवाल के साथ खड़ी रहेगी, आज का सबसे बड़ा प्रश्न यही है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)