इससे पहले उत्तर प्रदेश में अखलाक की हत्या के बाद उसके घरवालों से संवेदना जाहिर करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी, असदुद्दीन ओवैसी से लेकर माकपा की वृंदा करात तक ने बाकी तमाम दलों के नेताओं ने हाजिरी दी। यानी अखलाक की जघन्य हत्या के बाद उसके घर नेताओं का तांता लगा ही रहा। अब भी यही हो रहा है। राजस्थान में अफराजुल खान के जघन्य क़त्ल के बाद सब उसके परिवार वालों के साथ संवेदना व्यक्त कर रहे हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन इन नेताओं को डा. पंकज नारंग के घर जाने में तकलीफ हो गई थी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राजस्थान में पश्चिम बंगाल के प्रवासी मजदूर अफराजुल खान की बेरहमी से हत्या पर दुख प्रकट करते हुए मजदूर के परिवार को मुआवजे के तौर पर तीन लाख रुपये देने की घोषणा की। उनका यह कदम प्रशंसनीय है। ममता ने ट्विटर पर लिखा- ” हमारी सरकार ने परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का फैसला किया है।” पर क्या ममता बनर्जी के इस कदम से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, कांग्रेस के नए बने अध्यक्ष राहुल गांधी और सेक्युलर बिरादरी सबक लेगी। क्योंकि, ये सब तब चुप थे जब राजधानी के विकासपुरी में बांग्लादेशी गुंडों ने डा. नारंग का कत्ल किया था।
मौत पर सियासत
इससे पहले उत्तर प्रदेश में अखलाक की हत्या के बाद उसके घरवालों से संवेदना जाहिर करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी, असदुद्दीन ओवैसी से लेकर माकपा की वृंदा करात तक ने बाकी तमाम दलों के नेताओं ने हाजिरी दी। यानी अखलाक की जघन्य हत्या के बाद उसके घर नेताओं का तांता लगा ही रहा। अब भी यही हो रहा है। राजस्थान में अफराजुल खान के जघन्य क़त्ल के बाद सब उसके परिवार वालों के साथ संवेदना व्यक्त कर रहे हैं। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन इन नेताओं को डा. पंकज नारंग के घर जाने में तकलीफ हो गई थी।
अरविंद केजरीवाल को भी विकासपुरी में गैर-कानूनी तरीके से भारत में आकर बस गए बांग्लादेशी गुंडों के शिकार हुए डाक्टर पकंज नारंग के परिवार से मिलने की कभी फुर्सत नहीं मिली। जनकपुरी की घटना से सारी दिल्ली सहम गई थी। लेकिन, केजरीवाल को डाक्टर के परिजनों से मिलना जरूरी नहीं लगा था। तो आप समझ गए होंगे कि किस तरह का चरित्र है हमारे इन महान धर्मनिरपेक्ष नेताओं का।
चुप्पी डराने वाली
डाक्टर पंकज नारंग की हत्या पर सेक्युलर बिरादरी की चुप्पी डराने वाली थी। इसके चलते ये एक्सपोज भी हो गए थे। इन्होंने अखलाक, अफराजुल खान और डा. नारंग की हत्यायों में भी फर्क करना शुरू कर दिया था। ये कहते रहे कि डा. नारंग की हत्या सांप्रदायिक नहीं है। ज़िन्दगी बचाने वाले डॉक्टर की सरेआम हत्या कर दी गई, पर खामोश रहे ये ‘सद्बुद्धिजीवी’ ! तब कहां गई थी असहिष्णुता ? विकासपुरी में डा. नारंग की हत्या को बिसाहड़ा कांड वाले अखलाख से अलग बताने वाले ‘सद्बुद्धिजीवी’ तमाम कुतर्क देने लगे थे।
अखलाक की हत्या की तरह ही सेक्युलर बिरादरी सोशल मीडिया पर अफाराजुल खान की हत्या के बाद भी एक्टिव हो गई है। ये सब करने की उन्होंने डाक्टर नारंग के कत्ल के बाद जरूरत नहीं समझी थी। क्यों? इस सवाल का जवाब इन्हें देना होगा। क्या केजरीवाल ने कभी सोचा कि अब डाक्टर पंकज नारंग की पत्नी, सात साल के बेटे और विधवा मां की जिंदगी किस तरह से गुजरेगी। डा. पकंज नारंग का कसूर इतना ही था कि उन्होंने कुछ युवकों को तेज मोटर साइकिल चलाने से रोका था। बस इतनी सी बात के बाद कथित बांग्लादशी युवकों ने डाक्टर नारंग को मार दिया।
नहीं मिले जाने बचाने वालों से
आपको याद होगा कि अखलाक के गांव में सांप्रदायिकता ताकतों के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले सेक्युलर नेता उस हिन्दू परिवार से नहीं मिले जिसने अखलाक के परिवार को पनाह दी थी। बिसाहड़ा में जब उग्र भीड़ अखलाक के घर को घेरे हुए थी, तब पड़ोस में रहने वाले राणा परिवार ने अखलाक के परिवार की तीन महिलाओं, एक पुरुष और एक छोटे बच्चे को अपने घर में शरण देकर जान बचाई थी। यही नहीं, अखलाक के पड़ोस की शशि देवी और विष्णु राणा ने अपने घर में रात भर पहरा दिया और भीड़ से अखलाक के परिवार की हिफाजत की।
क्या राहुल गांधी से लेकर केजरीवाल को इस हिन्दू परिवार से नहीं मिलना चाहिए था? इस परिवार ने अपनी जान की परवाह किए बगैर अखलाक के परिवार के कुछ सदस्यों को मौत के मुंह से बचाया। पर ये उस हिन्दू परिवार से नहीं मिलेंगे। ये तुष्टिकरण की सियासत जो करते हैं। क्योंकि ये तमाम नेता अखलाक से नहीं बल्कि मुसलमानों को अपनी तरफ लुभाने के लिए बिसाड़ा पहुंचे थे। लेकिन इनके असली चेहरे से अब देश वाकिफ हो चुका है। इसलिए ही ये देशभर में खारिज हो रहे हैं।
अफराजुल खान, अखलाख या डा. नारंग का कत्ल किसी भी हालात में सही नहीं माना जा सकता। कोई भी सभ्य समाज हिंसा और हत्या को सही ठहरा सकता है। लेकिन, हमारे यहां कुछ तत्व हत्याओं में भी राजनीति करने लगते हैं। उन्हें खून के रंग में भी हिन्दू-मुसलमान दिखाई देता है। ये मानवता के शत्रु हैं। देश और समाज को इन्हें नंगा करना होगा। ये देश-समाज को तोड़ रहे हैं।
(लेखक यूएई दूतावास में सूचनाधिकारी रहे हैं। वरिष्ठ स्तंभकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)