यह योजना देश के लगभग 50 करोड़ आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों को पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य कवर प्रदान करेगी। पीएमजेएवाई से सामान्य चिकित्सा और शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं के साथ ही कैंसर सहित 1300 से अधिक चिकित्सा प्रक्रियाओं में रोगियों को सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी। ये समस्त सेवाएँ लाभार्थियों को पूरी तरह से नकद रहित, पेपरलेस तथा विश्व स्तरीय आइटी अवसंरचना के मानकों के साथ प्राप्त होंगी। लेकिन शर्मनाक है कि मोदी विरोध में अंधे विपक्षी दलों की पांच राज्य सरकारों ने इस योजना को अपने यहाँ लागू करने से इनकार कर दिया है जिसमें कांग्रेस की सरकारों सहित दिल्ली की केजरीवाल सरकार भी शामिल है।
किसी भी देश के विकास की एक प्रमुख कसौटी यह होती है कि वह अपने देशवासियों को उच्च स्तर की स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने में कितना सफल है। इसमें भी जो गरीब तबका है, उस तक इन सुविधाओं की पहुंच आवश्यक है, क्योंकि स्वस्थ नागरिक ही सुदृढ़ और प्रगतिशील राष्ट्र की नींव रखते हैं।
गौरतलब है कि पिछली सरकारों ने इस बाबत योजनाएं तो जरूर शुरू कीं, लेकिन उनका क्रियान्वयन उन सरकारों की तरह ही ढुलमुल रहा था। बहरहाल, केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कार्यरत एनडीए सरकार ने अपने गठन से अबतक गरीब तबके को लक्षित कर विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की नींव रखी है। इससे यह भरोसा आमजन के बीच बना है कि यह सरकार जनता के हितों को सर्वोपरि रखती है और इसका मूल मंत्र सम्पूर्ण जन के विकास पर केन्द्रित है।
ज्ञात हो कि आयुष्मान भारत योजना जो कुछ ही समय पहले प्रधानमंत्री मोदी द्वारा छत्तीसगढ़ से शुरू हुई थी, दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा योजना है जो आबादी कवर करने के लिहाज से अमेरिका, कनाडा और मैक्सिको जैसे देशों की कुल आबादी के बराबर है।
आयुष्मान योजना के दूसरे प्रमुख घटक के रूप में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की पावन धरती झारखण्ड से की है। गौरतलब है कि इस योजना के दोनों घटकों की शुरुआत जिस भूमि से हुई है, वह आदिवासियों की भूमि है और सरकार का यह साफ़ संदेश है कि स्वास्थ्य की जरूरत जहाँ सबसे ज्यादा है, इसकी नींव भी वहीं पड़नी चाहिए।
यह योजना देश के लगभग 50 करोड़ आर्थिक रूप से कमजोर नागरिकों को पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य कवर प्रदान करेगी। पीएमजेएवाई से सामान्य चिकित्सा और शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं के साथ ही कैंसर सहित 1300 से अधिक चिकित्सा प्रक्रियाओं में रोगियों को सेवाएँ उपलब्ध कराई जाएँगी। ये समस्त सेवाएँ लाभार्थियों को पूरी तरह से नकद रहित, पेपरलेस तथा विश्व स्तरीय आइटी अवसंरचना के मानकों के साथ प्राप्त होंगी।इसमें सार्वजनिक एवं निजी दोनों क्षेत्रों के अस्पतालों को शामिल किया गया है जहाँ मरीजों को उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवायें प्रदान की जाएंगी।
यह अक्सर देखा जाता है कि इलाज में खर्च के कारण गरीब परिवारों पर आर्थिक संकट जैसी विपदा आ जाती है और अपने परिजन के अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में उनकी सारी जमा-पूंजी खर्च हो जाती है और परिवार कर्ज के दुष्चक्र में फंस जाता है।
आंकड़ों के आधार पर हमारे देश में लगभग 66 लाख परिवार हर साल गरीबी का शिकार हो जाते हैं। ऐसी विकट स्थिति में करीब 17.3 प्रतिशत लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अपने घरेलू बजट का 10 प्रतिशत से अधिक खर्च करना पड़ता है और यह एक प्रमुख कारण है जिससे गरीब परिवार अपना जीवन-स्तर ऊपर उठा नहीं पाता।
इस दिशा में आयुष्मान भारत योजना सार्थक सिद्ध होने वाली है। 1,50,000 स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना के माध्यम से जन-जन को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराई जाएंगी। इसके कार्यान्वयन में राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी (एनएचए) और राज्य स्वास्थ्य एजेंसियां (एसएचए) महत्वपूर्ण आधार साबित होंगी। यह एजेंसियां स्वास्थ्य देखभाल में सेवाओं की लागत कम करने में सहायक होंगी।
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ऐसी उन्नत प्रणालियों का निर्माण करेगी जो संदिग्ध लेनदेन के बारे में सतर्क करेगी। इस जन हितैषी योजना के द्वारा हम स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से बीमारियों की रोकथाम एवं स्वास्थ्य देखभाल के उचित प्रबंधन पर ध्यान केन्द्रित कर एक बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था खड़ी कर पाएंगे। कुल मिलाकर प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक सेवाओं को जोड़ने वाली आयुष्मान भारत योजना न केवल देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा का विस्तार करेगी। बल्कि अगले कुछ वर्षो में यह देश के समस्त स्वास्थ्य क्षेत्र को बदलने की भी क्षमता रखती है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)