2015 में नरेंद्र मोदी और शेख हसीना ने मिलकर चार दशक पुराने सीमा विवाद का हल निकाल उसपर ऐतिहासिक द्विपक्षीय सीमा समझौता किया। इस सीमा समझौते ने दोनों देशों के रिश्तें में नई जान फूंक दी, जिसके बाद से मोदी और हसीना एकदूसरे के सहयोग के लिए सदैव तत्पर दिखाई दिए। शेख हसीना जब भारत दौरे पर आई थीं, तो भारत से उन्होंने भावनात्मक संबंधों की भी बात कही थी। दोनों देशों के बीच संबंधों में आई परस्पर सूझबूझ और गहराई का ‘बंधन एक्सप्रेस’ ताजा और सशक्त उदाहरण है।
गत 9 नवम्बर, 2017 की तारीख भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए बेहद ऐतिहासिक रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बंग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये बंधन एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई। यह सुखद था कि इन दिनों मोदी सरकार के हर फैसले पर विरोध का झंडा बुलंद करने वाली बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस अवसर पर कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ी रहीं। यह रेल सेवा सप्ताह में एक दिन बंग्लादेश के खुलना शहर से पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के बीच चलेगी। अगले सप्ताह यानी 16 नवंबर से यह रेल सेवा आम जनता के लिये शुरू हो जाएगी। यह क्रास कंट्री रेल सेवा दोनों देशों के रिश्ते को और मजबूती देगी।
गौर करें तो भारत और बंग्लादेश के संबंधों में जो ऊंचाई पिछले दो सालों में देखने को मिली है, वह अभूतपूर्व है। जाहिर है कि ये भारत-बांग्लादेश के राष्ट्राध्यक्षों के बीच बेहतर तालमेल का ही परिणाम है कि आज परमाणु से लेकर आतंकवाद के मसले पर तक दोनों राष्ट्र एक ध्रुव पर खड़े होकर एकदुसरे के सहयोग के प्रति सहयोगात्मक रुख दिखा रहे हैं।
यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भारत और बंग्लादेश के बीच पहले मैत्री एक्सप्रेस ने दोनों की मित्रता को एक ताजगी दी थी, अब बंधन एक्सप्रेस दोनों देशों के मित्रता के बंधन को अटूट बनाने का काम करेगी। दोनों देश जिस कूटनीति के साथ आगे बढ़ रहें हैं, वह स्पष्ट तौर पर एकदूसरे को भरोसे में लेकर चलने वाली है।
दरअसल शेख हसीना शुरू से ही भारत से अच्छे रिश्ते रखने की पक्षधर रही हैं। भारत की विदेश नीति भी शुरू पड़ोसियों के साथ सहयोग की रही है और एक अच्छे पड़ोसी देश का भी यह कर्तव्य बनता है कि वह पड़ोसी देश की भावना का सम्मान करे, तो भारत की इस भावना को समझने में शेख हसीना ने जरा भी देर नहीं की और भारत के साथ संबंधों को नया आयाम दिया। परिणामस्वरुप दोनों देशों के बीच में जो भी विवाद और मतभेद थे, उन सभीका निस्तारण एक–एक करके हो रहा है।
गौरतलब है कि 2015 में नरेंद्र मोदी और शेख हसीना ने मिलकर चार दशक पुराने सीमा विवाद का हल निकाल उसपर ऐतिहासिक द्विपक्षीय सीमा समझौता किया। इस सीमा समझौते ने दोनों देशों के रिश्तें में नई जान फूंक दी, जिसके बाद से मोदी और हसीना एकदूसरे के सहयोग के लिए सदैव तत्पर दिखाई दिए। शेख हसीना जब भारत दौरे पर आई थीं, तो भारत से उन्होंने भावनात्मक संबंधों की भी बात कही थी। दोनों देशों के बीच संबंधों में आई परस्पर सूझबूझ और गहराई का ‘बंधन एक्सप्रेस’ ताजा और सशक्त उदाहरण है।
इससे पहले इसी वर्ष अप्रैल में जब बंग्लादेश की प्रधानमंत्री भारत के दौरे पर आई थीं, तभी स्पष्ट हो गया था कि शेख हसीना भारत के साथ आर्थिक, परमाणु, रक्षा सभी प्रमुख क्षेत्रों में भारत से सहयोग की अपेक्षा रखती हैं। भारत भी इन सभी मसलों पर बंग्लादेश की मदद कर रहा है। चाहें बंग्लादेश की सैन्य सशक्तिकरण के लिए दिया गया पचास करोड़ डॉलर का अतिरिक्त कर्ज हो अथवा रेल संपर्क और सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढाने की बात, इन सब से दोनों देशों के संबंधो में आई प्रगाढ़ता को समझा जा सकता है।
अब यह उम्मीद भी जाग पड़ी है कि दोनों देश जल्द ही कई विवादों में सबसे प्रमुख तीस्ता संधि पर भी बात बन जाएगी, जिसका भरोसा हसीना ने भारत यात्रा के दौरान दिया था। बहरहाल, इस समय दोनों देशों के बीच शुरू हुई यह रेल सेवा दोनों देशों के नागरिकों के लिए तो आरामदायक रहेगी ही, विकास के नवीन मार्ग भी प्रशस्त करेगी। बंधन एक्सप्रेस दोनों देशों की कूटनीतिक समझदारी का एक बंधन है, जिसे एकदूसरे के प्रति विश्वास और सहयोग की मिसाल भी कह सकते हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)