ये ब्रिक्स सम्मेलन दिखाता है कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बढ़ा है भारत का दबदबा !

मोदी सरकार के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। आतंकवाद ख़त्म करने का हमारा तत्पर प्रयास दूसरे देशों को भी हमारे साथ खड़ा होने के लिए मजबूर कर रहा है। जो चीन हर बात पर पाकिस्तान के समर्थन में नज़र आता रहता था। अब उसे भी आतंकवाद के मसले पर भारत के साथ खड़े होते हुए पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करना पड़ा है।

ब्रिक्स सम्मेलन इस बार चीन के शियामन में 3 से 5 सितम्बर तक हुआ। इस समूह के पांचो सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों की उपस्थिति में भारत ने जिस तरह आतंकवाद के मुद्दे को उठाया, वो अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस सम्मेलन को ऐतिहासिक बनाते हुए पहली बार आतंकवादी संगठनो के नाम जारी किये गए। भारत ने पाक-पोषित आतंकी संगठनो के नामों पर जोर डालते हुए घोषणापत्र में कुल 18 बार आतंकवाद का ज़िक्र किया। लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद जैसे संगठनों का नाम पहली बार इस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर लिया गया और भारत द्वारा आतंकवाद को संगठित रूप से रोकने के प्रयास के लिए प्रस्ताव रखा गया। आश्चर्य की बात ये कि चीन ने भी भारत का समर्थन करते हुए आतंकवाद विरोधी तंत्र अपनाने की बात कही।  

ब्रिक्स सम्मेलन जहाँ ज्यादातर सदस्य देशों की व्यापारिक  गतिविधियों से सम्बंधित बातें होती हैं, वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कट्टरता को ख़त्म करने की और ब्रिक्स देशों को मिलकर परस्पर सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात कर इस सम्मेलन को एक नया आयाम दिया है। अफगानिस्तान में हो रहे आतंकी हमले की कड़ी निंदा करते हुए सारे देशों ने तालिबान, अलकायदा, आई एस, हिज़्ब-उत-तहरीर जैसे संगठनों को इसका कारण बताया।  

ब्रिक्स सम्मेलन – २०१७ 

अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रभाव बढ़ता जा रहा है। आतंकवाद ख़त्म करने का हमारा तत्पर प्रयास दूसरे देशों को भी हमारे साथ खड़ा होने के लिए मजबूर कर रहा है। जो चीन हर बात पर पाकिस्तान के समर्थन में नज़र आता रहता था, अब उसे भी आतंकवाद के मसले पर भारत के साथ खड़े होते हुए पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित करना पड़ा है। इसके अतिरिक्त अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का पाक़िस्तान और उसके आतंकवादी संगठनो को लताड़ते हुए भारत से अफगानिस्तान के विकास के लिए समर्थन मांगना भी भारत के बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव को ही दर्शाता है। 

डोकलाम में अपनी शर्तों पर चीन को पीछे हटाने के बाद  ब्रिक्स में चीनी ज़मीन पर जाकर चीन को अपने एजेंडे पर साथ खड़ा कर लेना मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक सफलता है। ब्रिक्स के पांचो सदस्य देशों ने कट्टरता को रोकने समेत आतंकवाद में युवकों की भर्ती से लेकर उनके वित्त पोषण को रोकने तक के लिए अंतर्राष्ट्रीय समूह  बनाने का प्रस्ताव रखा है, जिसकी मांग भारत द्वारा मोदी सरकार के आने के बाद से ही की जा रही थी।  

प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स को और मजबूती बनाने के लिए दस सूत्रीय कार्यक्रम की बात कही। सुरक्षित विश्व, पर्यावरण के अनुकूल विश्व, समानता, संयुक्त विश्व, डिजिटल विश्व, सक्षम विश्व, स्वस्थ विश्व, संयोजित और सशक्त विश्व एवं एकरस विश्व के रचना की बात की गई।  इसके अतिरिक्त व्यापार सम्बन्धी कुछ दस्तावेज़ों पे हस्ताक्षर किये गए, न्यू डेवलपमेंट बैंक और ब्रिक्स व्यापार परिषद के बीच सामरिक सहयोग के लिए मेमोरेंडम ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग की गई।  मोदी ने सोलर एनर्जी पर भी काम करने के लिए देशों से अपील की ताकि पर्यावरण को और स्वच्छ बनाया जा सके। 

विश्व बिरादरी में अपने बढ़ते ओहदे और राजनयिक नीतियों के फलस्वरूप भारत अपनी बात मनवाने से में कामयाब हो रहा है।  चीन के साथ आक्रामक स्थिति के बाद भी उसका हमें ब्रिक्स में समर्थन देना भारत के नीतियों की जीत है। इस तरह की कूटनीतिक जीतों को देखते हुए कहा जा सकता है कि जल्द ही भारत न केवल एशिया बल्कि दुनिया की बड़ी ताकतों में शुमार होगा जिसकी बातों को नज़रअंदाज़ करना दुनिया के लिए आसान नहीं होगा।

(लेखिका डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन में इंटर्न हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)