पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर भारत बंद करने वाली कांग्रेस पहले अपने गिरेबां में तो झांके!

कांग्रेस समेत दूसरी विरोधी पार्टियों की प्रशंसा तब की जाती जब वे देश के खजाने पर बोझ बने पेट्रोलियम आयात को हतोत्‍साहित करने और वैकल्‍पिक ईंधन के विकास पर मोदी सरकार का साथ देतीं; लेकिन जिन पार्टियों के लिए सत्‍ता ऑक्‍सीजन हो उनसे ऐसी अपेक्षा करना नादानी होगी। यही कारण है कि वे भारत की जड़ मजबूत करने के बजाए भारत बंद का आयोजन कर रही हैं।

वेनेजुएला की राजनीतिक उथल-पुथल, ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध, मुद्रा बाजार की उठा-पठक जैसे कारणों से कच्‍चे तेल की कीमतों में तेजी ने देश के सत्‍ताच्‍युत व जनाधार विहीन नेताओं को ऑक्‍सीजन देने का काम किया है। इन नेताओं से सबसे अहम सवाल यह है कि जब वे सत्‍ता में थे तब उन्‍होंने घरेलू तेल उत्‍पादन बढ़ाने, वैकल्‍पिक ईंधन के विकास, तेल की बचत जैसे दूरगामी उपायों पर क्‍या किया?

साभार : The Hindu

पेट्रोलडीजल की बढ़ी हुई कीमतों के विरोध में भारत बंद का आयोजन करने वाली कांग्रेस पार्टी क्‍या इस सवाल का जवाब देगी कि उसने पिछले साठ सालों के दौरान तेल उत्‍खनन के संजीदा प्रयास क्‍यों नहीं किए? 2013 में यूपीए सरकार के पेट्रोलियम मंत्री वीरप्‍पा मोइली ने खुद स्‍वीकार किया था कि तेल आयातकों की मजबूत लॉबी घरेलू तेल-गैस उत्‍पादन को बढ़ावा देने में बाधा खड़ी करती हैं। गौरतलब है कि भारत तेल व गैस के समुद्र पर तैर रहा है लेकिन 80 फीसदी क्षेत्र में अन्‍वेषण का गहन कार्य बाकी है।

दूसरी ओर प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नरेंद्र मोदी ने पेट्रोलियम पदार्थों के घरेलू उत्‍पादन पर फोकस किया ताकि आयात पर निर्भरता कम की जा सके। मोदी सरकार ने एथनॉल, मैथानॉल बायो सीएनजी जैसे वैकल्‍पिक ईंधनों के विकास की ठोस कार्ययोजना प्रस्‍तुत की। इसके नतीजे अब आने लगे हैं।

दूसरे शब्‍दों में वेस्‍ट टू वेल्‍थ की अवधारणा को साकार करने का काम मोदी सरकार ने किया। सरकार ने 2022 तक देश के तेल आयात निर्भरता में 10 फीसदी कमी करने का लक्ष्‍य निर्धारित किया है। इतना ही नहीं मोदी सरकार समूचे परिवहन ढांचे को बिजली आधारित बनाने की समयबद्ध योजना पर काम कर रही है।

आयातित पेट्रोल-गैस-डीजल पर निर्भर भारत में अब इलेक्‍ट्रिक क्रांति का आगाज हो चुका है। इससे न केवल महंगे आयात से मुक्‍ति मिलेगी बल्‍कि जानलेवा प्रदूषण में भी कमी आएगी। भारत के पहले ग्‍लोबल मोबिलिटी सम्‍मेलन मूव को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इलेक्‍ट्रिक वाहनों के संबंध में जो भी पहल की जाए उसके केंद्र में सार्वजनिक परिवहन होना चाहिए। यह तभी होगा जब उसका फोकस इलेक्‍ट्रिक कार से आगे इलेक्‍ट्रिक स्‍कूटर, रिक्‍शा और अन्‍य वाहनों पर होगा। उन्‍होंने कंपनियों से इलेक्‍ट्रिक वाहनों के साथ-साथ बैटरी और स्‍मार्ट चार्जिंग सुविधा में भी निवेश करने को कहा।

साभार : News18

प्रधानमंत्री ने कहा कि बेहतर यातायात (मोबिलिटी) अर्थव्‍यवस्‍था को आगे ले जाने का मुख्‍य साधन है। इससे न सिर्फ परिवहन का बोझ कम होगा बल्‍कि विकास दर भी बढ़ेगी। स्‍वच्‍छ ऊर्जा पर बल देते हुए उन्‍होंने आह्वान किया कि भारत को स्‍वच्‍छ किलोमीटर (कम प्रदूषण) का नेतृत्‍व करना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने दूरगामी सोच का परिचय देते हुए इलेक्‍ट्रिक वाहन के लिए सब्‍सिडी स्‍कीम फेम के दूसरे चरण को टाल दिया। उनके अनुसार गाड़ियों पर सब्‍सिडी के बजाए बैटरी की कीमत घटाने की जरूरत है, क्‍योंकि इलेक्‍ट्रिक वाहनों के दाम में 50 फीसदी हिस्‍सा बैटरी का होता है। इसके साथ-साथ उन्‍होंने इलेक्‍ट्रिक वाहनों और बायोडीजल जैसे वैकल्‍पिक ईंधन वाली गाड़ियों के लिए नई नीति लाने का आश्‍वासन दिया। प्रधानमंत्री ने 7 सी- कॉमन, कनेक्‍टेड, कन्‍वीनिएंट, केजेशन-फ्री, चार्ज्‍ड, क्‍लीन और कटिंग एज के रूप में भारत में मोबिलिटी के भविष्‍य का विजन भी प्रस्‍तुत किया।

इलेक्‍ट्रिक तथा बायोफ्यूल जैसे वैकल्‍पिक ईंधन पर चलने वाले वाहनों को प्रोत्‍साहन देने के लिए मोदी सरकार कई अनूठी पहलें कर रही है। सरकार ने इलेक्‍ट्रिक तथा बायोफ्यूल जैसे वैकल्‍पिक ईंधन पर चलने वाले वाहनों को परमिट से छूट देने का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि इलेक्‍ट्रिक वाहनों के क्षेत्र में अब तकनीक बाधा नहीं रह गई है। अब सबसे बड़ी बाधा ढांचागत सुविधाओं की है और मोदी सरकार इसे प्राथमिकता के आधार पर विकसित कर रही है। सरकार की इस पहले के सकारात्‍मक नतीजे भी आने लगे हैं।

देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने तो अगले महीने ही अपनी इलेक्‍ट्रिक कारों की टेस्‍टिंग शुरू करने की बात कही है। महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स जैसी दूसरी दिग्‍गज कंपनियों ने तो यहां तक आश्‍वासन दिया है कि यदि बैटरी व चार्जिंग जैसी बुनियादी सुविधाओं पर सरकार थोड़ा सा ध्‍यान दे तो वह कुछ ही महीनों में भारतीय माहौल के मुताबिक इलेक्‍ट्रिक कारें पेश कर सकती हैं। इसी तरह की सकारात्‍मक कार्ययोजना दूसरी कंपनियों ने भी पेश की है। स्‍पष्‍ट है, देश अब में अब हरित वाहन क्रांति होने वाली है।

कांग्रेस समेत दूसरी विरोधी पार्टियों की प्रशंसा तब की जाती जब वे देश के खजाने पर बोझ बने पेट्रोलियम आयात को हतोत्‍साहित करने और वैकल्‍पिक ईंधन के विकास पर मोदी सरकार का साथ देतीं; लेकिन जिन पार्टियों के लिए सत्‍ता ऑक्‍सीजन हो उनसे ऐसी अपेक्षा करना नादानी होगी। यही कारण है कि वे भारत की जड़ मजबूत करने के बजाए भारत बंद का आयोजन कर रही हैं।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)