एग्जिट पोल : गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भगवा लहराने के संकेत

कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने स्‍वयं मोदी सरकार पर बहुत से आरोप लगाए, जिनपर बाद वे खुद सवालों के घेरे में आ गए। उधर, भाजपा को सत्‍ता में आने से रोकने के लिए अल्‍पेश ठाकोर, हार्दिक पटेल जैसे छुटभैये नेताओं ने तरह-तरह के स्‍वांग रचे। हार्दिक पटेल ने पाटीदार समाज को आरक्षण के मुद्दे पर बरगलाने और इस्‍तेमाल करने का भी कुत्सित प्रयास किया, लेकिन चूंकि इन नेताओं की नीयत में जनसेवा या ईमानदारी का भाव न होकर अराजकता खड़ी करने का भाव था, इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि गुजरात के समझदार और दूरदर्शी मतदाताओं ने कांग्रेस सहित इन्‍हें भी आईना दिखाने के लिए मतदान कर दिया है।

गुजरात विधानसभा चुनाव में दूसरे दौर का मतदान भी पूरा हो गया। इसी के साथ गुजरात सहित हिमाचल प्रदेश, दोनों राज्‍यों के एग्जिट पोल भी सामने आ गए। ये पोल विभिन्‍न चैनलों और एजेंसियों द्वारा करवाए गए सर्वे के आधार पर जारी किए गए। इन एग्जिट पोलों का पूरे देश को बेसब्री से इंतज़ार था। जैसे ही शुक्रवार शाम साढ़े पांच बजे पोल के ज़रिये आरंभिक रूझान आना शुरू हुए, गुजरात और हिमाचल की पूरी तस्‍वीर साफ होती गई। लेकिन इतनी गहमागहमी होने के बावजूद कुछ भी अनपेक्षित नहीं लगा। यूं कहें कि इसका पूर्व आभास ही था। मोटे तौर पर कहा जाए तो गुजरात और हिमाचल प्रदेश दोनों राज्‍यों में भारतीय जनता पार्टी को भारी बढ़त मिली है और कांग्रेस बहुत पीछे छूट गई है। तकरीबन सभी एजेंसियों के पोल यही कहते नज़र आए कि दोनों राज्‍यों में भाजपा बहुमत से सरकार बना रही है।

यहां गुजरात को लेकर विशेष रूप से चर्चा करना होगी कि गुजरात का चुनाव भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों के लिए अहम और निर्णायक है। गुजरात का चुनाव जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए गृहराज्‍य होने के नाते प्रतिष्‍ठापूर्ण है, वहीं कांग्रेस के लिए अस्तित्‍व का प्रश्‍न है, क्‍योंकि इसी चुनाव के दौरान उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी कांग्रेस के अध्‍यक्ष बनाए गए और अब तक के उनके नाकाम प्रदर्शन के बाद उनकी भूमिका सीधे-सीधे कठघरे में आने वाली है।

यदि एग्जिट पोल के अनुमानों की बात करें तो गुजरात में भाजपा पूर्ण बहुमत सीटों के साथ सत्‍ता पर काबिज होती नज़र आ रही है। यह चौथा अवसर होगा जब यहां भाजपा की लगातार सरकार बनेगी। एग्जिट पोल्स की मानें तो कांग्रेस की हार का क्रम बदस्‍तूर जारी रहने वाला है और पहले से भी अधिक दुर्गति होने की संभावना है।

गुजरात में एक बार फिर से मोदी का जादू चलता दिख रहा है, जिसके आगे कांग्रेस के तमाम हथकंडे और दुष्‍प्रचार की सतही राजनीति सिरे से निष्‍फल सिद्ध होती नजर आ रही। यदि हिमाचल की बात करें तो वहां भी भाजपा दो तिहाई बहुमत हासिल करके सत्‍ता में आ रही है। हालांकि ये सिर्फ एग्जिट पोल के अनुमान हैं, अंतिम परिणाम 18 दिसंबर को आएँगे, जिसके बाद ही जीत-हार की वास्तविक स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। पर उम्मीद है कि वास्तविक परिणाम भी मूलतः इससे भिन्न नहीं होंगे।

यदि हम पोल के अनुमानों के अनुसार ही चुनावी नतीजों को हूबहू मानकर चलें तो निश्‍चित ही भाजपा की बड़ी जीत बनकर आ रहे हैं। ज्यादातर चैनलों के पोल ने गुजरात में बीजेपी को 110 से 115 सीटें मिलने का अनुमान जताया है, जबकि कांग्रेस महज 70 से 75 में सिमटती नज़र आ रही है। सबसे विश्वसनीय माने जाने वाले  न्‍यूज़ 24- टुडेज चाणक्‍य के एग्जिट पोल के अनुसार तो भाजपा गुजरात में 135 तक सीटें ला रही है और कांग्रेस केवल 47 सीटों पर ही सीमित है। यानी यहां भाजपा को 50 प्रतिशत वोटिंग का लाभ मिल रहा है। टाइम्‍स नाउ वीएमआर के पोल के अनुसार भी भाजपा गुजरात में 109 सीटों के साथ स्‍पष्‍ट बहुमत हासिल कर रही है। एबीपी-सीएसडीएस के अनुसार सौराष्‍ट्र, कच्‍छ सहित दक्षिणी व उत्‍तर गुजरात में बीजेपी को भारी बढ़त मिल रही है। निश्चित तौर पर इन एग्जिट पोल्स के द्वारा भाजपा की जीत की आहट भी स्पष्ट हो रही है।

दरअसल गुजरात चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूरी भाजपा को अपमानित करने व दुष्‍प्रचारित करने में कांग्रेस ने कोई कसर नहीं छोड़ी। मणिशंकर अय्यर ने तो पीएम के खिलाफ अभद्रता की हदें पार करके बेहद आपत्तिजनक शब्‍दावली का इस्‍तेमाल कर डाला था। हालांकि कांग्रेस ने अय्यर पर फौरी कार्यवाही करते हुए अपने हाथ बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन इससे बहुत डैमेज कंट्रोल होने की उम्मीद नहीं की जा सकती।

कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने स्‍वयं मोदी सरकार पर बहुत से आरोप लगाए, जिनपर बाद वे खुद सवालों के घेरे में आ गए। उधर, भाजपा को सत्‍ता में आने से रोकने के लिए अल्‍पेश ठाकोर, हार्दिक पटेल जैसे छुटभैये नेताओं ने तरह-तरह के स्‍वांग रचे। हार्दिक पटेल ने पाटीदार समाज को आरक्षण के मुद्दे पर बरगलाने और इस्‍तेमाल करने का भी कुत्सित प्रयास किया, लेकिन चूंकि इन नेताओं की नीयत में जनसेवा या ईमानदारी का भाव न होकर अराजकता खड़ी करने का भाव था, इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि गुजरात के समझदार और दूरदर्शी मतदाताओं ने कांग्रेस सहित इन्‍हें भी आईना दिखाने के लिए मतदान कर दिया है।

कांग्रेस की इसी अदूदरर्शिता का खामियाजा हिमाचल में वीरभद्र सिंह को भी भुगतना पड़ सकता है। एग्जिट पोल के मुताबिक़ यहां विधानसभा की 68 सीटों में से 41 पर भाजपा ही अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही है। कांग्रेस शासित इस राज्‍य में कांग्रेस को केवल 25 ही सीटें मिलने का अनुमान है। इससे पता चलता है कि देश का मतदाता भी अब देश को कांग्रेस मुक्‍त बनाने की ठान चुका है। चाणक्या का पोल तो हिमाचल में भाजपा को पूरी 55 सीटें दे रहा है और कांग्रेस यहां केवल 13 सीटों पर ही सिमट रही है।

हिमाचल के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव इस अर्थ में भी महत्‍वपूर्ण है, क्‍योंकि पिछली बार जब यहां चुनाव हुए थे, तब केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। लेकिन अब चूंकि समूचा देश कांग्रेस की सच्‍चाई और चरित्र को जान चुका है, इसलिए प्रत्‍येक राज्‍य में, प्रत्‍येक दिशा में कांग्रेस का क्रमवार सफाया होता जा रहा है।

यहां यह बात भी उल्‍लेख करने योग्‍य है कि इस बार हिमाचल में रिकार्डतोड़ मतदान हुआ जिसे 75 प्रतिशत दर्ज किया गया। जब सत्‍ता हावी होती है और जनता उदासीन होती है, तो मतदान औसत या सामान्‍य होता है। लेकिन, यदि लोग पूरे उत्‍साह से बढ़-चढ़कर वोट करें तो यह इस बात का संकेत होता है कि जनता कुछ बड़ा करने वाली है। यह एक छुपा हुआ संकेत है कि जनता सत्‍ता-परिवर्तन चाहती है और अपने मताधिकार का सही उपयोग करने को प्रतिबद्ध है।

विभिन्‍न प्रकार के एग्जिट पोल का एक ही स्‍वर है कि गुजरात व हिमाचल प्रदेश में भाजपा स्‍पष्‍ट बहुमत प्राप्त कर सरकार बना रही है। देश में तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू कायम है ही, गुजरात में भी उनकी लोकप्रियता में अभी कोई कमी नहीं आई है। राहुल गांधी को अभी जनता का दिल जीतना नहीं आया है, क्‍योंकि उनकी राजनीतिक मंशा और संस्कार ही नकारात्‍मक हैं। चूंकि हार्दिक पटेल हिंसा और अराजकता की राजनीति के उत्‍पाद हैं, इसलिए उनसे नफरत की राजनीति ही अपेक्षित है; लेकिन जहां तक राहुल गांधी की बात है, वे सौ से अधिक साल पुरानी कांग्रेस के लिए असफलता के संवाहक से अधिक कुछ नहीं बन पाए हैं।

चूंकि, कांग्रेस अध्‍यक्ष के रूप में उनकी ताजपोशी हो चुकी है, इसलिए उनके सामने स्‍वयं के साथ-साथ कांग्रेस के भी राजनीतिक वजूद को बनाए रखने की कठिन चुनौती है। फिलहाल तो 18 दिसंबर का इंतजार है ताकि यह देखा जा सके कि एग्जिट पोल के अनुमान धरातल पर कितना सटीक बैठते हैं।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)