आज चार वर्षों के कार्यकाल में नरेंद्र मोदी की सरकार अपने वादों को पूरा करने की दिशा में तेजी से बढ़ रही है। कुछ वादे पूरे हो चुके हैं, कुछ पर काम जारी है। इस दौरान नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है, बल्कि वृद्धि ही हुई है; यह बात अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के सर्वेक्षणों में भी उभरकर आई है। दरअसल सरकार की नीति और नीयत दोनों ठीक हैं, इसलिए जनता का उसपर विश्वास बरक़रार है।
26 मई, 2014 का दिन था, जब नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। आज (26 मई, 2018) उनके कार्यकाल को 4 वर्ष पूरे हो गए हैं। 16 मई, 2014 वो तारीख थी, जिस दिन आम चुनावों के बाद हिन्दुस्तान की नई सियासी इबारत लिखी जा रही थी। लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को जनादेश दिया था और विशाल बहुमत के साथ एक गैरकांग्रेस दल की सरकार बनने जा रही थी।
इस तारीख के बाद लोगों के चेहरे पर रौनक के साथ-साथ एक उम्मीद थी। पड़ोसी देश पाकिस्तान, जो लगातार हिन्दुस्तान की पीठ में छुरा घोंपता रहा है, वो भी हैरान था; क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में जनमत पर सवार होकर एक ‘चाय बेचने वाला’ प्रधानमंत्री की गद्दी पर बैठने जा रहा था। नरेंद्र मोदी की सफलता का एक बड़ा कारण यह था कि देश की जनता कांग्रेस के शासनकाल के घोटालों से तंग आ चुकी थी। यूपीए शासनकाल के घोटाले कांग्रेस को 2014 के लोकसभा चुनावों में ले डूबे।
वर्ष 2014 के आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी का परचम लहराने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की जोड़ी राज्य-दर-राज्य विधानसभा चुनावों की जीत अपने खाते में लिखवाती चली गई। इसके साथ ही नरेंद्र मोदी का राजनीतिक आधार भी लगातार फैलता रहा। कुल मिलाकर अब यह कहा जा सकता है कि भारत की आधी से भी अधिक आबादी पर भारतीय जनता पार्टी की सत्ता चल रही है। इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी ने दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनने का रिकॉर्ड भी दर्ज कर लिया है।
2014 के लोकसभा चुनावों के बाद हुए तमाम राज्यों के चुनाव केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार के लोक-कल्याणकारी कामों और नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़े गए, जिनमें ज्यादातर में भाजपा विजयी होकर सरकार बनाने में कामयाब रही। आज प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी के सामने विपक्ष मुद्दाहीन होकर कमजोर पड़ गया है। जो केन्द्र सरकार का विरोध कर भी रहे थे, वे अपनी स्थिति को नए सिरे से मजबूत करने को विवश हो गए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी का प्रभाव ऐसा है कि रैलियों में कही गई उनकी बातें लोगों पर इस कदर प्रभाव छोड़ती हैं कि उनमें से तमाम चलन में आ जाती हैं। सबका साथ-सबका विकास, अबकी बार मोदी सरकार, देश का चैकीदार, न खाऊंगा न खाने दूंगा जैसी बातें आए दिन लोग बोलते रहते हैं। नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता ने पिछले चार वर्षों में भारत की सीमा लांघ विदेशों में भी अपना असर दिखाया है।
किसने कल्पना की थी कि भारतीय राजनीति के क्षितिज पर एक अज्ञात व्यक्ति किसी चमकते नक्षत्र की भांति अचानक उभरेगा और चारों ओर उसका आभामंडल छा जाएगा। नरेंद्र मोदी की खूबी यह है कि वो अपने आलोचकों को अपनी विफलताओं को उजागर करने का मौका ही नहीं देते। अगर हम 2014 में हुए लोकसभा चुनाव पर नजर डालें तो पता चलता है कि 2014 का लोकसभा चुनाव ‘मोदी लहर’ के नाम रहा और भाजपा ने अप्रत्याशित बहुमत के साथ केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाई।
आज चार वर्षों के कार्यकाल में नरेंद्र मोदी की सरकार अपने वादों को पूरा करने की दिशा में तेजी से बढ़ रही है। कुछ वादे पूरे हो चुके हैं, कुछ पर काम जारी है। इस दौरान नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है, बल्कि वृद्धि ही हुई है; यह बात अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के सर्वेक्षणों में भी उभरकर आई है। दरअसल मोदी सरकार की नीति और नीयत दोनों ठीक हैं, इसलिए जनता का उसपर विश्वास बरक़रार है।
(ये लेखक के निजी विचार हैं।)