वित्त वर्ष 2017-18 की इस दूसरी तिमाही की जीडीपी में पिछली तिमाही की अपेक्षा बड़ी वृद्धि दर्ज की गयी है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ बीते तीन महीनों में सर्वोच्च स्तर पर आंकी गई है। यह खबर ऐसे समय में सामने आई है, जबकि विपक्षी दल आए दिन केंद्र सरकार को अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर घेरने की कोशिश करते रहे हैं और निराधार आरोप लगाते रहे हैं। निश्चित ही मूडीज की रेटिंग और अब इस जीडीपी वृद्धि के बाद विपक्ष के पास बोलने के लिए कुछ नहीं रह गया है।
देश अर्थव्यवस्था के नए दौर से गुज़र रहा है। ऐसा समझें कि आर्थिक सुधारों के बाद देश में नई अर्थक्रांति का सूत्रपात हुआ है। नोटबंदी और जीएसटी जैसे बड़े आर्थिक सुधारों के बाद पूरे विश्व में भारत की साख भी बढ़ी है, रैंकिंग भी और अब वैश्विक परिदृश्य में भारत को एक मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देश के रूप में देखा जा रहा है। पिछले दिनों मूडीज ने भारत की सॉवरेन रेटिंग भी बढ़ाई और ग्लोबल सॉल्युशन कंपनियों ने आंकड़े जारी करके बताया कि देश में डिजिटल कस्टमर्स की तादाद तेजी से बढ़ रही है।
इसी क्रम में ताजा उपलब्धि जीडीपी ग्रोथ रेट को लेकर सामने आई है। वित्त वर्ष 2017-18 की इस दूसरी तिमाही की जीडीपी में पिछली तिमाही की अपेक्षा बड़ी वृद्धि दर्ज की गयी है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ बीते तीन महीनों में सर्वोच्च स्तर पर आंकी गई है। यह खबर ऐसे समय में सामने आई है, जबकि विपक्षी दल आए दिन केंद्र सरकार को अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर घेरने की कोशिश करते रहे हैं और निराधार आरोप लगाते रहे हैं। निश्चित ही पहले मूडीज की रेटिंग और अब इस जीडीपी दर में वृद्धि के बाद विपक्ष के पास बोलने के लिए कुछ नहीं रह गया है।
कहा जा सकता है कि नोटबंदी और जीएसटी के बाद आए अस्थायी विराम के बाद अब अर्थव्यवस्था ने गति पकड़ ली है। गत नवंबर के महीने में मैन्युफैक्चरिंग के सूचकांक में बढ़ोतरी हुई और यह बढ़कर 52 के स्तर तक पहुंचा है। इससे पहले यह 50 पर था। तकनीकी भाषा में इसे मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई कहा जाता है। माना जा रहा है कि वर्ष 2016 की अंतिम तिमाही के बाद यह बेहतर आंकड़ा है। ये सब अर्थव्यव्था के तकनीकी शब्द हैं। इसकी सरल व्याख्या यही है कि देश में उत्पादन के क्षेत्र में अब इजाफा हो रहा है। कारखानों की स्थिति सुधर रही है। कारखानों में होने वाले निर्माण कार्यों में 2012 के बाद अब तेजी देखी जा रही है।
इधर, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी स्पष्ट कर दिया है कि अब भारत की विकास दर के अनुमानों में भी संशोधन किया जाएगा। इसके प्रवक्ता का कहना है कि विश्व इकानॉमिक आउटलुक में इन आंकड़ों को शामिल करने की कवायद की जा रही है। इसीके साथ ही आईएमएफ ने जीडीपी दर में आई बढ़ोतरी को एक अच्छा, सकारात्मक और सृजनात्मक पक्ष बताया है।
केंद्र सरकार ने भी इस दिशा में सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के प्रमुख विवेक देवराय कहते हैं कि विकास दर में तेजी का अनुमान फिलहाल कायम है। ये स्थिति इसीलिए बनी है, क्योंकि भारत सरकार ने रोजगार के क्षेत्र में अनेक सार्थक कदम उठाए हैं। आने वाले कुछ समय में यह परिदृश्य स्थायी रहने का अनुमान है।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गत 13 माह में आए सर्वाधिक उछाल पर खुशी जताते हुए कहा है कि अब जीएसटी के स्लैब भी कम किए जाएंगे। इसके चलते 12 और 18 प्रतिशत की जीएसटी दरों का विलय हो सकता है। राहत भरी बात तो यह है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर साढ़े पांच प्रतिशत ही थी जो कि बहुत आगे बढ़ गई है। अब देश विकास के पथ पर तेजी से अग्रसर है।
इस पूरे मामले में रोचक और संतोषजनक बात यह रही कि यूपीए सरकार में वित्त मंत्री रहे वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पी. चिंदबरम ने भी अर्थव्यस्था की इस उपलब्धि पर संतोष जताया है। उन्होंने अपने एक वक्तव्य में इस बात को स्वीकारा है कि अर्थव्यवस्था में अब गिरावट का क्रम थम गया है। उनका कहना है कि अभी एक साल और रुककर देखना होगा, तब जाकर आगे की गति का पता चलेगा।
लेकिन उनके अनुमान से विपरीत जहां तक इंडस्ट्रीज सेक्टर और फाइनेंशियल एजेंसियों का सवाल है, वे इस परिवर्तन को लेकर बेहद उत्साहित हैं। जीडीपी के ताजा आंकड़ों ने पूरे देश भर में उद्योग जगत में उत्साह का संचार किया है। सीआईआई के जनरल डायरेक्टर चंद्रजीत बनर्जी भी कहते हैं कि मौजूदा साल की दूसरी तिमाही में सात प्रतिशत की जो विकास दर आई है, उसने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब देश में जल्द ही औद्योगिक परिदृश्य बदलने वाला है। जहां तक मौजूदा वित्तीय वर्ष की तिमाही की बात है, जीडीपी दरों में अभी और अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद जताई जा रही है। केंद्र सरकार के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि बनकर सामने आया है। इसके चलते अब भविष्य में एक मजबूत विकास दर की नींव रखी जा सकेगी। ये अर्थव्यवस्था के अच्छे दिन हैं।
केंद्र सरकार के आंकड़ों के अनुसार जीडीपी विकास दर में इजाफे का अनुमान है। वित्त सचिव हसमुख अढिया कहते हैं कि प्राप्त आंकड़े तो केवल शुरुआती आंकड़े हैं। ये बढ़ भी सकते हैं। जारी सांख्यिकी कहती है कि कोर सेक्टर में मैन्युफैक्चरिंग, बिजली उत्पादन, गैस, जलापूर्ति, परिवहन, कम्युनिकेशन, व्यवसाय, होटल आदि में 6 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर्ज की गई है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)