आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र जिस गुजरात की धरती से राहुल गांधी किसानों को समृद्धि का ख्वाब दिखा रहे हैं, उस गुजरात में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री रहते हुए कृषि क्रांति ला चुके हैं। मोदी के नेतृत्व में सूखे गुजरात में जो कृषि क्रांति हुई थी, उसमें कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के सीखने के लिए बहुत कुछ है। यदि वे गुजरात के इस फार्मूले को कांग्रेस शासित राज्यों में लागू करते हैं, तो वहां के खेतों में भी समृद्धि की फसल लहलहाएगी।
गुजरात में कांग्रेस की खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुजरात का ताबड़तोड़ दौरा कर रहे हैं। चूंकि मोदी को सांप्रदायिक ठहराने की 2014 की कांग्रेसी मुहिम उल्टा असर दिखा चुकी है, इसलिए कांग्रेस इस बार विकास को मुद्दा बना रही है। राहुल गांधी कभी नोटबंदी तो कभी जीएसटी के बहाने बेरोजगारी का मुद्दा उठा रहे हैं।
विकास को पागल घोषित करने के साथ-साथ वे किसानों का मुद्दा भी जोर-शोर से उठा रहे हैं, लेकिन उसके समाधान का कोई ठोस उपाय नहीं सुझा पा रहे हैं। ठोस उपाय उनके पास हैं भी नहीं, क्योंकि कांग्रेस शासित और हरित क्रांति के अगुवा रहे पंजाब में आज हर रोज औसतन तीन किसान आत्महत्या कर रहे हैं। जिस गुजरात की धरती से राहुल गांधी किसानों को समृद्धि का ख्वाब दिखा रहे हैं, उस गुजरात में वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री रहते हुए कृषि क्रांति ला चुके हैं।
उदारीकरण के दौर में कृषि क्षेत्र उपेक्षा व बदहाली का शिकार बना रहा। इसका नतीजा गरीबी, असमानता, गांवों से पलायन, कस्बों व छोटे शहरों में जीविका के साधनों की कमी आदि के रूप में सामने आया। गुजरात की स्थिति इससे अलग नहीं थी, लेकिन नरेंद्र मोदी के राज्य की बागडोर संभालते ही स्थिति बदल गई।
मोदी सरकार ने सबसे पहला कार्य पानी के क्षेत्र में किया, क्योंकि पानी की कमी के कारण ही राज्य की अधिकतर जमीन अनुपजाऊ बनी हुई थी। इसके लिए भूजल प्रबंधन पर सर्वाधिक बल दिया और वर्षा की प्रत्येक बूंद को संग्रहित कर उसे सिंचाई के काम में लाने की रणनीति अपनाई गई। इसके तहत पूरे गुजरात में रोक बांध, तालाब, कुएं बनाने का अभियान चलाया गया और दस वर्षों में पांच लाख से अधिक जल संरचनाएं बना दी गईं। इससे वर्षा जल के भूजल बनने के रास्ते खुले और जल स्तर में 3-5 मीटर तक की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।
गुजरात में साबरमती नदी जहां गर्मियों में सूख जाती थी, वहीं नर्मदा का पानी बेकार में समुद्र में बह जाता था। इसे देखते हुए मोदी सरकार ने नदियों को जोड़ने का अनूठा अभियान चलाया। सबसे पहले साबरमती को नर्मदा से जोड़ा गया। इससे न सिर्फ अहमदाबाद शहर को भरपूर पानी मिलने लगा बल्कि गुजरात की अन्य नदियां जो गर्मी में सूखी रहती थीं, वे जलमग्न रहने लगीं क्योंकि नर्मदा में जब कभी बाढ़ आती है तो वह पानी नहरों के माध्यम से इन नदियों में डाल दिया जाता है।
इतना ही नहीं, इससे अन्य जलाशय, कुंए और नलकूप भी रिचार्ज होते रहते हैं। नर्मदा परियोजना के माध्यम से गुजरात की 23 नदियों के जुड़ जाने से गुजरात बाढ़ एवं जल संकट से निजात पा चुका है। पानी की एक-एक बूंद को सिंचाई के काम में लाने के लिए गुजरात ने ड्रिप इरीगेशन की शुरूआत किया। इसमें पानी पौधों की जड़ों में दिया जाता है, जिससे उसकी बर्बादी नहीं होती है।
नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गुजरात सरकार ने कृषि वैज्ञानिकों और सेवा प्रदाताओं को एक मंच पर एकजुट किया और उनका किसानों से सीधा सामना कराया। इसके लिए राज्य में कृषि रथों की व्यवस्था की गई। किसानों तक कृषि वैज्ञानिकों और सेवा प्रदाताओं की पहुंच बनाने के लिए पूरे राज्य में हर साल एक महीने तक चलने वाले कृषि महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस दौरान ये कृषि रथ किसानों की कृषि संबंधी समस्याओं का मौके पर ही समाधान करते हैं। मिट्टी की विविधता को देखते हुए सभी किसानों को मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड जारी किया गया। इसी आधार पर किसानों को उपयुक्त फसल उगाने की सलाह दी जाती है।
नेट हाउस, ग्रीन हाउस, पॉली हाउस जैसी आधुनिक कृषि विधियों से बागवानी फसलों की खेती ने किसानों की समृद्धि की राह खोल दी। इस समय देश में सबसे ज्यादा पॉली हाऊस गुजरात में हैं। किसानों को उनकी उपज की वाजिब कीमत दिलाने के लिए गांवों को सड़कों से जोड़ा गया। एक अध्ययन के मुताबिक गुजरात की ग्रामीण सड़के पूरे देश में सबसे अच्छी हैं और राज्य के तकरीबन 100 फीसदी गांवों को पक्की सड़कों के जरिए जोड़ा जा चुका है।
कृषि विकास के क्रम में मोदी सरकार ने यह समझने में देर नहीं की कि पशुपालन के बिना कृषि विकास अधूरा है। इसीलिए पशुओं की स्वास्थ्य देखभाल का राज्यव्यापी नेटवर्क स्थापित किया गया। इससे पशुओं में होने वाली 122 तरह की बीमारियों से गुजरात मुक्त हो गया है। देश में गुजरात पहला ऐसा राज्य है जहां पशुओं की आंखों में होने वाली मोतियाबिंद की जांच और उनका ऑपरेशन होता है। कृषि महोत्सव की भांति पशुपालन के लिए पशु स्वास्थ्य मेलों का आयोजन भी किया गया।
सबसे बड़ी बात यह है कि राज्य में औद्योगिक विकास कृषि भूमि और गांवों की कीमत पर नहीं हुआ है। स्पष्ट है, मोदी के नेतृत्व में सूखे गुजरात में जो कृषि क्रांति हुई उसमें कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के सीखने के लिए बहुत कुछ है। यदि वे गुजरात के इस फार्मूले को कांग्रेस शासित राज्यों में लागू करते हैं, तो वहां के खेतों में भी समृद्धि की फसल लहलहाएगी।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)