घर में गरीबी थी, इसलिए जयराम के पिता जेठूराम उनसे कहा करते थे कि घर के काम में हाथ बंटाओ, क्योंकि राजनीति गरीबों के लिए नहीं है। लेकिन, जयराम तो किसी और ही मिट्टी के बने थे। उन्होंने अपने हौसलों की उड़ान जारी रखी और आगे बढ़ते-बढ़ते प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर पहुँच गए। जयराम ठाकुर समृद्ध आर्थिक पृष्ठभूमि से नहीं थे, इसलिए कॉलेज से जैसे ही वक़्त मिलता कैंपस के साथ ही लगे मामू टी स्टाल का काम भी संभाल लेते। चाय की दुकान के मालिक दीनानाथ बताते हैं कि मंत्री बन जाने के बाद भी वो चाय की दुकान पर लगातार आते रहे।
हिमाचल में सत्ता का बदलाव हुआ है और इस खूबसूरत बदलाव का स्वागत भी हो रहा है। कांग्रेस हार गई है और भाजपा की भारी जीत हुई है। इस बदलाव के क्रम में जो व्यक्ति प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने जा रहा है, उनकी पृष्ठभूमि भी काफी रोचक है। मंडी के सेराज विधान सभा से एक ऐसा नेता उभर कर राष्ट्रीय परिदृश्य पर सामने आया है, जिनको देख कर देश के हर उस बच्चे को समाजसेवा और देशसेवा में आने का दिल करेगा, जो गरीबी में रहते हुए आगे नहीं बढ़ पाता। विषम आर्थिक परिस्थितियों से लड़ता हुआ एक शख्स हिमाचल के राजनीतिक शिखर पर पहुँच गया है। नाम है जयराम ठाकुर।
सभी नहीं जानते कि जयराम ठाकुर के पिता जेठू राम बढई का काम करते रहे हैं। लकड़ी की नक्काशी करते-करते उन्होंने अपने बेटे का जीवन ही संवार दिया। मंडी के वल्लभ कॉलेज में जयराम अपनी कक्षा के मॉनिटर रहे, वहीं से उन्होंने अपने सियासी जीवन की शुरुआत की। 1984 में वह छात्र राजनीति में आए। ईमानदारी और लगन के बूते पर वह आगे बढ़ते गए और सेराज से पांच बार विधायक चुने गए। जयराम के बड़े भाई अनंत अब भी पिता से मिली नक्काशी की कला की विरासत को संभाले हुए हैं, वहीं बहन अनु ठाकुर आंगनबाड़ी वर्कर का काम कर रही हैं।
घर में गरीबी थी, इसलिए जयराम के पिता जेठूराम उनसे कहा करते थे कि घर के काम में हाथ बंटाओ, क्योंकि राजनीति गरीबों के लिए नहीं है। लेकिन, जयराम तो किसी और ही मिट्टी के बने थे। उन्होंने अपने हौसलों की उड़ान जारी रखी और आगे बढ़ते-बढ़ते प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर पहुँच गए। जयराम ठाकुर समृद्ध आर्थिक पृष्ठभूमि से नहीं थे, इसलिए कॉलेज से जैसे ही वक़्त मिलता कैंपस के साथ ही लगे मामू टी स्टाल का काम भी संभाल लेते। चाय दुकान के मालिक दीनानाथ बताते हैं कि मंत्री बन जाने के बाद भी वो चाय की दुकान पर लगातार आते रहे।
जयराम खुद कहते हैं कि पिता की माली हालत ठीक नहीं थी, इसलिए वे कॉलेज जाने से पहले दो साल तक अपनी पढ़ाई छोड़ कुछ पैसे कमाकर फिर आगे की शिक्षा हासिल कर सके। मंडी से बीए पास किया, आगे मास्टर्स की पढ़ाई पंजाब यूनिवर्सिटी से कर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् में शामिल हो गए और संघ में भी अपनी पहचान बनाई।
आज प्रदेश भर के लोगों ही नहीं, पूरे देश को इस बात पर गौरव है कि भाजपा जैसी पार्टी में एक ऐसे व्यक्ति को सीएम बनने का मौका मिलता है जो गरीबी से लड़कर सियासत में आया है। वास्तव में इस तरह की आर्थिक बदहाली से सम्बंधित पृष्ठभूमि के नेताओं का उभार भाजपा जैसी संगठन आधारित पार्टी में ही संभव भी है। परिवार और व्यक्ति आधारित पार्टियों में इस तरह की चीजें नहीं हो सकतीं।
जयराम ठाकुर जिस मंडी जिले से हैं, वहां बीजेपी ने 10 में से 9 सीटें जीत ली हैं, यह भी एक कमाल है। भाजपा कार्यकर्ताओं का उत्साह इस बात से दुगुना हो गया है कि आने वाले समय में मजदूर, बढ़ई और चाय बेचने वालों के बच्चे भी सत्ता के शिखर तक पहुँचने में कामयाब होंगे। अभी तक तो सिर्फ पीएम नरेन्द्र मोदी की चाय वाले के बेटे के रूप में चर्चा होती थी, लेकिन अब ऐसी उम्मीद है कि जयराम ठाकुर भी आने वाले दिनों में असंख्य युवाओं की प्रेरणा का प्रतीक बनकर राजनीति में संघर्ष, सादगी और शुचिता के महत्व को बढ़ाने का काम करते रहेंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)