वित्त वर्ष 2013-14 में 3.79 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किया था, जो वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर 6.85 करोड़ हो गया। सीबीडीटी के अध्यक्ष सुशील चंद्रा के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान प्रत्यक्ष कर और जीडीपी अनुपात 5.98 प्रतिशत रहा, जो विगत 10 वर्षों में सबसे बेहतर है।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) के अनुसार 1 करोड़ रूपये से अधिक आय अर्जित करने वाले करदाताओं की संख्या वित्त वर्ष 2017-18 में 68 प्रतिशत बढ़कर 1 लाख 40 हजार हो गई, जो वित्त वर्ष 2013-14 में 89 हजार थी। इस अवधि में एक करोड़ से अधिक आय दिखाने वाले करदाताओं में बड़े कारोबारी, फर्म्स, हिंदू अविभाजित परिवार आदि शामिल हैं। इधर, इस अवधि में आयकर जमा करने वालों की संख्या में 80 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।
वित्त वर्ष 2013-14 में 3.79 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किया था, जो वित्त वर्ष 2017-18 में बढ़कर 6.85 करोड़ हो गया। सीबीडीटी के अध्यक्ष सुशील चंद्रा के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान प्रत्यक्ष कर और जीडीपी अनुपात 5.98 प्रतिशत रहा, जो विगत 10 वर्षों में सबसे बेहतर है।
सीबीडीटी के अध्यक्ष के अनुसार करोड़पति आयकर दाताओं की संख्या में बढ़ोतरी का श्रेय सीबीडीटी के प्रयासों को जाता है। आयकर विभाग द्वारा विगत 4 सालों के दौरान कानून में सुधार, सूचना के प्रसार एवं कड़ाई से कानून का पालन करवाने की दिशा में कड़े कदम उठाये गये हैं। इन प्रयासों की वजह से ही मामले में बेहतर परिणाम देखने में आये हैं। स्वाभाविक रूप से सीबीडीटी ने इन कार्रवाइयों को वित्त मंत्रालय के दिशा-निर्देश में अंजाम दिया है।
दिलचस्प बात यह है कि 1 करोड़ रूपये आय अर्जित करने वाले आयकर दाताओं की संख्या बढ़ने के बाद भी अभी बड़ी संख्या में पढे-लिखे जिम्मेदार नागरिक आयकर जमा नहीं कर रहे हैं। उदाहरण के तौर पर देश में लगभग 8.6 लाख डॉक्टरों में आधे से भी कम आयकर जमा कर रहे हैं। आज की तारीख में देश के दूर-दराज के इलाकों में भी निजी नर्सिंग होम हैं, लेकिन आयकर जमा करने वालों की संख्या महज 13 हजार है।
सीबीडीटी के अनुसार वेतनभोगी और गैर-वेतनभोगी करदाताओं के औसत आय में बढ़ोतरी हुई है। वेतनभोगी करदाताओं द्वारा घोषित औसत आय 19 प्रतिशत बढ़कर 5.76 लाख रुपये से 6.84 लाख रुपये हो गया है, जबकि इसी अवधि में गैर वेतनभोगी करदाताओं की औसत आय 27 प्रतिशत बढ़कर 4.11 लाख रुपये से 5.23 लाख रुपये हो गया। आंकड़ों के अनुसार गैर वेतन भोगियों की तुलना में वेतनभोगी करदाताओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
सीबीडीटी के खुलासे से यह बात भी सामने आई है कि कॉर्पोरेट करदाताओं ने वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान औसतन 32.28 लाख रुपये का कर चुकाया था, जबकि वित्त वर्ष 2017-18 में यह 55 प्रतिशत बढ़कर 49.95 लाख रुपये हो गया। इस अवधि में व्यक्तिगत करदाताओं द्वारा किया गया औसत कर भुगतान 26 प्रतिशत बढ़कर 46,377 रुपये से 58,576 रुपये हो गया।
कर चोरी निश्चित रूप से चिंता की बात है। ऐसी स्थिति ईमानदार करदाताओं के लिये अच्छी खबर नहीं है। ऐसे आंकड़े उन्हें हतोत्साहित कर सकते हैं। लिहाजा, सीबीडीटी की योजना ईमानदार करदाताओं का सम्मान करने की है। वे चाहते हैं कि कर चोरी करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाये। कर चोरी करने वालों के प्रति सरकार सख्त नजर आ रही है, उससे प्रयासों का ही परिणाम है कि कर सग्रह में वृद्धि हो रही है और आगे भी उम्मीद है कि सरकार की कोशिशों से कर चोरी में कमी आएगी तथा आयकर राजस्व में और वृद्धि होगी।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)