पिछली सरकारें भी औद्योगिक नीति तैयार करती थीं, लेकिन जमीन पर उसका कोई सकारात्मक असर दिखाई नहीं दिया। क्योंकि उसके अनुरूप व्यवस्था या सुविधाएं उपलब्ध कराने पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था। जबकि योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले इन कमजोरियों पर ध्यान दिया। इनको दूर करने के बाद उन्होने औद्योगिक नीति लागू की। उसमें निवेशकों के लिए अपेक्षित सुविधाओं का इंतजाम किया गया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने औद्योगिक विकास का कारगर रोडमैप तैयार किया है। इसके प्रति निवेशकों ने उत्साह दिखाया है। इसमें संदेह नहीं कि उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास की दौड़ में बहुत पीछे रह गया। अब ऐसा लग रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस स्थिति में सुधार का बीड़ा उठाया है। उनकी सरकार ने एक साथ कई मोर्चे पर कार्य शुरू किया है। योगी आदित्यनाथ ने इसे अपनी निगरानी में रखा है। यही कारण है कि नौकरशाही भी इसी के अनुरूप मुस्तैदी दिखाने लगी है। औद्योगिक विकास का पूरा रोडमैप तैयार किया गया है।
पिछली सरकारें भी औद्योगिक नीति तैयार करती थीं, लेकिन जमीन पर उसका कोई सकारात्मक असर दिखाई नहीं दिया। क्योंकि उसके अनुरूप व्यवस्था या सुविधाएं उपलब्ध कराने पर कोई ध्यान नहीं दिया गया था। जबकि योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले इन कमजोरियों पर ध्यान दिया। इनको दूर करने के बाद उन्होने औद्योगिक नीति लागू की। उसमें निवेशकों के लिए अपेक्षित सुविधाओं का इंतजाम किया गया।
योगी आदित्यनाथ म्यांमार और मॉरीशस गए थे। दोनों देशों में उन्होने वहां के कारपोरेट घरानों के साथ बैठक की। उन्हें उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए आमंत्रित किया। योगी इस तैयारी के साथ गए थे। संबंधित अधिकारी और विशेषज्ञ उनके साथ थे। लखनऊ में उन्होने नीदरलैंड के राजदूत और बिलगेट्स से मुलाकात की। दोनों के साथ उत्तर प्रदेश के विकास में सहयोग पर सहमति बनी है।
नीदरलैंड ने लखनऊ में अपना उप दूतावास खोला है। देश में यह उनका पहला उप दूतावास है। नीदरलैंड उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए सहमत हुआ है। बिल गेट्स की संस्था प्रदेश में अनेक समस्याओं के समाधान में योगदान करेगी। जाहिर है कि योगी के कदमों से प्रदेश में निवेश का माहौल बन रहा है। इसका कारण है कि उन्होने केवल प्रचार के लिए औद्योगिक नीति नहीं बनाई, बल्कि बाधक तत्वों को पहले दूर किया। इसमें सबसे प्रमुख भ्रष्टाचार की संभावना के मार्गों को बंद करना था। शुरुआत यहीं से होती है। लेकिन पहले उद्योग की मंजूरी लेने में ही दम निकल जाती थीं। कई विंडो से फाइल गुजरती थी। प्रत्येक विंडो पर बाधाओं का अंबार रहता था। फाइल कैसे आगे बढ़ती थी, यह बताने की जरूरत नहीं है।
उत्तर प्रदेश में विकास के बहुत दावे होते रहे हैं। कई काम गिनाए भी जाते हैं। सपा सरकार में यह भी दम भरा गया की ऐसा विकास आज तक कहीं नहीं हुआ। लेकिन जहां तक औद्योगिक विकास का प्रश्न है, उत्तर प्रदेश बीमारू ही रह गया। यहां का माहौल निवेश के अनुकल नहीं था। कारपोरेट घरानों की समिट होती थी, लेकिन परिणाम दिखाई नहीं देता था। क्योंकि निवेशक उत्तर प्रदेश के प्रति आकर्षित नहीं हो सके। उद्योग की स्थापना के संबन्ध में जो निर्णय दो तीन महीने में होने चाहिए थे, उनपर पांच वर्ष में भी निर्णय की गारंटी नहीं थी। उत्तर प्रदेश निर्यात में आगे बढ़े इसकी भी चिंता नहीं कि गयी। अभी तक देश के कुल निर्यात में उत्तर प्रदेश का हिस्सा मात्र पांच प्रतिशत है।
योगी सरकार औद्योगिक विकास की दर बढ़ाने के लिए इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ‘फिक्की’ की भी मदद लेगी। इसके अलावा आईआईटी कानपुर जैसी संस्थाओं का भी सहयोग लिया जाएगा। सरकार ने उत्तर प्रदेश के निर्यात को भी दुगना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस मामले में भी देश का यह सबसे बड़ा प्रदेश बहुत पीछे रह गया। प्रत्येक जिले को एक-एक उत्पाद आवंटित किया जा रहा है। इन उत्पादों से उनकी पहचान जुड़ेगी।
वास्तव में पहले ऐसा ही था। लेकिन धीरे धीरे यह पहचान समाप्त होती चली गई। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार भी बहुत कम हो गया। योगी इसे पुनः मजबूत बनाना चाहते है। इसको कौशल विकास से जोड़ा जाएगा। निर्यातकों को सभी संभव सुविधाएं दी जाएंगी। हाईवे पर विभिन्न उत्पादों के औद्योगिक सेक्टर विकसित किये जायेंगे। वस्तुतः हाईवे पर ऐसी योजना बहुत पहले बनाई जानी चाहिए थी। इससे इन मार्गों पर सुविधाओं का विकास होगा। औद्योगिक सेक्टर की स्थापना होने से आयात निर्यात को भी प्रोत्साहन मिलेगा।
योगी आदित्यनाथ प्रगति मैदान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मेले में गए । यहां भी उन्होने उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए कारपोरेट जगत के लोगों से बात की। इनमें उन देशों के लोग भी शामिल थे, जिन्होने योगी सरकार की औद्योगिक नीति को बहुत व्यावहारिक और बेहतर बताया था। इसके अलावा योगी से अब तक डेढ़ दर्जन से ज्यादा विदेशी राजदूत मिल चुके हैं। इनके देशों ने उत्तर प्रदेश में निवेश करने की योजना बनाई है।
औद्योगिक विकास के साथ के साथ शहर और ग्रामीण इलाकों की मूलभूत समस्याओं के समाधान के विषय को भी जोड़ा गया है। पूर्वांचल चालीस वर्षो से जापानी इंसेफलाइटिस से जूझ रहा है। योगी आदित्यनाथ ने बिलगेट्स और उनकी टीम से इस संबन्ध में भी चर्चा की। वह इसमें सहयोग देंगे। शुद्ध पेयजल और मेडिकल सुविधाओं, अनुसन्धान आदि में बिलगेट्स की संस्था सहयोग देगी।
स्पष्ट है कि योगी आदित्यनाथ ने औद्योगिक विकास को व्यापक स्वरूप दिया है। पर्यटन को उद्योग के रूप में विकसित करने की शुरुआत वह पहले ही कर चुके हैं। यह स्पष्ट दिखने लगा है कि उत्तर प्रदेश अगले कुछ वर्षों में विश्व पर्यटन के नक्शे पर बेहतर जगह बनाएगा। अब तक ताजमहल को लेकर हम खुश थे। अब इसमें अनेक केंद्र जुड़ेंगे। यह कहा जा सकता है कि इस बार उत्तर प्रदेश में केवल सरकार ही नही बदली है, व्यवस्था में भी बदलाव किया जा रहा है।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)