इन्वेस्टर समिट : ‘तुम हमें निवेश दो, हम तुम्हें सुरक्षा देंगे’

योगी इन्वेस्टर समिट को परंपरा के निर्वाह तक  सीमित नहीं रखना  चाहते। पिछली सरकारों ने भी उद्योगपतियों  के शानदार जमावड़े किये थे। लेकिन जमीन पर  प्रस्तावों का क्रियान्वयन नहींन्हों सका। जबकि योगी आदित्यनाथ की सरकार इन्वेस्टर समिट, उसके माध्यम से आने वाले प्रस्तावों और उनपर अमल तीनों  पर एक रणनीति बना कर चल रही है। इससे बेहतर परिणाम की उम्मीद की जा सकती है।

उत्तर प्रदेश  इन्वेस्टर समिट का समय करीब  आ रहा है। इस बीच सरकार ने  निवेशकों को एक अच्छा सन्देश दिया। इसमें कहा गया कि  तुम हमें निवेश दो हम तुम्हें सुरक्षा  देंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछली सरकार की कमजोरियों से सबक लिया है। खराब कानून व्यवस्था न केवल  लोगों को परेशान करती है, उससे निवेशकों का भी  मोहभंग होता है। बेहतर कानून व्यवस्था  सुशासन की पहली शर्त होती है। पहले एक सरकार ने निवेश हेतु एक नेता को अलग से कैबिनेट मंत्री  के दर्जे से नवाजा था। 

उन्होंने अपने निजी संबंधों के बल पर समिट भी आयोजित की। लेकिन, ये कवायद कागज पर ही रह गई। वर्षो बाद भी उनका  उनका क्रियान्वयन नहीं हो सका। इसका प्रमुख कारण था कि निवेश के  अनुकूल माहौल बनाने की ओर ध्यान ही नहीं दिया गया। योगी आदित्यनाथ ने व्यवहारिकता पर ध्यान दिया। वह चाहते तो  समिट और पहले भी बुला सकते थे। मुख्यमंत्री के आमंत्रण पर समिट हो भी जाती। लेकिन, तब पिछली और वर्तमान सरकारों के बीच कोई अंतर न रहता।

योगी ने सभी संबंधित तथ्यों पर पहले ध्यान दिया। इसके लिए सरकार की कार्यशैली में बदलाव किया गया। निर्णय को पारदर्शी और आसान बनाया गया। जमीन, बिजली आदि के लिए पहले से योजना बनाई गई। सरकार की इच्छा के अनुरूप नौकरशाही के कार्य करने का तरीका भी बदला। इसके बाद ही योगी ने इतनी बड़ी और महत्वपूर्ण समिट के आयोजन का फैसला लिया। पूरी योजना सुनियोजित है। एक-एक कदम उसी दिशा में बढ़ रहे है। समिट के पहले ही भागीदारों और सरकार के बीच बेहतर संवाद की स्थिति बन गई है। निवेशकों की उत्तर प्रदेश  को लेकर धारणा बदल रही है।

कानून व्यवस्था पर भी सरकार का ध्यान है। पहले निवेशकों के उत्तर प्रदेश से कतराने का यह भी बड़ा कारण था। योगी आदित्यनाथ सुधार के लिए कटिबद्ध हैं। इस मसले पर उनकी  दृढ़ता विधान परिषद में दिखाई दी। यहां उन्होंने विपक्ष की दलीलों को खारिज कर दिया। ऐलान किया कि अपराधियों के खिलाफ  कार्यवाही जारी रहेगी। अब तक अपराधियों  के साथ बारह सौ मुठभेड़ हो चुकी है। यहां यह समझना होगा कि एनकाउंटर या मुठभेड़ के मतलब अपराधी को गोली मार देना ही  नहीं होता। सजा देना न्यायपालिका का कार्य होता है। सुरक्षा बल उन्हें पकड़ कर अदालत तक  पहुंचाते है। सरकार अपराधी तत्वों के साथ सख्ती से निपटेगी।

वस्तुतः विधान परिषद में सत्तापक्ष अल्पमत में है। विधानपरिषद के सभापति ने नोएडा मुठभेड़ की  सीबीआई जांच कराने को कहा था। मुख्यमंत्री ने ठीक कहा कि यह हमारे दायरे में नहीं है। सरकार अपना कार्य कर रही है। लोगों को सुरक्षा देना, निवेश और विकास के अनुकूल माहौल बनाना उसका दायित्व है। सरकार इस पर अमल कर रही है। योगी ने कहा कि कुछ लोग जनता के प्रति जबाबदेही की जगह अपराधियों,  माफिया सरगना और असामाजिक तत्वों के प्रति सहानुभूति व्यक्त कर  रहे हैं।  

जाहिर है, योगी आदित्यनाथ कानून व्यवस्था पर किसी प्रकार के दबाव में आने को  तैयार नहीं हैं। वह जानते है कि इसमें ढिलाई से प्रदेश का नुकसान होगा। इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ निवेश के लिए भी कमर कस चुके हैं। समिट की शुरुआत के  पहले ही  सरकार अनेक  कारगर कदम उठा चुकी है। इससे एक बड़ी हद तक माहौल में बदलाव भी आया है। इसका अनुभव निवेशकों को होने लगा है। वह निवेश के लिए उत्सुक है। औपचारिक समिट से पहले  ही निवेश के प्रस्ताव मिलने शुरू हो गए है। सरकार ने  निवेश हेतु जमीन संबन्धी प्रस्ताव पर सहमति को आसान बना दिया है।

राजस्व संहिता संशोधन विधेयक 2018 को कैबिनेट ने पहले ही मंजूरी प्रदान कर दी थी। सीलिंग से जुड़े प्रावधान को सरल बनाया जा रहा है। भू-उपयोग बदलने को आसान बनाया गया है।  इससे निवेश और कारोबार को प्रोत्साहन मिलेगा। मॉरीशस,  जापान,  नीदरलैंड,  चेक गणराज्य,  फिनलैंड,  थाईलैंड,  स्लोवाकिया,  समिट के पार्टनर कंट्री के रूप में उपस्थित रहेंगे। योगी सरकार द्वारा बनाये गए अनुकूल माहौल का ही परिणाम है कि अब तक  करीब साढ़े पांच हजार निवेशक समिट के लिए रजिस्ट्रेशन करा चुके है। पांच सौ शीर्ष उद्योगपति और चार सौ प्रवासी भारतीय भी इसमें शामिल होंगे। इस प्रकार योगी एक साथ दो मोर्चों पर कार्य कर रहें हैं।

एक तो उन्होने  कानून व्यवस्था पर ध्यान दिया। दूसरी प्राथमिकता  विकास को दी गई। योगी इन्वेस्टर समिट को परंपरा के निर्वाह तक  सीमित नहीं रखना  चाहते। पिछली सरकारों ने भी उद्योगपतियों  के शानदार जमावड़े किये थे। लेकिन जमीन पर  प्रस्तावों का क्रियान्वयन नहींन्हों सका। जबकि योगी आदित्यनाथ की सरकार इन्वेस्टर समिट, उसके माध्यम से आने वाले प्रस्तावों और उनपर अमल तीनों  पर एक रणनीति बना कर चल रही है। इससे बेहतर परिणाम की उम्मीद की जा सकती है।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)