गत वर्ष जेडीएस के प्रदेश अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी ने सिद्धारमैया पर निशाना साधा था। उन्होंने सिद्धारमैया पर विलासिता का आरोप लगाते हुए बताया था कि सिद्धारमैया 70 हज़ार रुपए कीमत के जूते पहनते हैं जबकि उनके ही राज्य में लाखों लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। खैर, इन दावों से इतर भी देखें तो पिछले ही साल आरटीआई में भी एक बहुत चौंकाने वाला खुलासा हुआ था कि कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने 60 लाख रुपए की बड़ी रकम केवल चाय, पानी और बिस्किट पर ही खर्च कर डाली। इन बातों का मजमून यही है कि सिद्धारमैया ने पांच साल तक केवल जनता के पैसे विकास की बजाय अपने भोग-विलास पर खर्च किए हैं।
कनार्टक में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस की अपनी-अपनी तैयारियां हैं। दोनों दलों नेता जनता के बीच रैलियां, सभाएं करते हुए अपनी बात अवाम तक पहुंचा रहे हैं। मूल रूप से हिंदी भाषी राज्य न होने के बावजूद यहां हिंदी में दिए गए भाषणों को तरजीह मिल रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कनार्टक राज्य के सघन भ्रमण पर हैं। इस क्रम में वे बेल्लारी, कलबुर्गी, बेंगलुरु, उडुपी आदि स्थानों पर सभाएं कर चुके हैं। उन्हें अवाम की ओर से सकारात्मक प्रतिसाद मिल रहा है। इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी कनार्टक में आकर सभाएं कर रहे हैं, जिसमें वे हमेशा की तरह मोदी सरकार पर निरर्थक आरोप लगाते नज़र आ रहे हैं।
यहां जो बात गौर करने योग्य है, वो यह है कि पीएम मोदी यहां स्वयं की सरकार का बखान करने की बजाय कांग्रेस की सरकार का आईना अधिक दिखा रहे हैं। उन्होंने तथ्यों के साथ अपनी बात रखते हुए कहा भी कि इस राज्य में कांग्रेस ने खनन माफिया से निपटने की कोई नीति नहीं बनाई। राज्य में किसानों को पानी नहीं मिल पाया जबकि यहां पानी के अच्छे स्त्रोत हैं। कलबुर्गी में हुई पीएम मोदी की सभा में बहुत बड़े पैमाने पर जनता उमड़ी जबकि इन दिनों भीषण गर्मी पड़ रही है।
इसी बात पर चुटकी लेते हुए मोदी ने कहा कि लगता है, कर्नाटक की जनता गर्मी को बर्दाश्त करने तैयार है, लेकिन कांग्रेस को सहन करने की स्थिति में नहीं है। मोदी ने इतिहास के पन्ने खंगालते हुए जनता को बताया कि किस तरह कांग्रेस ने सैनिकों के साथ सदा दुर्व्यवहार ही किया। उडुपी में हुए रोडशो में मोदी को जनता का जर्बदस्त रिस्पांस मिला। यहां भी पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस के दिन पूरे हो चुके हैं। स्वयं इस राज्य की जनता ने ही अब कांग्रेस को दण्ड देने का मन बना लिया है।
यदि हम तथ्यों की बात करें, तो पीएम मोदी ने सटीक बात कही है कि कर्नाटक में कांग्रेस के शासनकाल में अराजकता चरम पर पहुंच चुकी है। बीते दो वर्षों में यहां खूनखराबा बढ़ गया है। सैकड़ों की संख्या में भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या हुई, लेकिन सरकार चुप रही। अपराध का ग्राफ बढ़ता ही जा रहा है।
अपने भाषणों में मोदी न केवल केंद्र सरकार की उपलब्धियों का उल्लेख कर रहे हैं, बल्कि कर्नाटक के लिए ठोस कार्ययोजना भी लेकर आ रहे हैं। उन्होंने बताया है कि वे यहां क्या-क्या सुविधाएं देंगे। उन्होंने जमीनी स्तर पर बात करते हुए प्राकृतिक आपदा में फसल नष्ट होने पर किसानों के लिए फसल बीमा योजना का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जनधन योजना आने के बाद देश की 40 फीसदी आबादी, जो कि बैंकिग सिस्टम से वंचित थी, अब बैंकिग सिस्टम का हिस्सा बन चुकी है।
राहुल गांधी को खुली चुनौती देते हुए यदि पीएम ने ऐसा कहा कि राहुल 15 मिनट में बिना कागज पढ़े बोलकर दिखाएं तो इस बात का निहितार्थ समझना चाहिये। यदि मोदी ऐसा कह रहे हैं, तो वे ये नहीं कह रहे हैं कि राहुल केवल यंत्रवत बोलकर चले जाएं, उनका ज़ोर इस बात पर है कि राहुल के पास बतौर उपलब्धि बोलने के लिए कुछ है ही नहीं, तो वे क्या बोलकर दिखाएंगे।
यही बात राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पर भी लागू होती है। वे चाहकर भी अपनी उपलब्ध्यिां नहीं गिना सकते क्योंकि उन्होंने बीते पांच वर्षों में गिनाने लायक कुछ किया ही नहीं है। उनके पास गिनाने के लिए कुछ नहीं है, इसलिए वे बोल नहीं सकते। कांग्रेस केवल परिवारवाद की राजनीति करना जानती है, विकास की राजनीति करना कांग्रेस की प्राथमिकता में कभी नहीं रहा।
गौरतलब है कि गत वर्ष जेडीएस के प्रदेश अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी ने सिद्धारमैया पर निशाना साधा था। उन्होंने सिद्धारमैया पर विलासिता का आरोप लगाते हुए बताया था कि सिद्धारमैया 70 हज़ार रुपए कीमत के जूते पहनते हैं जबकि उनके ही राज्य में लाखों लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।
खैर, इन दावों से इतर पिछले ही साल आरटीआई में भी एक बहुत चौंकाने वाला खुलासा हुआ था कि कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने क्स्हार साल में 60 लाख रुपए की बड़ी रकम केवल चाय, पानी और बिस्किट पर ही खर्च कर डाली। यह राशि उनसे मिलने आने वाले लोगों के अलावा उनके रिश्तेदारों पर भी खर्च की गई थी। इन बातों का मजमून यही है कि सिद्धारमैया ने पांच साल तक केवल जनता के पैसे विकास की बजाय अपने भोग-विलास पर खर्च किए हैं।
कर्नाटक में सिद्धारमैया की सरकार अब दमनकारी शासन के रूप में चरम पर पहुंच चुकी है। मालूम हो कि कर्नाटक राज्य की 224 विधानसभा सीटों के लिए आगामी 12 मई को पहले चरण की वोटिंग होनी है। इसके परिणाम 15 मई को आएंगे। जनता की गाढ़ी कमाई के पैसे पर भोग-विलास करने वाले सिद्धारमैया से अब राज्य के मतदाता हिसाब चुकता करने के मूड में नज़र आ रहे हैं।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)