स्वच्छ भारत अभियान की बदौलत भारत को स्वच्छ बनाने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किये गये हैं। इस अभियान को शुरू करने के समय देश में स्वच्छता कवरेज 39 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर 67.5 प्रतिशत हो गई है। 44,650 वॉर्डों में आज शत-प्रतिशत कचरा इकठ्ठा किया जा रहा है। कुल मिलाकर सरकार के प्रयासों को देखते हुए कहा जा सकता है कि गांधी के स्वच्छ भारत के स्वप्न, जिसे उनपर अधिकार जताने वाली कांग्रेस ने अनदेखा किया, को मोदी सरकार पूरा करने की दिशा में पूरी इच्छाशक्ति के साथ बढ़ रही है। उम्मीद है कि सरकार के ये प्रयास जल्द ही रंग लाएंगे और हम एक स्वच्छ भारत बनाने में कामयाब होंगे।
महात्मा गाँधी ने एक “स्वच्छ भारत” का सपना देखा था। वह चाहते थे कि भारत एक स्वच्छ देश के रूप में जाना जाये, लेकिन आजादी के सात दशक बाद भी अभी भारत को स्वच्छ नहीं बनाया जा सका है। चूंकि, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकारें स्वच्छता के महत्व को समझी ही नहीं। महात्मा गांधी के इस अधूरे सपने को पूरा करने के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को देश के सभी लोगों से इस अभियान से जुडने की अपील की, जिसके तहत देश को स्वच्छ रखने और खुले में शौच करने की प्रथा से निजात पाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री द्वारा 2 अक्टूबर, 2019 तक भारत को एक स्वच्छ देश में बदल देने का संकल्प व्यक्त किया गया।
गौरतलब है कि इस दिन महात्मा गाँधी की 150 वीं जयंती मनाई जायेगी। जल्द से जल्द इस सपने को साकार करने के लिये प्रधानमंत्री ने सभी से एक साल में कम से कम 100 घंटे श्रमदान करने की अपील की है। मृदला सिन्हा, सचिन तेंदुलकर, बाबा रामदेव, अनिल अंबानी, प्रियंका चोपड़ा आदि नामचीन लोग भी इस अभियान से जुड़े गये हैं, जिससे देशभर में इस सरोकार के प्रति सकारात्मक माहौल बना है।
इक्कीसवीं शताब्दी में जब देश विश्व पटल अपनी मजबूती उपस्थिति दर्ज करा रहा है, देश के कई भागों में हमारी माँ, बहन और बेटी को शौच के लिये रात का इंतजार करना पड़ता है। इससे बड़ी शारीरिक यातना उनके लिये क्या हो सकती है। स्कूलों में भी आज लड़कियों के लिये अलग से शौचालय की व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण एक बड़ी संख्या में वे बीच में ही स्कूल छोड़ने के लिये मजबूर हैं।
देश के कई इलाकों में आज भी मैला ढोने का चलन है। स्थिति में बदलाव के लिये हर घर में शौचालय का होना जरूरी है, लेकिन भारत जैसे बड़े एवं विविधतापूर्ण देश में फिलवक्त भी हर घर में शौचालय नहीं है और इसे बनाने की राह में भी अनेक अड़चने हैं। इन दिक्कतों को दूर करना भी प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान का लक्ष्य है और वे इस दिशा में निरंतर रूप से प्रयास कर रहे हैं।
स्वच्छ भारत अभियान का मकसद शहर एवं गाँव में व्याप्त गंदगी का समूल नाश करना है। इस क्रम में सामुदायिक शौचालयों एवं घरों में शौचालय के निर्माण के माध्यम से खुले में शौच करने की प्रवृति पर रोक लगाने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि खुले में शौच करने की मजबूरी को खत्म किया जा सके।
ग्रामीण क्षेत्र में शौचालय की समस्या सबसे ज्यादा गंभीर है। स्वच्छ ग्रामीण क्षेत्र में ही बेहतर ग्रामीण जीवन की कल्पना की जा सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में 2 अक्टूबर 2019 तक 11 करोड़ 11 लाख शौचालयों के निर्माण का लक्ष्य है, जिसपर एक लाख चौंतीस हज़ार करोड़ रूपये की लागत आयेगी। तकनीक की मदद से ग्रामीण क्षेत्र में अपशिष्ट प्रबंधन के साथ-साथ जैव उर्वरक और ऊर्जा के विभिन्न रूपों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है। मोदी सरकार चाहती है कि इस अभियान को सफल बनाने के लिये ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे, युवा, बूढ़े खास करके शिक्षक बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें, जिसमें पंचायत, पंचायत समिति एवं जिला परिषद की सहभागिता को भी सुनिश्चित किया जाये।
प्रत्येक पारिवारिक इकाई के लिये शौचालय की लागत की सहायता राशि को 10,000 से बढ़ाकर 12,000 रुपये किया गया है। शौचालय निर्माण लिए सरकार द्वारा दी जाने वाली वित्तीय सहायता में केंद्र सरकार का योगदान 9,000 रुपये और राज्य सरकार का योगदान 3,000 रुपये होगा। वहीं जम्मू एवं कश्मीर, उत्तरपूर्व राज्यों एवं विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों को केंद्र सरकार द्वारा 10,800 रूपये और राज्य सरकार द्वारा 1,200 रुपये दिया जायेगा। इस आलोक में शौचालय निर्माण की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिये दूसरे स्रोतों से प्राप्त होने वाली सहायता पर किसी प्रकार की बंदिश नहीं है।
2.5 लाख सामुदायिक शौचालय, 2.6 लाख सार्वजनिक शौचालय और प्रत्येक शहर में एक ठोस अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी। जिन आवासीय क्षेत्रों में व्यक्तिगत घरेलू शौचालयों का निर्माण करना संभव नहीं है, वहाँ सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया जायेगा। इस क्रम में पर्यटन स्थल, बाजार, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन आदि स्थानों पर सार्वजनिक शौचालय का निर्माण किया जायेगा।
आंकड़ों के अनुसार 4401 शहरों में इस योजना को लागू कराया जायेगा, जिसके अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा 14,623 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जिसमें से 7,366 करोड़ रुपये ठोस अपशिष्ट प्रबंधन पर 4,165 करोड़ रुपये व्यक्तिगत घरेलू शौचालय के निर्माण पर 1,828 करोड़ रुपये जन-जागरूकता अभियान पर एवं 655 करोड़ रुपये समुदाय शौचालय बनाने पर खर्च किये जायेंगे। इसके बरक्स अस्वच्छ शौचालयों का पुनर्निर्माण, मैला ढ़ोने की प्रथा का उन्मूलन, अपशिष्ट प्रबंधन एवं स्वच्छ रहने के लिये जन-जागरूकता अभियान भी चलाया जायेगा। ।
स्वच्छ भारत अभियान की बदौलत भारत को स्वच्छ बनाने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किये गये हैं। इस अभियान को शुरू करने के समय देश में स्वच्छता कवरेज 39 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर 67.5 प्रतिशत हो गई है। 2.38 लाख गाँव “खुले में शौच से मुक्ति” की श्रेणी में आ गये हैं। आंकड़ों के अनुसार शहरी इलाकों में 29,79,945 घरेलू शौचालयों का निर्माण किया गया है।
44,650 वॉर्डों में आज शत-प्रतिशत कचरा इकठ्ठा किया जा रहा है। शहरों में 2,19,169 सामुदायिक एवं सार्वजनिक शौचालयों का भी निर्माण किया गया है, जो लक्ष्य के अनुरूप प्रगति है। अपशिष्ट से विद्युत निर्माण की क्षमता बढ़कर 94.2 मेगावाट हो गई है। 1286 ऐसे शहर हैं जहाँ कोई भी खुले में शौच नहीं करता है। ग्रामीण क्षेत्रों में 2 अक्तूबर, 2014 से अब तक 4,80,80,707 शौचालयों का निर्माण किया गया है।
196 ऐसे जिले हैं जहाँ कोई खुले में शौच नहीं करता है। नीति आयोग के मुताबिक वर्ष 2019 तक कोई खुले में शौच नहीं करे के लिये 5.5 करोड़ घरेलू शौचालय एवं 1,15,000 सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराने की जरूरत है। आज सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, केरल, हरियाणा, उत्तराखंड आदि ऐसे राज्य हैं जहाँ कोई भी खुले में शौच नहीं करता है। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2018 तक दस और राज्य इस श्रेणी में आ जायेंगे।
स्वच्छता अभियान हो या शौचालय बनाने की बात हो इसके लिये सिर्फ सरकार की तरफ देखना ठीक नहीं, ये हमारा और आपका भी कर्तव्य है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्वच्छ भारत का निर्माण आवश्यक है, क्योंकि अस्वच्छता से भारत की छवि खराब हो रही है। स्वच्छ भारत अभियान पोर्टल के माध्यम से लोगों को इस अभियान से जुडने के लिये एक मंच प्रदान किया गया है, जिससे जुड़कर लोग इस अभियान को तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं।
अधिक-से-अधिक लोगों के इस अभियान से जुड़ने से यह एक जन-आंदोलन का रूप ले रहा है। कहा जा सकता है कि देशभर में स्वच्छता के प्रति सकारात्मक माहौल बन रहा है। “टायलेट एक प्रेम कथा” फिल्म इसकी ताजा बानगी है। जब समाज में व्याप्त समस्या पर सिनेमा बनने लगे तो समझिए कि समस्या के समाधान के लिये समाज में संवेदनशीलता बढ़ रही है। सरकार के इस मुद्दे पर गंभीर रहने से लक्ष्य को हासिल करना और भी आसान हो गया है।
कुल मिलाकर सरकार के इन प्रयासों को देखते हुए कहा जा सकता है कि गांधी को स्वच्छ भारत के स्वप्न, जिसे उनपर अधिकार जताने वाली कांग्रेस ने अनदेखा किया, को मोदी सरकार पूरा करने की दिशा में पूरी इच्छाशक्ति के साथ बढ़ रही है। उम्मीद है कि सरकार के ये प्रयास जल्द ही रंग लाएंगे और हम एक स्वच्छ भारत बनाने में कामयाब होंगे।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र,मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में मुख्य प्रबंधक हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)