अय्यर ने पाकिस्तान परस्त और भारत विरोधी बयान पहली बार नहीं दिया है, एकबार पहले भी वे पाकिस्तान में जाकर ऐसा कारनामा कर चुके हैं। पूर्व में मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान में जाकर मोदी सरकार को हटवाने के लिए मदद मांगते नजर आ चुके हैं। अब फिर उनका पाकिस्तान समर्थक और भारत विरोधी बयान आया है। इसके अलावा वर्ष 2015 में इस्लामाबाद स्थित जिन्ना इंस्टिट्यूट में दिए एक लेक्चर के दौरान वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शरीक होकर नवाज शरीफ ने दूरदर्शिता का परिचय दिया था, लेकिन भारत में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पाकिस्तान के शांति संदेश का माकूल जवाब देने में नाकाम रही।
चुनावों में लगातार शिकस्त खाने के बाद भी कांग्रेस की आदतें सुधरी नही हैं। कांग्रेस के कुछ नेता ऐसे हैं, जिन्होंने शायद ठान लिया है कि वह पार्टी की बची हुई साख का भी भट्टा बिठाकर ही मानेंगे। कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर जब भी पाकिस्तान दौरे पर जाते हैं, उनका भारतीय प्रेम समाधि ले लेता है। पाकिस्तान की सरजमीं पर पैर रखते ही अय्यर की जुबान से उर्दू के ऐसे शब्द निकलने लगते है मानो वह उन्हीं का घर हो। जो पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा और वैश्विक कांफ्रेंस में भारत के खिलाफ जहर उगलता आया हो, अय्यर को उसी से प्यार है। पिछले दिनों पाकिस्तान के दौरे पर गए अय्यर ने कहा कि वे भारत से ज्यादा प्यार पाकिस्तान से करते हैं।
अय्यर ‘कराची लिटरेचर फेस्टिवल’ में हिस्सा लेने पाकिस्तान पहुँचे थे और वहाँ भारत को गलत ठहरा दिए। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अय्यर ने पाकिस्तान की नीतियों पर खुशी जाहिर की, वहीं भारत की नीतियों को लेकर गुस्सा जाहिर किया। मणिशंकर अय्यर ने कहा, ‘भारत और पाकिस्तान के बीच के मुद्दों को सुलझाने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है, और वह है बातचीत का रास्ता। मुझे बहुत गर्व है कि पाकिस्तान ने इस नीति को स्वीकार कर लिया है, लेकिन दुखी भी हूं कि इसे भारतीय नीति के तौर पर नहीं अपनाया गया।’ उन्होंने कहा कि लगातार बातचीत से बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान हो जाता है।
जिस वक्त मणिशंकर यह बायन दे रहे थे, उस वक्त उनके जहन में यह बात क्यों नहीं आई की हर बार पाकिस्तान ही भारत की पीठ में छूरा भौंकता आया है। कारगिल युद्ध हो या फिर सीजफायर उल्लंघन, हमेशा पाकिस्तान ही नियमों का उल्लंघन करता है और भारत को मजबूरी में जवाब देना पड़ता है। भारतीय सेना, पाकिस्तान की सेना को जवाब देने के लिए इसलिए मजबूर है क्योंकि उसे देश के लोगों की रक्षा करनी है। ऐसे में, तुच्छ टिप्पणी करने वाले इन कांग्रेसी नेताओं के कारण ही आज देश में रहने वाले माता-पिता अपने बच्चों को सेना में भेजने से कतराते हैं। वो जानते हैं कि जिस देश की रक्षा की कमान उसके नौजवान बेटे के हाथों में होगी, वहीं के ये नेता उसे लज्जित करेंगे।
अय्यर ने पाकिस्तान परस्त और भारत विरोधी बयान पहली बार नहीं दिया है, एकबार पहले भी वे पाकिस्तान में जाकर ऐसा कारनामा कर चुके हैं। पूर्व में मणिशंकर अय्यर पाकिस्तान में जाकर मोदी सरकार को हटवाने के लिए मदद मांगते नजर आ चुके हैं। अब फिर उनका पाकिस्तान समर्थक और भारत विरोधी बयान आया है। इसके अलावा वर्ष 2015 में इस्लामाबाद स्थित जिन्ना इंस्टिट्यूट में दिए एक लेक्चर के दौरान वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शरीक होकर नवाज शरीफ ने दूरदर्शिता का परिचय दिया था, लेकिन भारत में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पाकिस्तान के शांति संदेश का माकूल जवाब देने में नाकाम रही।
पिछले लोकसभा चुनावों में जिस तरह कांग्रेस ने पटखनी खाई थी, लगता है कि पार्टी के नेताओं ने उससे कोई सबक नहीं लिया है और जब लोकसभा चुनावों में सिर्फ एक साल का वक्त बचा हुआ है, ऐसे में इस तरह का रुख कांग्रेस के लिए बेहद घातक हो सकता है। इस तरह की बयानबाजी करने वाले नेताओं पर कांग्रेस को लगाम लगाने की आवश्यकता है। मगर, ऐसा लगता है, जैसे इस तरह के बयानों को काग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की भी शह मिली होती है। क्योंकि, सलमान खुर्शीद भी तब वैसा वक्तव्य देकर पार्टी में बने रहे थे, अब मणिशंकर अय्यर को पार्टी से निलंबित बताकर उनके बयान से किनारा करने की कोशिश हो रही है। अगर पार्टी उनसे इस कदर असहमत है, तो ऐसे बयान के लिए तो अबतक उन्हें पार्टी से पूर्णतः निष्काषित कर दिया जाना चाहिए था। मगर, ऐसा कुछ नहीं हुआ है, ऐसे में सवाल उठता है कि कांग्रेसी शीर्ष नेतृत्व क्या कांग्रेसी नेतओं के पाकिस्तान प्रेम का अंदर-अंदर समर्थन करता है ?
(लेखिका पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)