कारोबार को सुगम बनाने के लिए मोदी सरकार विश्व बैंक के साथ मिलकर ज्यादा से ज्यादा सुधारों को अमलीजामा पहनाने की कोशिश कर रही है। अगर इस प्रयास में सरकार को सफलता मिलती है तो ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस के मामले में भारत शीर्ष 50 देशों की श्रेणी में पहुँचने में कामयाब हो जायेगा। फिलहाल, 10 में से 8 पैमानों पर भारत ने सुधार किया है। विश्व बैंक के मुताबिक 3 सालों में पिछले साल भारत में सबसे ज्यादा सुधार हुआ है।
केंद्र सरकार ने देश में निवेश को प्रोत्साहन देने और कारोबारी सुगमता को बढ़ाने के लिए तरह तरह के सुधार किये हैं, जिसे तकनीकी भाषा में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस कहते हैं। सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप पिछले वर्ष ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत ने रिकॉर्ड 30 पायदान सुधार कर 100वां स्थान हासिल किया था। इस साल भारत 50वें स्थान को पाना चाहता है, लेकिन इसमें सुधार करने के लिये लगभग ढाई महीने का ही समय बचा है। लिहाजा, इसके लिये भारत को बहुत मेहनत करने की जरूरत है।
विश्व बैंक दस मानदंडों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार करता है, जो बताता है कि कौन सा देश कारोबार के लिहाज से कितना बेहतर है। इस क्रम में कारोबारी सुगमता को रैंकिंग के निर्धारण का मुख्य आधार बनाया जाता है। विश्व बैंक की पिछली रिपोर्ट में न्यूजीलैंड पहले स्थान पर था और सिंगापुर दूसरे। इस साल रैकिंग के निर्धारण की तिथि 1 मई तय की गई है और रैंकिंग की घोषणा अक्टूबर महीने में की जायेगी।
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत नये कारोबार को शुरू करने में लगने वाला समय, खरीद-फरोख्त वाले उत्पादों के लिये वेयरहाउस बनाने में लगने वाला समय, उसकी लागत व प्रक्रिया, किसी कंपनी के लिये बिजली कनेक्शन में लगने वाला समय, व्यावसायिक संपत्तियों के निबंधन में लगने वाला समय, निवेशकों के पैसों की सुरक्षा गारंटी, कर संरचना का स्तर, कर के प्रकार व संख्या, कर जमा करने में लगने वाला समय, निर्यात में लगने वाला समय एवं उसके लिये आवश्यक दस्तावेज़, दो कंपनियों के बीच होने वाले अनुबंधों की प्रक्रिया और उसमें लगने वाले खर्च आदि को ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत रैंकिंग तय करने में आधार बनाया जाता है।
विश्व बैंक द्वारा जारी की जाने वाली यह रिपोर्ट कई मायनों में अहम है, क्योंकि इस रिपोर्ट से किसी भी देश के प्रति निवेशकों का भरोसा बढ़ता है और वैश्विक स्तर पर उक्त देश की साख में भी इजाफा होता है। सरकार ने हाल फिलहाल में कारोबारी सुगमता को सहज बनाने के लिए कई आर्थिक सुधार किए हैं और इस दिशा में वह लगातार आगे बढ़ रही है। अगर इस वर्ष भी गत वर्ष की तरह भारत की रैंकिंग सुधरती है तो वैश्विक स्तर की नामचीन रेटिंग एजेंसियां भारत को वर्तमान के मुकाबले बेहतर रेटिंग दे सकती हैं, जिससे निवेशकों का भारत पर भरोसा बढ़ेगा और देश में कारोबारी माहौल भी बेहतर होगा।
कारोबार को सुगम बनाने के लिए मोदी सरकार विश्व बैंक के साथ मिलकर ज्यादा से ज्यादा सुधारों को अमलीजामा पहनाने की कोशिश कर रही है। अगर, इस प्रयास में सरकार को सफलता मिलती है तो ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस के मामले में भारत शीर्ष 50 देशों की श्रेणी में पहुँचने में कामयाब हो जायेगा। फिलहाल,10 में से 8 पैमानों पर भारत ने सुधार किया है। विश्व बैंक के मुताबिक 3 सालों में पिछले साल भारत में सबसे ज्यादा सुधार हुआ है।
औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग के सचिव रमेश अभिषेक के अनुसार इस साल भारत 122 सुधारों को लागू कर चुका है और इन्हें मान्यता दिलाने के लिए सरकारी तंत्र विश्व बैंक के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। अभिषेक के मुताबिक कारोबारी सुगमता के लिये 90 और सुधारों को इस साल हकीकत में बदलने की कोशिश की जायेगी। इसके तहत कंस्ट्रक्शन परमिट देने में तेजी लाना, नई कंपनियों के पंजीकरण को आसान बनाना, निदेशकों की पहचान आधार से करना आदि शामिल है।
प्रधानमंत्री कार्यालय, डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन, शहरी विकास एवं कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय सहित बहुत सारे दूसरे मंत्रालय इस मोर्चे पर निरंतर काम कर रहे हैं। इस क्रम में डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन, ईज ऑफ डूइंग बिजनस रैंकिंग को बेहतर करने के लिये नोडल एजेंसी के रूप में कार्य कर रहा है।
जीएसटी के लागू होने से भारत की रैंकिग में और सुधार आने की संभावना बढ़ी है। डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स के सचिव सुभाष चंद्रा के अनुसार रैंकिंग में सुधार होने से देश में निवेश का सकारात्मक माहौल बनेगा। हालाँकि, अभी भी कई क्षेत्रों में सुधार की गुंजाइश बनी हुई है। भारत की जीडीपी वृद्धि के हिसाब से देश में ईज ऑफ डूईंग बिजनेस की स्थिति और भी बेहतर होगी। गौरतलब है कि मौजूदा समय में जीडीपी रैंकिंग के मामले में भारत चौथे स्थान पर है।
अन्य सुधारों के अंतर्गत डिपार्टमेंट ऑफ फाइनैंशियल सर्विसेज बैंक खाता खोलने के लिये कंपनी की सील की मौजूदा आवश्यकता को समाप्त करने पर विचार कर रहा है। कैपिटल इक्विपमेंट के आयात पर भी कैश रिफंड को एक वर्ष के अंदर वापिस करने की योजना है। फिलहाल, इस आलोक में इनपुट टैक्स क्रेडिट का क्लेम करना होता है।
इंडस्ट्री डिपार्टमेंट ने भी मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स के लिए कई सुधारों का प्रस्ताव किया है, जिसमें डिजिटल सिग्नेचर और डायरेक्टर आडटेंफिकेशन नंबर को आधार से बदलना शामिल है। इस क्रम में डिजिटल सिग्नेचर को यूजर नेम या वन-टाइम पासवर्ड से बदला जा सकता है। मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स कंपनियों के पंजीकरण के बाद एक अलग परमानेंट एकाउंट नंबर देने की प्रक्रिया को भी समाप्त कर सकता है।
विश्व बैंक हर साल ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की सूची जारी करता है, जिसमें दुनियाभर के 190 देशों को शामिल किया जाता है। विश्व बैंक विगत 15 सालों से इस सूची को जारी कर रहा है। विश्व की ताजा रिपोर्ट में सभी 190 देशों के कारोबार नियमन के10 क्षेत्रों, जैसे कारोबार शुरू करना, निर्माण की अनुमति हासिल करना, बिजली कनेक्शन देने की प्रक्रिया और उसमें लगनेवाला समय, संपत्ति का पंजीकरण, कर्ज मिलने में लगने वाला समय, अल्पसंख्यक निवेशकों की सुरक्षा, कर का भुगतान, दूसरे देशों के साथ व्यापार करने में सहजता का प्रतिशत, समझौते को लागू कराने और दिवालियापन का समाधान करने में तेजी आदि के आधार पर रैंकिंग का निर्धारण किया जाता है।
भारत को छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा के पैमाने पर विश्व में चौथे स्थान पर रखा गया है। यह पहला मौका है, जब भारत ने कारोबार सुगमता के किसी भी पैमाने पर शीर्ष पांच देशों में जगह सुरक्षित की है। रिपोर्ट के अनुसार भारत ने छोटे निवेशकों के हितों की सुरक्षा, ऋण उपलब्धता और विद्युत् उपलब्धता के क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन किया है। भारत के कंपनी कानून और प्रतिभूति नियमन को भी काफी उन्नत माना गया है।
विश्व बैंक की हालिया डूइंग बिजनेस 2018 “रिफॉर्मिंग टू क्रियेट जॉब्स” की रिपोर्ट में भी कहा गया है कि बीते साल में भारत ने 10 सुधारों में से 8 क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन किया है। इसमें यह भी कहा गया है कि भारत ने कारोबार शुरू करने, निर्माण कार्य के लिए परमिट लेने, दिवालियापन के निपटारे आदि मामलों में अच्छा काम किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में उठाये गये सुधारात्मक कदमों से भारत की रैंकिंग में सुधार आया। आने वाले दिनों में भी यदि सुधार की यही रफ़्तार रही तो भारत की रैंकिंग में और सुधार आना तय है।
वित्त वर्ष 2014-15 में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में भारत की रैंकिंग 142वीं, वित्त वर्ष 2015-16 में 131वीं, वित्त वर्ष 2016-17 में 130वीं और वित्त वर्ष 2017-18 में 100वीं रही है। ताजा रिपोर्ट 2 जून 2016 से 1 जून 2017 के दौरान दिल्ली एवं मुंबई में क्रियान्वयन में लाये गये सुधारों पर आधारित है।
सरकार ने पिछले एक साल में कई बड़े कदम उठाये हैं। विदेशी निवेश के मामले में भारत, चीन को पीछे छोड़कर पहले स्थान पर पहुँच चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से देश में करीब 170 अरब डॉलर का विदेशी निवेश आ चुका है। कहा जा सकता है कि यदि भारत योजनाबद्ध तरीके से विश्व बैंक द्वारा निर्धारित सुधार के मानकों को दुरुस्त करने का प्रयास करता है तो निश्चित रूप से मामले में भारत की स्थिति और भी बेहतर होगी। अच्छी बात यह है कि भारत सरकार के प्रयास इसी दिशा में चल रहे हैं, तो उम्मीद है कि इस वर्ष भी भारत की रैंकिंग में अपेक्षित सुधार होगा।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)