अंतरिम बजट में सरकार ने सभी लोगों को कुछ न कुछ देने की कोशिश की है। देश के अन्नदाता की समस्याओं को दूर करने के लिये सरकार ने सबसे ज्यादा उपाय किए हैं। मनरेगा और मुद्रा योजना के जरिये सरकार ने युवाओं के लिये रोजगार की व्यवस्था की है। शिक्षा, रेलवे, कल्याणकारी योजनाओं आदि के लिये भी बजट में व्यवस्था की गयी है, जिससे इन क्षेत्रों का विकास सुनिश्चित हो सकेगा।
अंतरिम बजट में किसानों को अधिकतम लाभ देने की कोशिश की गई है। मनरेगा के लिये 2019-20 में 60,000 करोड़ रुपये आवंटित करने की घोषणा की गई है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिये वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में 19,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है, जिससे गाँवों को निकट के शहरों से जोड़ने में मदद मिलेगी।
निकटवर्ती बाजार से जुड़ने से ग्रामीणों को अपने फसलों को मंडी में बेचने एवं शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र में बेहतर सुविधा पाने में मदद मिलेगी। किसानों को फसल ऋण के तहत वित्त वर्ष 2018-19 में 11 लाख 68 हजार करोड़ रुपये मुहैया कराया गया है। 75,000 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री किसान योजना के लिये आवंटित किये गये हैं।
पशुपालन के लिये किसानों को कर्ज पर दो प्रतिशत ब्याज सहायता देने का भी प्रस्ताव है। बजट में सभी किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराने की बात कही गई है। प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत दो हेक्टेयर तक की जमीन वाले छोटे किसानों को 3 किस्तों में 6,000 रुपये प्रति वर्ष दी जायेगी।
पांच सालों में एक लाख डिजिटल गाँव बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसके तहत गाँवों को अद्यतन तकनीकों से लैस किया जायेगा। पिछले 5 सालों में 34 करोड़ जन-धन खाते खोले गये हैं। ग्रामीणों को बैंकों से जोड़ना भी गाँवों को डिजिटल बनाने का ही एक हिस्सा है। कल्याणकारी कार्यक्रम चलाने के लिये कल्याण किसान बोर्ड की स्थापना करने का प्रस्ताव है। ‘प्रधानमंत्री श्रमयोगी मान धन योजना’ के लिये 500 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं, जिससे श्रमिकों को सीधे तौर पर लाभ होगा।
आंगनवाड़ी आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय 50 प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव बजट में किया गया है। श्रमिकों की न्यूनतम मासिक पेंशन 1,000 रुपये की जायेगी। कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआई) नियम के तहत पात्रता हेतु प्रतिमाह वेतन को 15,000 से बढ़ाकर 21,000 रुपये किया जायेगा, जिससे ज्यादा लोग इस योजना का लाभ ले सकेंगे। संगठित क्षेत्र के 15,000 रुपये प्रतिमाह कमाने वालों को 60 साल के बाद 3,000 रुपये प्रति माह की पेंशन देना सुनिश्चित किया जायेगा। एकीकृत बाल विकास योजना के लिए 27,584 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं, जिससे देश के कर्णधारों के बेहतर विकास को बल मिलेगा।
केंद्र द्वारा वित्तपोषित योजनाओं के लिए 3,27,679 करोड़ रुपये आवंटित किया गया है, जो इस बात का संकेत है कि सरकार कल्याणकारी योजनाओं की सफलता के लिये सक्रिय और संवेदनशील है। इस राशि का उपयोग आम लोगों के कल्याण के लिये किया जायेगा।
शिक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिये शैक्षणिक संस्थानों में 25 प्रतिशत अतिरिक्त सीटें उपलब्ध कराने की बात बजट में कही गई है। मौजूदा समय में शिक्षा संस्थानों में कम सीट होने के कारण मेधावी छात्र अच्छे संस्थान में शिक्षा हासिल करने से वंचित रह जाते हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा योजना के लिये आवंटन को 32,334 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 38,570 करोड़ रुपये किया गया है, जिससे अनपढ़ लोगों को साक्षर बनाने में मदद मिलेगी। स्वास्थ्य क्षेत्र को सशक्त करने के क्रम में सरकार ने हरियाणा में देश का 22वां एम्स खोलने की घोषणा की है। एम्स का दायरा बढ़ाने से कई राज्यों के मरीजों को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि एम्स में इलाज की गुणवत्ता निजी अस्तपतालों से काफी बेहतर है।
बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को पीसीए के दायरे से बाहर करने से जरूरतमंदों को कर्ज मिल सकेगा, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। पीसीए के प्रतिबंधों की जद वाले दूसरे बैंकों को भी इससे मुक्त किया जायेगा। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 15.56 करोड़ लाभार्थियों को 7.23 लाख करोड़ रुपये का कर्ज दिया जायेगा। वर्तमान में मुद्रा योजना के तहत करोड़ों लोगों को असंगठित क्षेत्र में रोजगार मिल रहा है। इस योजना की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर साल इससे लाभान्वित होने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
पांच लाख रुपये तक की व्यक्तिगत आय को पूरी तरह कर से मुक्त करने की बात बजट में कही गई है। विभिन्न निवेश उपायों के जरिये 6.50 लाख रुपये तक की व्यक्तिगत आय पर कोई कर नहीं देना होगा। इस उपाय से छोटे करदाताओं को लाभ होगा और ज्यादा से ज्यादा लोग आयकर रिटर्न दाखिल करने के प्रति प्रेरित होंगे।
चालू वित्त वर्ष के दौरान संशोधित व्यय 13.3 प्रतिशत बढ़कर 24,57,235 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि वित्त वर्ष 2019-20 के लिये 27,84,200 करोड़ रुपये व्यय होने का अनुमान लगाया गया है। साफ है, व्यय में इजाफा होने से आधारभूत संरचना में मजबूती और विविध उत्पादों की मांग में बढ़ोतरी होगी।
सरकारी उद्यमों की कुल खरीद में छोटे उद्यमों से आपूर्ति को बढ़ाकर 25 प्रतिशत किया गया है, जिसमें 3 प्रतिशत आपूर्ति महिला उद्यमियों के उद्यम से करने का नियम बनाया जायेगा। सरकार के इस कदम से छोटे कारोबारियों को अपने कारोबार को बढ़ाने में मदद मिलेगी और महिलाओं का भी इससे सशक्तिकरण हो सकेगा।
रेलवे के ब्रॉडगैज नेटवर्क पर मानवरहित क्रॉसिंग को खत्म करने की घोषणा बजट में की गई है। इसे सरकार द्वारा उठाया गया एक बड़ा कदम माना जा सकता है, क्योंकि मानवरहित क्रॉसिंग होने की वजह से हर साल हजारों की संख्या में आदमी असमय ही काल-कवलित हो जाते हैं। विविध रेलवे योजनाओं के लिये वित्त वर्ष 2019-20 में 64,587 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं, जिससे रेलवे को और भी मजबूती मिलेगी।
आयकर विभाग को ऑनलाइन करने से आयकर दाताओं को फायदा मिलेगा। इससे लालफ़ीताशाही की अवधारणा कमजोर होगी और पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता आयेगी। जीएसटी के तहत 5 करोड़ से कम का कारोबार करने वाले कारोबारियों को तीन महीने में एक बार ही रिटर्न भरना होगा। इससे वे बेकार के कागजी कार्रवाई से बचेंगे और अपना ध्यान अपने कारोबार पर केंद्रित कर सकेंगे। चालू वित्त वर्ष के दौरान औसत मासिक जीएसटी संग्रह 97,100 करोड़ रुपये रहा, जबकि 2017-18 में यह 89,700 करोड़ रुपये था। जनवरी 2019 में जीएसटी संग्रह एक लाख तीन हजार करोड़ रुपये के आसपास रहने का अनुमान है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र को आर्थिक एवं सामाजिक रूप से मजबूत करने के लिये वित्त वर्ष 2019-20 के लिए बजट में आवंटन को 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 58,166 करोड़ रुपये किया गया है। देश की रक्षा व्यवस्था को सशक्त करने के लिये पहली बार रक्षा बजट को तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा किया गया है।
कहा जा सकता है कि अंतरिम बजट में सरकार ने सभी लोगों को कुछ न कुछ देने की कोशिश की है। देश के अन्नदाता की समस्याओं को दूर करने के लिये सरकार ने सबसे ज्यादा उपाय किए हैं। मनरेगा और मुद्रा योजना के जरिये सरकार ने युवाओं के लिये रोजगार की व्यवस्था की है। शिक्षा, रेलवे, कल्याणकारी योजनाओं आदि के लिये भी बजट में व्यवस्था की गयी है, जिससे इन क्षेत्रों का विकास सुनिश्चित हो सकेगा।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)