दावोस में मोदी का जबर्दस्त स्वागत किया गया, जो वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते कद का प्रतीक है। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी को लोगों ने ध्यानपूर्वक सुना, जिसका कारण भारत का दुनिया के लिए केवल बाजार भर होना नहीं है। देखा जाये तो इसका मूल कारण सरकार का विकास के मुद्दे पर लगातार अग्रसर रहना है। आज राजकोषीय अनुशासन, व्यापारिक खुलापन, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, सुचारू विकास जैसे वैश्विक लक्ष्य भारत के लिये भी प्राथमिकता बन गये हैं।
विश्व आर्थिक मंच की 48वीं सालाना बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया में आतंकवाद, संरक्षणवाद और जलवायु परिवर्तन पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ऐसी समस्याओं से दुनिया को मिलकर लड़ने की जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपना भाषण हिंदी में दिया। उन्होंने ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के भारतीय दर्शन, प्रकृति के साथ गहरे तालमेल की भारतीय परंपरा और भारतीय उपनिषदों का जिक्र करते हुए दुनिया के देशों को मौजूदा चुनौतियों से पार पाने का मंत्र दिया। विश्व आर्थिक मंच की बैठक को संबोधित करने वाले मोदी पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। इससे पहले वर्ष 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा ने मंच की बैठक में शिरकत की थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले 20 सालों में दुनिया में काफी बदलाव आया है। उन्होंने प्रौद्योगिकी, दुनिया की सोच और पर्यावरण में आ रहे बदलावों का जिक्र किया। जलवायु परिवर्तन के कारण ही आज मौसम का मिजाज बिगड़ गया है और दुनिया बाढ़ और सूखे की मार झेल रही है। स्थिति में सुधार हेतु विकसित देशों को विकासशील देशों को आवश्यक संसाधन और प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराना चाहिए। विकासशील देशों को भी मामले में सकारात्मक पहल करनी चाहिए। विकसित और विकासशील देशों के आपसी ताल-मेल से पर्यावरण में सुधार आ सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के लिए अपनी सरकार की पहल के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि 2022 तक भारत 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन करने में सक्षम हो जायेगा। विगत तीन सालों में 60 गीगावाट यानी इस लक्ष्य के एक तिहाई से भी अधिक नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन भारत कर चुका है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि भारतीय मूल्य लालच के लिए प्रकृति के दोहन का समर्थन नहीं करता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने आतंकवाद को भी देश और दुनिया दोनों के लिए एक बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कहा कि इस खतरे को प्रश्रय देने वाले देशों को आगे आने वाले दिनों में खुद ही नुकसान उठाना पड़ेगा। यह खतरा मानवता के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका है, लेकिन भारतीय संस्कृति में “आतंकवाद” का कोई स्थान नहीं है। भारत इसे जड़ से उखाड़ने के लिये कृत संकल्पित है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ देशों की संरक्षणवाद नीति पर चोट करते हुए कहा कि कुछ देश आत्म-केंद्रित होते जा रहे हैं, जो वैश्वीकरण संकल्पना के विपरीत है। संरक्षणवाद की संकल्पना से किसी देश का भला नहीं हो सकता है। पिछले साल चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने इसी मंच से वैश्वीकरण की संकल्पना का बचाव किया था। इस साल प्रधानमंत्री मोदी शी चिनफिंग की भूमिका में थे। प्रधानमंत्री मोदी ने पुनश्च: कहा कि वैश्वीकरण से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान आत्मकेंद्रित होने में तो कतई नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी के भाषण से साफ हो जाता है कि भारत वैश्वीकरण के पक्ष में है। सरकार की मौजूदा नीतियों के मुताबिक भारत में आर्थिक सुधार का कार्य निरंतर चलता रहेगा। भारत में सुधारों की गति को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत के आर्थिक वृद्धि संबंधी अनुमान को हाल ही में बढ़ाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया है। हाल ही में शेयर बाजार में आया उछाल, डेट बाजार में भारी मात्रा में विदेशी पूंजी की आवक या फिर अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों द्वारा भारत की सॉवरिन रेटिंग में सुधार आदि ने भारत के आत्मविश्वास को बढ़ाया है।
दावोस में मोदी का जबर्दस्त स्वागत किया गया, जो वैश्विक स्तर पर भारत के बढ़ते कद का प्रतीक है। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री मोदी को लोगों ने ध्यानपूर्वक सुना, जिसका कारण भारत का दुनिया के लिए केवल बाजार भर होना नहीं है। देखा जाये तो इसका मूल कारण सरकार का विकास के मुद्दे पर लगातार अग्रसर रहना है। आज राजकोषीय अनुशासन, व्यापारिक खुलापन, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, सुचारू विकास जैसे वैश्विक लक्ष्य भारत के लिये भी प्राथमिकता बन गये हैं।
देश में निवेश बढ़ाने के लिये प्रधानमंत्री मोदी ने वहाँ एक गोलमेज बैठक में भी शिरकत की, जिसमें उन्होंने दुनिया के देशों से भारत में निवेश करने का आग्रह किया। कहा जा सकता है कि दावोस के मंच से प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक स्तर पर भारत का मान बढ़ाया है। बिना किसी लाग-लपेट के संरक्षण देने वाले एवं आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों को आड़े हाथों लेने से प्रधानमंत्री मोदी की छवि वैश्विक स्तर पर एक सशक्त नेता के रूप में उभरी है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)