अपनी ताजा बनारस यात्रा में भी प्रधानमंत्री ने बनारस में 1000 करोड़ रुपये की विविध योजनाओं को शुरू करने की घोषणा की, जिसके तहत आधारभूत संरचना वाली परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई। बनारस के जुलाहे और हथकरघा उद्योग से जुड़े कामगार बीते कई सालों से परेशानी का सामना कर रहे हैं। इनकी बेहतरी के लिये दीनदयाल हस्तकला संकुल ट्रेड सेंटर के दूसरे चरण की शुरुआत की गई। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि बनारस की छवि विदेशी पर्यटकों के बीच सुधरे। इसलिये, उन्होंने टैक्सी ड्राइवरों से अपील की कि वे पर्यटकों को बनारस की महत्ता से अवगत कराएँ। उन्हें शहर की वास्तविक तस्वीर दिखायें।
अपनी बनारस यात्रा के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस के विकास को सुनिश्चित करने की कोशिश की है। हालाँकि, नोट बंदी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह पहली बनारस यात्रा है, लेकिन समग्र रूप से यह दसवीं यात्रा है। वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री ने बनारस की 5 बार यात्रा की थी। सबसे पहले 7 नवंबर, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस गये थे। उसके बाद उन्होंने 8 नवंबर, 2014, 25 दिसंबर, 2014, 18 सितंबर, 2015, 12 दिसंबर, 2015, 22 जनवरी, 22 फरवरी, 1 मई, 24 अक्टूबर और 22 दिसंबर 2016 को बनारस की यात्रा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी हर यात्रा में बनारस को कुछ नया दिया।
यात्राओं के दौरान उन्होंने जयापुर गांव को गोद लिया, गंगा के घाटों की सफाई एवं बनारस को स्वच्छ बनाने के लिये प्रयास किये, 9296 दिव्यागों की सहायता के लिये उन्हें उपकरण उपलब्ध कराया, उनकी शिक्षा-दीक्षा के लिए विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा की, ई-रिक्शाओं का वितरण किया, पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर और शताब्दी मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल व सुपर स्पेशलिटी कॉम्प्लेक्स बीएचयू का शिलान्यास किया एवं लालपुर ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर व क्राफ्ट म्युजियम का शुभारम्भ जैसे महत्वपूर्ण कार्य किये।
अपनी ताजा बनारस यात्रा में भी प्रधानमंत्री ने बनारस में 1000 करोड़ रुपये की विविध योजनाओं को शुरू करने की घोषणा की, जिसके तहत आधारभूत संरचना वाली परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई। बनारस के जुलाहे और हथकरघा उद्योग से जुड़े कामगार बीते कई सालों से परेशानी का सामना कर रहे हैं। इनकी बेहतरी के लिये दीनदयाल हस्तकला संकुल ट्रेड सेंटर के दूसरे चरण की शुरुआत की गई।
प्रधानमंत्री चाहते हैं कि बनारस की छवि विदेशी पर्यटकों के बीच सुधरे। इसलिये, उन्होंने टैक्सी ड्राइवरों से अपील की कि वे पर्यटकों को बनारस की महत्ता से अवगत कराएँ। उन्हें शहर की वास्तविक तस्वीर दिखायें। अगर टैक्सी ड्राईवर ऐसा करते हैं तो बनारस, बनारस के लोगों एवं देश को सीधे तौर पर फ़ायदा होगा।
बनारस एक धार्मिक शहर होने के साथ-साथ शिल्पकारों, चित्रकारों, कलाकारों, साहित्यकारों आदि की नगरी है, जो बनारस के सामर्थ्य को दर्शाता है। बनारस का कला-कौशल बेमिसाल है। प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र होने के कारण सबकी नजर इस शहर पर टिकी हुई है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही यह शहर आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बनेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ तौर पर कहा कि हर समस्या का समाधान विकास में है। मौजूदा समय में बनारस ट्रैफिक की समस्या से जूझ रहा है, जिसका सबसे बड़ा कारण शहर का बेतरतीब विकास होना है।
यह धार्मिक और पुराना शहर है। इसे तोड़कर इसका नवनिर्माण करना समीचीन नहीं है। इसलिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलमार्ग की शुरुआत करने की बात कही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बनारस के विकास को सुनिश्चित करना है। वे बनारस को कपड़े का निर्माण केंद्र बनाना चाहते हैं। यहाँ की हस्तकला को पुनर्जीवित करना उनका प्राथमिक लक्ष्य है।
देखा जाये तो मोदी बनारस दौरे के माध्यम से आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं। उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के अंतिम अंतिम दौर में भी उन्होंने बनारस में कैंप किया था। भाजपा की जीत को पक्का करने के लिए वे बनारस में बने रहे। नरेंद्र मोदी के ताजा बयान जैसे, ‘पहले की सरकार को लगता है, विकास से नफरत थी; पहले सरकार केवल वोट के लिए शिलान्यास करती थीं; हम अलग संस्कार में पले-बढ़े हैं, हमारे लिए देश पहले है, वोट नहीं; यह मुश्किल काम मोदी नहीं करेगा तो कौन करेगा?’ आदि से प्रधानमंत्री के बढ़े मनोबल और विपक्षी दलों को दबाव में रखने की उनकी रणनीति का पता चलता है।
मौजूदा समय में मोदी के खिलाफ खड़ा होने वाले सर्व स्वीकार्य नेता का अभाव है, जिसके कारण मोदी लगातार मजबूत होते जा रहे हैं। मोदी अच्छी तरह से जानते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जनता के बीच अच्छी छवि होने के बावजूद भी वर्ष 2004 की लोकसभा चुनाव भाजपा हार गई थी। इसलिये, वे वैसी गलती को दोहराना नहीं चाहते हैं। वे अच्छे दिन के नारे को बार-बार दुहराते नहीं हैं, बल्कि सामने की चुनौतियों के बारे में भी चर्चा करते हैं, ताकि आम लोग भी उनकी चिंता से वाकिफ रहें।
इस तरह, मोदी की बनारस यात्रा को वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी के रूप में भी देखा जा सकता है। इस साल के अंत में गुजरात व हिमाचल प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं। गुजरात में भाजपा अपनी जीत को बरकरार रखना चाहती है। वह हिमाचल में भी कांग्रेस को हराना चाहती है। वर्ष 2018 के पूर्वार्द्ध में कर्नाटक में चुनाव होने वाले हैं। वर्ष 2018 में मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ में भी चुनाव होने वाला है। इन राज्यों में भी भाजपा को अपनी जीत पक्की करनी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में अर्थव्यवस्था को गतिमान करने के लिये वित्तमंत्री अरुण जेटली एवं दूसरे संबंधित मंत्रालयों से बातचीत चल रही है। रोजगार पैदा करने वाले क्षेत्र, विनिर्माण व अन्य बुनियादी क्षेत्र, निर्यात से जुड़े क्षेत्र आदि को प्रोत्साहित करने के लिये सरकार जल्द ही आवश्यक कार्रवाई कर सकती है। ऐसा करने से अर्थव्यवस्था में छाई मौजूदा सुस्ती कम हो सकती है। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा आये साथ ही साथ आम जनता को भी राहत मिले।
कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बनारस यात्रा के माध्यम से एक तीर से दो शिकार किए हैं। एक तरफ संसदीय क्षेत्र की यात्रा करने से जनता का भाजपा से जुड़ाव और भी मजबूत हुआ है तो दूसरी तरफ बनारस के विकास को सुनिश्चित करने के लिये घोषित योजनाओं से भाजपा की छवि बेहतर हुई है, जिसका आगामी चुनावों में मोदी सरकार को फायदा मिल सकता है।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र,मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में मुख्य प्रबंधक हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)