नरेंद्र मोदी की इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर यात्रा भारत के लिए उपयोगी साबित हुई है। इसके माध्यम से द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग को गति मिली है। इंडोनेशिया के साथ सामरिक व समुद्री सुरक्षा के जो समझौते हुए हैं, उनका दूरगामी प्रभाव होगा। इससे चीन की घेराबंदी का मुकाबला किया जा सकेगा। सिंगापुर विकसित देश है। उसके साथ व्यापारिक संबन्ध आगे बढ़े हैं। मलेशिया में चीन का हस्तक्षेप बढ़ा है। महातिर मोहम्मद के साथ सहयोग बढ़ाकर भारत संतुलन बनाएगा। नरेंद मोदी ने तीन देशों की यात्रा से भारतीय हितों को सुनिश्चित किया है।
भारतीय विदेश नीति के लुक ईस्ट अध्याय को एक्ट ईस्ट में बदलने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को है। पिछले गणतंत्र दिवस पर आसियान देशों को आमंत्रित करना एक्ट ईस्ट का बेजोड़ प्रयास था। राजपथ पर इन देशों के शासकों की एक साथ मौजूदगी अपने में विलक्षण और महत्वपूर्ण थी। इसके पहले मोदी म्यामार और वियतनाम भी गए थे। इस बार एक्ट ईस्ट नीति को मजबूत करने के उद्देश्य से वह इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर की यात्रा पर गए।
इंडोनेशिया में राष्ट्रपति जोको वीडोडो के साथ समुद्र, व्यापार और निवेश सहित विभिन्न मुद्दों पर द्विपक्षीय सहयोग के संबंध में उपयोगी वार्ता हुई। इसके अलावा मोदी ‘इंडोनेशियाई चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड द इंडस्ट्री’ द्वारा आयोजित सीईओ बिजनेस फोरम और कंफडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री के कार्यक्रम में शामिल हुए।
जकार्ता पहुंचने पर मोदी का औपचारिक स्वागत हुआ। मोदी ने कहा कि भारत और इंडोनेशिया समुद्री पड़ोसी देश हैं। दोनों देशों की सभ्यताएं एक-दूसरे से जुड़ी हैं। यह यात्रा राजनीतिक, आर्थिक और रणनीतिक हितों को आगे बढ़ाने में कारगर रही है। मोदी की इस यात्रा से चीन को भी सन्देश दिया गया कि भारत भी मोर्चाबंदी में पीछे नहीं है। इसके अलावा द्विपक्षीय और क्षेत्रीय कारोबार व रक्षा के क्षेत्र में सहयोग भी आगे बढ़ा है।
दोनों देशों के बीच पन्द्रह समझौते हुए जिनमें रक्षा विज्ञान, तकनीक, रेल, स्वास्थ आदि से संबंधित समझौते शामिल हैं। छह समझौतें विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों के मध्य हुए हैं। इंडोनेशिया के बाली और भारत के उत्तराखंड राज्यों को सहोदर राज्य बनाने की भी घोषणा की गयी। नरेन्द्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो के बीच हुई यह द्विपक्षीय शिखर बैठक में इन समझौतों पर हस्ताक्षर किये गये।
इंडोनेशिया, दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन आसियान में भारत का सबसे बड़ा साझीदार है। भारत वहां से कोयला और पाम ऑयल आयात करता है। सामुद्रिक सुरक्षा के क्षेत्र में भी दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ा है। यह महत्वपूर्ण है कि इंडोनेशिया ने सबांग बंदरगाह के आर्थिक और सामरिक उपयोग पर सहमति दी है। इसके माध्यम से भारत के अंडमान निकोबार और इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप के बीच संपर्क आसान हो जाएगा।
दक्षिण और पूर्वी सागर के अनेक द्वीपों पर चीन ने सैनिक अड्डे बनाये हैं। ऐसे में भारत और इंडोनेशिया के बीच सबांग का समझौता महत्वपूर्ण है। दोनों देश इस्लामिक आतंकवाद से पीड़ित है। इसके विरुद्ध साझा प्रयास करने पर भी सहमति बनी है।दोनों देशों ने इस मौके पर संयुक्त वक्तव्य और भारत-इंडोनेशिया समुद्री सहयोग पर एक अलग साझा दृष्टिपत्र भी जारी किया। मोदी ने इंडोनेशिया के नेशनल म्यूजियम में पतंग महोत्सव का भी उद्घाटन किया, जिसमें खासतौर से रामायण और महाभारत को प्रदर्शित किया गया था।
उड़ान के लिए पतंग का प्रतीक खूबसूरत होता है। यदि एक दूसरे की पतंग काटने की जगह मिलकर उसे बुलन्दी पर पहुंचना हो तो भाव और भी बढ़िया हो जाता है। इंडोनेशिया में नरेंद्र मोदी ने इसी पतंग को विदेश नीति का एक प्रतीक बना दिया। इसके माध्यम से दोनों देशों की सांस्कृतिक विरासत को भी उजागर किया गया। वहाँ लोग आज भी रामकथा में आस्था रखते है। उनका कहना है कि उन्होंने मजहब बदला है, संस्कृति नहीं। मोदी ने इस भावभूमि पर सहयोग को आगे बढ़ाया है।
प्रधानमंत्री मोदी की सिंगापुर यात्रा भी उपयोगी साबित हुई। भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के मामले में सिंगापुर दूसरे स्थान पर है। वहां के बीस शीर्ष सीईओ के साथ भारत में निवेश की नई संभावनाओं पर वार्ता हुई। इस यात्रा में सुरक्षा, अंतरिक्ष, विज्ञान और तकनीक के अलावा कौशल विकास के क्षेत्रों में भी कई समझौतों पर हस्ताक्षऱ हुए।
सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सिएन लूंग के साथ मोदी की उपयोगी वार्ता हुई। मोदीं ने शांगरी-ला में भाषण दिया। पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने इस सम्मेलन को संबोधित किया। इस में चालीस देशों के रक्षा मंत्री, सेना प्रमुख और शीर्ष अधिकारी शामिल थे।
मोदी ने सिंगापुर में डिजिटल पेमेंट के तीन भारतीय एप लॉन्च किए। इनमें भीम, रूपे और एसबीआई एप शामिल हैं। इसका मकसद भारतीय डिजिटल पेमेंट सिस्टम को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ले जाना है। रूपे पेमेंट सिस्टम को सिंगापुर के तैतीस वर्ष पुराने नेटवर्क फॉर इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर से जो़ड़ा गया है।
नरेंद्र मोदी ने मलेशिया के नव-निर्वाचित 92वे वर्षीय प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद से मुलाकात की। इस दौरान दोनों नेताओं के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने पर सकारात्मक चर्चा हुई। सिंगापुर और भारत के बीच व्यापार को बढ़ावा देने के लिए चौदह समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।
जाहिर है कि नरेंद्र मोदी की इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर यात्रा भारत के लिए उपयोगी साबित हुई है। इसके माध्यम से द्विपक्षीय और क्षेत्रीय सहयोग को गति मिली है। इंडोनेशिया के साथ सामरिक व समुद्री सुरक्षा के जो समझौते हुए हैं, उनका दूरगामी प्रभाव होगा। इससे चीन की घेराबंदी का मुकाबला किया जा सकेगा। सिंगापुर विकसित देश है। उसके साथ व्यापारिक संबन्ध आगे बढ़े हैं। मलेशिया में चीन का हस्तक्षेप बढ़ा है। इसलिए मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद के साथ सहयोग बढ़ाकर भारत संतुलन बनाएगा। नरेंद मोदी ने तीन देशों की यात्रा से भारतीय हितों को सुनिश्चित किया है।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)