वस्तु एवं सेवा कर के आने के बाद करदाताओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। जीएसटी से पहले जहाँ 65 लाख करदाता पंजीकृत थे, वहीं जीएसटी के बाद करदाताओं की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा दर्ज की गयी है और डिजिटल माध्यमों के उपयोग से इस टैक्स व्यवस्था ने पारदर्शी शासन व्यवस्था का भी निर्माण करने में महती भूमिका निभाई है। साथ ही जीएसटी को लागू हुए अभी एक वर्ष ही हुए हैं, बावजूद इसके भारत सरकार के राजस्व में भी इससे उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
केंद्र की मोदी सरकार ने पिछले साल देश में एक देश, एक टैक्स यानि गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) को संसद का विशेष सत्र बुलाकर लागू किया था। नए भारत के निर्माण, जो भ्रष्टाचार से मुक्त हो और ईमानदारी से युक्त हो, की दिशा में यह एक क्रांतिकारी पहल थी। अब इस पहल को एक वर्ष पूरे हो चुके हैं।
भारत जैसे जटिल कर संरचना वाले देश में एक ही वस्तु पर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग कीमतें होती थीं, ऐसे में जीएसटी एक ऐतिहासिक कदम था कि इसके बाद कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक एक ही टैक्स व्यवस्था कार्य कर रही है। उससे भी महत्वपूर्ण यह था कि सरकार ने इसे सर्वसम्मति के साथ चर्चा के उपरांत लागू करवाने में सफलता पाई। वस्तु एवं सेवा कर के आने से देश में 70 साल से जो कर ढांचा विद्यमान था, जिसमें 17 तरह के अप्रत्यक्ष कर और 23 सेसेस थे, उसको ख़त्म कर पूरे देश में टैक्स का एकीकरण करने का काम हुआ है।
गौरतलब है कि इससे पहले देश में स्थिति ऐसी थी कि जनता को अनुमान ही नहीं लगता था कि आखिर उससे किस-किस तरह के टैक्स लिए जा रहे हैं। टैक्स चोरी, भ्रष्टाचार और व्यापारियों को भी व्यापार से सम्बंधित विभिन्न समस्याओं से दो चार होना पड़ता था। जीएसटी के रूप में देश को एक ऐसी व्यवस्था मिली है, जिसके बाद राष्ट्र निर्माण के नए अवसर खुले हैं, देश में ईमानदारी का वातावरण बना है, ट्रांसपेरेंसी आई है और स्पष्ट जवाबदेही तय हुई है।
ज्ञात हो कि जीएसटी के आने के दो महीने के भीतर ही 2 हज़ार करोड़ से ज्यादा की कर चोरी पकड़ी गयी थी। सरकार ने छोटे एवं मध्यम व्यापारियों को प्रोत्साहन हेतु 20 लाख तक के सालाना टर्नओवर को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा है। सरकार द्वारा गरीबों और मध्यम वर्ग को ध्यान में रखते हुए रोजमर्रा की इस्तेमाल की चीजों पर या तो कोई टैक्स नहीं रखा गया है या फिर 5% के छोटे स्लैब के अंतर्गत इन्हें शामिल किया गया है।
जीएसटी के आने के बाद करदाताओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। जीएसटी से पहले जहाँ 65 लाख करदाता पंजीकृत थे, वहीं जीएसटी के बाद करदाताओं की संख्या 1 करोड़ से ज्यादा दर्ज की गयी है और डिजिटल माध्यमों के उपयोग से इस टैक्स व्यवस्था ने पारदर्शी शासन व्यवस्था का भी निर्माण करने में महती भूमिका निभाई है। साथ ही जीएसटी को लागू हुए अभी एक वर्ष ही हुए हैं, बावजूद इसके भारत सरकार के राजस्व में भी इससे उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
बहरहाल, सरकार लगातार यह कहती रही है कि जीएसटी के बाद कुछ असुविधाएं आ सकती हैं और सरकार सभी पक्षों के साथ चर्चा करने के बाद उसमें फेरबदल के लिए भी हमेशा तत्पर रही है। एक देश, एक कर की इस व्यवस्था ने आज भारत की अर्थव्यवस्था को तो गति देने का काम किया ही है, मुख्यतः इसीके कारण भारत पूरे विश्व में व्यापार के लिए सबसे सुरक्षित और सुगम देशों में से एक बनकर भी उभरा है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)