कहने की आवश्यकता नहीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो सत्ता में आने के बाद से अबतक भारतीय विदेशनीति को एक अलग ऊंचाई प्रदान कर चुके हैं, इस सम्मेलन के माध्यम से भी भारत की सशक्तता और सक्षमता का सन्देश विश्व तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे। मोदी द्वारा दावोस सम्मेलन का उद्घाटन भाषण दिया जाएगा जो दिखाता है कि भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा में किस कदर वृद्धि हुई है। जिस देश की तरफ से बीस वर्षों से कोई प्रधानमंत्री इस सम्मेलन में हिस्सा तक लेने नहीं पहुंचा हो, उस देश के प्रधानमंत्री को आज उद्घाटन भाषण के लिए यूँ ही तो नहीं चुना गया होगा।
स्विट्ज़रलैंड के दावोस शहर में विश्व आर्थिक मंच (डब्लूईएफ) का आयोजन हो रहा है, जिसमें दुनिया भर के तीन हजार से अधिक नेता एकत्रित होने वाले हैं। भारत की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें शिरकत करेंगे। उनके साथ 6 केन्द्रीय मंत्री भी इस सम्मेलन में शामिल होंगे। यह डब्लूईएफ का 48वां सम्मेलन है, लेकिन भारत की तरफ से इसे अबसे पूर्व बहुत गंभीरता से शायद नहीं लिया गया था। शीर्ष वैश्विक नेताओं की सहभागिता वाले इस सम्मेलन में सन 1997 में एचडी देवगौड़ा के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री सम्मिलित नहीं हुआ था। बीस साल बाद नरेंद्र मोदी इसमें शामिल होने पहुँच रहे हैं। वे 23 जनवरी को इसमें उद्घाटन भाषण देंगे। इस वर्ष सम्मेलन की थीम हैं – खण्डित या टूटे विश्व में साझा भविष्य रचना।
माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी अपने संबोधन में भारत में आर्थिक निवेश के लिए विश्व के निवेशकों को आमंत्रित करते हुए भारत में कारोबार को सुगम बनाने के लिए उठाए गए क़दमों को रेखांकित करेंगे। साथ ही, आतंकवाद की समस्या और उसको ख़त्म करने के उपायों पर भी मोदी द्वारा बात किए जाने की संभावना है। दरअसल ये सब वे विषय हैं, जिनपर मोदी सरकार देश में काफी ठोस ढंग से कार्य कर रही है। अतः इनपर विश्व बिरादरी के समक्ष अपनी बात रखने में भारत को कोई समस्या नहीं है।
कहने की आवश्यकता नहीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो सत्ता में आने के बाद से अबतक भारतीय विदेशनीति को एक अलग ऊंचाई प्रदान कर चुके हैं, इस सम्मेलन के माध्यम से भी भारत की सशक्तता और सक्षमता का सन्देश विश्व तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे। मोदी इस सम्मेलन का उद्घाटन भाषण भी देंगे जो दिखाता है कि भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा में किस कदर वृद्धि हुई है। जिस देश की तरफ से बीस वर्षों से कोई प्रधानमंत्री इस सम्मेलन में हिस्सा तक लेने नहीं पहुंचा हो, उस देश के प्रधानमंत्री को आज उद्घाटन भाषण के लिए यूँ ही तो नहीं चुना गया।
दरअसल अब दुनिया समझने लगी है कि मोदी के समर्थ नेतृत्व में भारत तेजी से सभी क्षेत्रों में अपने सामर्थ्य का विस्तार कर रहा है और आने वाला समय भारत का ही होगा। ये कारण है कि विश्व आर्थिक मंच के सम्मेलन में बीस साल बाद पहुंचे किसी भारतीय प्रधानमंत्री को उद्घाटन भाषण के लिए चुना गया है। मोदी का ये संबोधन वास्तव में विश्व बिरादरी के समक्ष सशक्त हो रहे भारत का संबोधन होगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)