शशि थरूर के बयान से भारत और हिन्दू संस्कृति दोनों का अपमान हुआ है। भारतीय संस्कृति विश्व मे सबसे प्राचीन है। हजारों वर्षों में तलवार के बल पर अपने मत के प्रसार का कोई प्रयास नहीं किया गया। पाकिस्तान अलग सभ्यता का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें अल्पसंख्यक या गैर मुस्लिमों के प्रति कोई हमदर्दी नहीं होती। अन्य मुल्कों के उदाहरण भी सामने हैं। ऐसे में हिन्दू पाकिस्तान की बात करना शरारत पूर्ण है।
गुजरात विधानसभा चुनाव के समय जारी कांग्रेस का जनेऊधारी संस्करण बन्द हुआ। अब लोकसभा चुनाव की तैयारी है। राहुल गांधी की वर्ग विशेष के साथ बैठक, पहले गुलाम नबी आजाद और फिर शशि थरूर के बयान यही दिखाते हैं। भारत को बदनाम करने वाली बातें यही तक सीमित नहीं हैं।
पाकिस्तान के नेता भी भारत के खिलाफ बयान देते हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ मानवाधिकार प्रकोष्ठ के प्रमुख हुसैन का बयान भी लगभग ऐसा ही था। उसका कहना था कि जम्मू कश्मीर और पाक अधिकृत कश्मीर की स्थिति एक जैसी है। दोनों स्थानों पर नागरिक मारे जा रहे हैं। गुलाम नबी आजाद का बयान भी इससे मिलता जुलता था। उन्होंने जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा आम नागरिकों को मारने का आरोप लगाया था। शशि थरूर बोले कि नरेंद्र मोदी दुबारा प्रधानमंत्री बने तो भारत हिन्दू पाकिस्तान बन जायेगा।
पाकिस्तान के नेताओं, सेना, सयुक्त राष्ट्रसंघ मानवाधिकार प्रकोष्ठ के प्रमुख हुसैन, गुलाम नवी आजाद, शशि थरूर, मणिशंकर अय्यर, दिग्विजय सिंह, सुशील कुमार शिंदे, पी चिदंबरम आदि के आगे-पीछे बयानों की मूल भावना एक जैसी क्यों लगती है, इसका गहन विश्लेषण होना चाहिए। यूपीए सरकार के समय इसी प्रकार के बयान खूब चर्चित होते थे। सरकार के मंत्रियों से लेकर पार्टी संगठन के लोग हिन्दू आतंकवाद का राग अलाप रहे थे।
इन बयानों का पाकिस्तान में खूब स्वागत हुआ था। तमाम कोशिशों के बाद भी कांग्रेस की सरकार छह वर्ष में हिन्दू आतंकवाद को अंश मात्र भी प्रमाणित नहीं कर सकी थी। शशि थरूर का बयान भी इसी कोटि का है। उनके बयान का भाव यही है कि हिन्दू भी आतंकवादी होते है। ये भारत को पाकिस्तान जैसा बना देंगे।
थरूर ने कहा यदि भाजपा दोबारा लोकसभा चुनाव जीतेगी तो हमारा लोकतांत्रिक संविधान खत्म हो जाएगा। क्योंकि उनके पास भारतीय संविधान की धज्जियां उड़ाने और एक नया संविधान लिखने वाले सारे तत्व हैं। उनका लिखा नया संविधान हिंदू राष्ट्र के सिद्धांतों पर आधारित होगा जो अल्पसंख्यकों के समानता के अधिकार को खत्म कर देगा। यह देश को हिंदू पाकिस्तान बना देगा। थरूर के बयान की तीखी आलोचना की गई। इसके बाद वह बयान वापस लेते, तब भी गनीमत थी। लेकिन उन्होंने निर्लज्जतापूर्वक अपने को सही साबित करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि जो पहले कहा उसे एक बार फिर कहूंगा।
देखा जाए तो पाकिस्तान का जन्म एक धर्म विशेष की आबादी के लिए हुआ था, जिसने अपने देश के अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव किया। अल्पसंख्यकों को पाकिस्तान में उनके मौलिक अधिकारों से भी वंचित रखा गया। भारत ने उस तर्क को कभी स्वीकार नहीं किया जिसके आधार पर दो देशों का बंटवारा हुआ था।
शशि थरूर के बयान से भारत और हिन्दू संस्कृति दोनों का अपमान हुआ है। भारतीय संस्कृति विश्व मे सबसे प्राचीन है। हजारों वर्षों में तलवार के बल पर अपने मत के प्रसार का कोई प्रयास नहीं किया गया। पाकिस्तान अलग सभ्यता का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें अल्पसंख्यक या गैर मुस्लिमों के प्रति कोई हमदर्दी नहीं होती। अन्य मुल्कों के उदाहरण भी सामने हैं। ऐसे में हिन्दू पाकिस्तान की बात करना शरारत पूर्ण है।
भारत में जब तक हिन्दू बहुमत में है, तब तक अल्पसंख्यकों के प्रति कोई भेदभाव नहीं हो सकता, तबतक ये पाकिस्तान नहीं बन सकता। समस्या वहां होती है, जहाँ हिन्दू अल्पसंख्यक होते हैं। पाकिस्तान सहित तमाम मुस्लिम मुल्कों का उदाहरण सामने है। बंटवारे के समय बीस प्रतिशत से ज्यादा हिन्दू पाकिस्तान में थे। अब नाम मात्र के बचे हैं। ये भी दयनीय दशा में रहते हैं। वहीं भारत में मुसलमानों की आबादी बढ़ती जा रही। उनके साथ कोई भेदभाव नहीं होता।
दूसरी बात यह कि भारत के मूल ढांचे में कोई बदलाव नहीं हो सकता। कुछ संविधान संशोधन ऐसे होते हैं, जिनमें संसद के साथ आधे राज्यों की सहमति भी जरूरी होती है। नरेंद्र मोदी दुबारा प्रधानमंत्री बने तो तानाशाह नहीं हो जाएंगे। थरूर की बात में कोई दम नहीं है।
तीसरी बात यह कि भाजपा पहली बार सत्ता में नहीं आई है। आज करीब पैसठ प्रतिशत हिस्से में उसका शासन है। नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बने चार वर्ष पूरे हो चुके हैं। थरूर को बताना चाहिए कि भाजपा या नरेंद्र मोदी की सरकार ने ऐसा क्या किया, जिसके आधार पर वे हिन्दू पाकिस्तान का आरोप लगा रहे। ऐसा क्या था जो मुसलमानों के लिए कांग्रेस ने कर दिया, भाजपा सरकार ने नहीं किया।
चौथी गंभीर बात यह कि थरूर ने अल्पसंख्यको को डराने और भड़काने का प्रयास किया है। इसके लिए उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। देश के संसाधनों पर अल्पसंख्यकों का पहला हक बताने, हिन्दू आतंकवाद का शिगूफा छोड़ने से अल्पसंख्यकों के हित नहीं हो सकते।
यदि अल्पसंख्यक पिछड़े हैं, तो उसके लिए कांग्रेस सबसे बड़ी दोषी है। क्योंकि उसको सबसे अधिक समय तक शासन करने का मौका मिला। भाजपा, नरेंद्र मोदी की आलोचना करने का सभी को अधिकार है। लेकिन राजनीतिक दलों को एक मर्यादा का पालन अवश्य करना चाहिए। विरोध ऐसा नहीं होना चाहिए जो भारत और हिन्दू धर्म को अपमानित करे।
(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)