श्री रामायण एक्सप्रेस नाम की यह ट्रेन, एक नई प्रकार की टूरिस्ट ट्रेन है। अपने नाम के ही अनुसार यह ट्रेन देश के उन सभी प्रमुख तीर्थ स्थानों को अपनी यात्रा में शामिल करेगी जिनका कि रामायण में उल्लेख है। इसमें श्रीराम के जन्म स्थान अयोध्या से लेकर दक्षिण भारत में रामेश्वरम तक प्रमुख तीर्थ स्थान शामिल होंगे। इस नई ट्रेन में यात्रा करने के लिए लोगों में काफी उत्साह था। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहले ही दिन यह ट्रेन अपनी पूरी यात्री क्षमता यानी 800 यात्रियों को लेकर गंतव्य के लिए रवाना हुई।
इस सप्ताह भारतीय रेलवे ने एक अभिनव पहल की। अभिनव इस अर्थ में क्योंकि विभिन्न पर्यटन स्थलों के लिए अभी तक कई ट्रेनें चलाई जा चुकी हैं, धार्मिक पर्यटन के लिए भी ट्रेने चलीं हैं लेकिन वे गंतव्य तक ही सीमित थीं। इस बार रेलवे ने कुछ नया और अनूठा प्रयोग किया है। धार्मिक पर्यटन को समग्र रूप से परिभाषित करते हुए रेलवे ने एक पूरी ट्रेन का नाम ही इस पर आधारित रखा है।
श्री रामायण एक्सप्रेस नाम की यह ट्रेन, एक नई प्रकार की टूरिस्ट ट्रेन है। अपने नाम के ही अनुसार यह ट्रेन देश के उन सभी प्रमुख तीर्थ स्थानों को अपनी यात्रा में शामिल करेगी जिनका कि रामायण में उल्लेख है। इसमें श्रीराम के जन्म स्थान अयोध्या से लेकर दक्षिण भारत में रामेश्वरम तक प्रमुख तीर्थ स्थान शामिल होंगे। इस नई ट्रेन में यात्रा करने के लिए लोगों में काफी उत्साह था। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहले ही दिन यह ट्रेन अपनी पूरी यात्री क्षमता यानी 800 यात्रियों को लेकर गंतव्य के लिए रवाना हुई।
जहां-जहां से ट्रेन गुज़री वहां पर लोगों ने ट्रेन एवं यात्रियों का स्वागत भी किया। नई दिल्ली के सफदरजंग स्टेशन से इसकी यात्रा का आरंभ हुआ। यह एक पूरी तरह से शयनयान श्रेणी की गाड़ी है। यात्रियों में सभी आयु एवं वर्ग के लोग शामिल थे। असल में यह ट्रेन अलग-अलग प्रदेश के लोगों को लोगों को धार्मिक सूत्र में बांधने के लिए भी एक अहम कड़ी का काम करेगी। भारतीय रेलवे की इस महत्वाकांक्षी योजना को शुरू करते समय रेलवे के अधिकारी, आईआरसीटीसी के अधिकारी स्वयं शामिल हुए और यात्रियों को सुखद यात्रा की शुभकामनाएं दीं।
रेलवे ने इस बात का भरपूर ध्यान रखा है कि आम ट्रेनों की तरह यह लंबे सफर के कारण यात्रियों के लिए बोरियत का सबब ना बन जाए, इसलिए ट्रेन के भीतर ही भजन मंडली की भी व्यवस्था की गई है। ख्यात संगीतकार जीवन तिवारी एवं उनके सहयोगियों की इसके लिए सेवाएं ली गईं हैं।
इतना ही नहीं, ट्रेन के भीतर व्यवस्थित रूप से प्रभु श्रीराम की झांकी का भी निर्माण किया गया है जो कि इसके आकर्षण में चार चांद लगाने का काम करेगा। फैजाबाद से 35 लोगों की भजन मंडली ट्रेन में शामिल हुई है जो यात्रा के 16 दिनों तक यात्रियों को धर्म के भाव से आपूरित करने का काम करेगी। जब ट्रेन स्टेशन से रवाना हुई, तब श्रीराम के जयघोष से प्लेटफार्म गुंजायमान हो गया और समूचा वातावरण धार्मिक हो उठा।
यहां यह बात उल्लेखनीय है कि इस ट्रेन के प्रति देश भर से लोगों ने जर्बदस्त रुचि दिखाई है। मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, नई दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा आदि राज्यों से 800 पर्यटकों का इसमें सम्मिलित होना यही दर्शाता है कि धार्मिक यात्रा का जनमानस में कितना गंभीरता से मूल्य प्रतिस्थापित है। इतनी अधिक यात्री संख्या की आवश्यक्ताओं का ध्यान रखने के लिए रेलवे ने पूरे 135 कर्मचारियों का स्टाफ इसमें तैनात किया है।
आज 16 नवम्बर की शाम 5 बजे यह ट्रेन अयोध्या से चलना प्रस्तावित है। यहां पर यात्रियों के लिए हनुमान गढ़ी, रामकोट और कनक भवन मंदिर के दर्शन का भी समुचित प्रबंध किया गया है। रेलवे के यात्रा प्रबंधक श्री दिनेश येती को इसके नेतृत्व का दायित्व सौंपा गया है। इसके मार्ग में नंदीग्राम, सीतागढ़ी, वाराणसी, प्रयाग, श्रृंगवेरपुर, चित्रकूट, नासिक एवं हंपी पर पड़ाव करते हुए रामेश्वरम को गंतव्य बनाया गया है।
वैसे तो ट्रेन रामेश्वरम तक निर्धारित है लेकिन यदि कोई यात्री इसके आगे श्रीलंका तक जाना चाहता है तो उसके लिए यात्रियों से एक अतिरिक्त राशि निर्धारित की गई है क्योंकि इसमें हवाई यात्रा भी शामिल है। श्रीलंका में कोलंबो, नेगोंबो, नुवारा एलिया, कांडी जैसे स्थानों का भी भ्रमण कराया जाएगा। निस्संदेह भारतीय रेल की यह पहल धार्मिक पर्यटन की दिशा में महत्वपूर्ण पड़ाव सिद्ध होगी।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)