कांग्रेस भले ही चिदंबरम की गिरफ़्तारी को बदले की राजनीति कहे, लेकिन हकीकत यही है कि कांग्रेस नैतिकता की जिस ज़मीन पर खड़ी है उसकी बुनियाद बेहद कमजोर है। आज चिदंबरम की गिरफ्तारी हुई है, कल चिदंबरम के जरिये कोई खुलासा होने पर किसी और पर भी गिरफ़्तारी की तलवार लटक सकती है। कांग्रेस को इस बात का सबसे ज्यादा डर है और ये डर ही उसकी बौखलाहट का कारण है।
कांग्रेस राज में चिदंबरम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बाद बड़ा रुतबा रखते थे। वित्त और गृह जैसे मंत्रालय उनके पास रहे थे। मगर इसका यह अर्थ नहीं कि भ्रष्टाचार के मामलों में उन्हें कोई रियायत दी जाए। आईएनएक्स मीडिया घोटाला मामले में अब उन्हें हिरासत में लिया गया है तो पूरी कांग्रेस के अन्दर बौखलाहट नजर आ रही है। चिदंबरम ही क्यों, वैसे सारे लोग जो अपनी हैसियत का इस्तेमाल कर अपने भ्रष्टाचार को छुपाना चाहते हैं, उन्हें कानून के दायरे में एक न एक दिन आना ही होगा।
चिदंबरम एक नेता ही नहीं हैं, एक बड़े वकील भी हैं। उनके अलावा भी कांग्रेस के पास नामचीन वकीलों की फौज है जो अब तक उसकी ढाल बनी रही है। जिस वक्त चिदंबरम की गिरफ़्तारी हो रही थी, उनके कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद जैसे उनके वकील उससे पहले यही कोशिश कर रहे थे कि किसी तरह उन्हें चीफ जस्टिस के कोर्ट से अग्रिम ज़मानत मिल जाए। पर तमाम प्रयासों के बाद भी पी. चिदंबरम को बचाया नहीं जा सका।
कांग्रेस भले ही चिदंबरम की गिरफ़्तारी को बदले की राजनीति कहे, लेकिन हकीकत यही है कि कांग्रेस नैतिकता की जिस ज़मीन पर खड़ी है उसकी बुनियाद बेहद कमजोर है। आज चिदंबरम की गिरफ्तारी हुई है, कल चिदंबरम के जरिये कोई खुलासा होने पर किसी और की भी गिरफ़्तारी हो सकती है, कांग्रेस को इस बात का सबसे ज्यादा डर है।
कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि भ्रष्टाचार के आरोपित नेता को न तो आप शहीद करार दे सकते हैं और न ही उसके बेक़सूर होने का फैसला ही सुना सकते हैं। दुर्भाग्यवश कांग्रेस चिदंबरम के मामले में यही सब करने में लगी है। चिदंबरम को पांच दिन की सीबीआई हिरासत में भेजे जाने से पहले इसे टालने के लिए कांग्रेस ने तमाम तरकीबें लगाईं लेकिन वह कामयाब नहीं हो सकीं।
चिदंबरम के ऊपर आईएनएक्स चैनल में 305 करोड़ रूपये गलत तरीके से निवेश करवाने का आरोप है, जिसका वह लगातार खंडन करते रहे हैं, लेकिन आरोपों से बचने का सबसे अच्छा तरीका यही था कि वह जांच में सहयोग देते, लेकिन उन्होंने ऐसा किया नहीं। सूत्रों के मुताबिक चिदंबरम से आईएनएक्स के अलावा चार अन्य मामलों में भी पूछताछ हो सकती है, उनके ऊपर बड़ा आरोप है कि वित्त मंत्री रहते हुए उन्होंने एफआईपीबी के ज़रिये गलत तरीके से निवेश करवाए। इसके एवज़ में चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति के विदेशी खातों में घूस की रकम जमा की गई।
सीबीआई का आरोप है कि इन्हीं पैसों का इस्तेमाल विदेशों में चल और अचल संपत्ति खरीदने में किया गया। चिदंबरम के बेटे के खिलाफ आरोपों की अच्छी-खासी लम्बी सूची है। नियति का खेल देखिये कि पी. चिदंबरम जब गृह मंत्री थे तो उन्होंने मनी लौंडरिंग पर लगाम लगाने के लिए विशेष कानून (पीएमएलए) बनवाया था और उसी कानून की वजह से चिदंबरम को हाई कोर्ट ने ज़मानत देने से इंकार कर दिया। बहरहाल, इस गिरफ़्तारी के बाद अब कांग्रेस को नैतिकता पर ज्ञान देने बजाय अपने आचार-विचार से ऐसा प्रयास करना चाहिए, जिससे पुराने पापों का बोझ कम हो सके।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)