आर्थिक गतिविधियों को गति देने वाला बजट

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 11 प्रतिशत की दर से वृद्धि होगी और नोमीनल जीडीपी 15.4 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ेगी। ये आंकड़े आगामी महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर गुलाबी होने की बात कह रहे हैं।

केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा वर्ष 2021-22 के लिए आम बजट पेश किया गया। इस बजट में बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिये बैड बैंक बनाने की घोषणा  की गई है। इस बैंक का निर्माण इसलिए जरूरी है, क्योंकि मौजूदा समय में बैंक गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की समस्या से जूझ रहे हैं।

बैंकों की इस समस्या को कम करने के लिए  सरकार ने  परिसंपत्ति पुनर्गठन एवं प्रबंधन कंपनी बनाने की बात कही है। यह कंपनी विशेषकर सरकारी बैंकों के डूबे हुए कर्ज को खरीदने का काम करेगा। पुनश्च: यह खरीदे हुए कर्ज की नीलामी करेगा और उसे खरीदने वाली कंपनी एनपीए की वसूली करेगी। 

एनपीए की वसूली में तेजी लाने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ढांचे को और मजबूत करने और दबावग्रस्त परिसंपत्तियों के तेजी से समाधान के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ई-कोर्ट प्रणाली शुरू करने की घोषणा बजट में की है।

 साभार : PIB

इस नई संकल्पना की मदद से अदालत में चल रहे वादों का जल्दी निपटारा किया जायेगा, जिससे बैंकों की एनपीए स्तर में कमी आयेगी। सूक्ष्म, लघु, मध्यम एवं मझौले उधम (एमएसएमई) क्षेत्र के एनपीए की वसूली के लिए सरकार एक अलग ढांचा बनायेगी, क्योंकि 31 मार्च 2021 से एमएसएमई क्षेत्र के एनपीए के नये मामलों के एनसीएलटी में दर्ज करने पर लगी पाबंदी को हटाने का प्रस्ताव है। 

मौजूदा प्रावधान की वजह से एनपीए की वसूली में कमी आई है, लेकिन नये प्रस्ताव से इसमें तेजी आने की उम्मीद है। सरकारी बैंकों को मजबूत बनाने के लिए सरकार 20,000 करोड़ रूपये की राशि इक्विटी के जरिये उन्हें देगी। इससे, पूँजी की कमी से जूझ रहे बैंकों को आर्थिकी के मोर्चे पर बड़ी राहत मिलेगी। 

वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल भुगतान में बढ़ोतरी लाने के 1,500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इस राशि से डिजिटल भुगतान की प्रक्रिया को सरल, सहज एवं प्रभावी बनाया जायेगा। सरकार के इस कदम से बैंकों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जाने में आसानी होगी, जिससे बचे हुए समय का इस्तेमाल वे बैंक का कारोबार बढ़ाने में कर सकेंगे। 

बीमा क्षेत्र में एफडीआई सीमा को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत की गई है। इससे, विदेशी निवेश में इजाफा होने की उम्मीद है। यह जरूरी भी है, क्योंकि कोरोना महामारी की वजह से सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए बहुत ज्यादा राजस्व की जरूरत है। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए विनिवेश लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपये रखा गया है। 

इसके तहत, बजट में दो सरकारी बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी में विनिवेश करने का प्रस्ताव है। इस प्रावधान को मूर्त रूप देने के लिए संसद के चालू सत्र में कानून में संशोधन किया जायेगा। इससे दोनों बैंकों और बीमा कंपनी को नीतिगत निर्णय लेने में ज्यादा स्वतंत्रता मिलेगी और सरकार को भी गैर कर राजस्व की प्राप्ति होगी। 

बीमा क्षेत्र में सरकार की योजना भारतीय जीवन बीमा निगम में अपनी हिस्सेदारी को बेचने की भी है। सरकार चाहती है कि 4 रणनीतिक क्षेत्रों को छोड़कर अन्य क्षेत्रों के सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों का विनिवेश जल्द से जल्द किया जाये। गैरकर राजस्व को बढ़ाने और कंपनियों की दक्षता में सुधार लाने के लिये बीपीसीएल, एयर इंडिया, पवनहंस, आईडीबीआई बैंक, कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया आदि कंपनियों के रणनीतिक विनिवेश को 2021-22 में पूरा किया जायेगा 

ग्रामीण अर्थव्यवस्था और किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिये वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि ऋण लक्ष्य को बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये किया है। कृषि ऋण में किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) सबसे लोकप्रिय ऋण है।

किसानों की आर्थिक क्षमता बढ़ाने में यह संजीवनी का काम कर रहा है। वर्तमान में 11.5 करोड़ किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का फायदा उठा रहे हैं। बचे हुए 5 करोड़ किसानों को केसीसी ऋण दी जा सकती है और जो किसान इस ऋण को पाने के पात्र नहीं हैं, उन्हें स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के तर्ज पर बैंकों से जोड़कर उन्हें आर्थिक रूप से सबल बनाया जा सकता है। 

वित्त वर्ष 2021-22 में ग्रामीण अवसंरचना विकास के लिए आवंटन की राशि को बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये किया गया है, जो वित्त वर्ष 2020-21 में 30,000 करोड़ रुपए था। इसके साथ, सूक्ष्म सिंचाई परियोजना कोष को भी दोगुना कर 10,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इन प्रावधानों से ग्रामीण आधारभूत संरचना में मजबूती आयेगी साथ ही साथ इससे ग्रामीणों को मिल रही सुविधाओं का भी विस्तार होगा। 

वित्त मंत्री ने चालू वित्त वर्ष के 4.39 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले अगले वित्त वर्ष के लिए 5.54 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत व्यय का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा, उत्पादन आधारित योजना (पीएलआई) पर 5 सालों में 1.97 लाख करोड़ रुपये खर्च किया जायेगा। सरकार राज्यों और स्वायत्त निकायों को 2 लाख करोड़ रुपये आधारभूत संरचना को और भी मजबूत करने के लिये मुहैया करायेगी।  

रेलवे को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 1,10,055 करोड़ रुपये दिये गये हैं, जिसमें से 1,07,100 करोड़ रुपये पूंजीगत व्यय के लिये दिए गये हैं। कोरोना महामारी से उबरने में खर्च में बढ़ोतरी करना जरूरी है। इसके जरिये ही मांग और आपूर्ति को बढ़ाया जा सकता है।

इससे, आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने में सरकार को मदद मिलेगी। वित्त वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटे के 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। यह बजटीय अनुमान से भले ही अधिक है, लेकिन फिलवक्त विकास की गति को बढ़ाने के लिए इस मोर्चे पर ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है।  

मुद्रास्फीति के वर्ष 2021 में 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जिसे सकारात्मक कहा जा सकता है। मुद्रास्फीति के निचले स्तर पर रहने पर आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने में मदद मिलेगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 11 प्रतिशत की दर से वृद्धि होगी और नोमीनल जीडीपी 15.4 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ेगीये आंकड़े आगामी महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था की तस्वीर गुलाबी होने की बात कह रहे हैं। कहा जा सकता है कि बजट में आधारभूत संरचना खास करके ग्रामीण आधारभूत संरचना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था, बैंकिंग क्षेत्र, एमएसएमई क्षेत्र आदि को मजबूत बनाने पर विशेष ज़ोर दिया गया है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)