असल में कांग्रेस सत्तापक्ष में विफल रहने के बाद, एक विपक्ष के तौर पर भी पिछले साढ़े चार सालों में असफल ही रही है। कांग्रेस के पास आज भी विरोध करने का कोई भी सटीक व तार्किक मुद्दा नहीं है। ऐसे में अब खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे की तर्ज पर कांग्रेसी नेता अपने घटिया बयानों से भाजपा सरकार को घेरने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। यह बात अलग है कि मीनमेख की इस हरकत को नज़र अंदाज करते हुए भाजपा अपने विकास क्रम को जारी रखे हुए है।
देश के पांच राज्यों में चुनावी बिगुल बज चुका है। छत्तीसगढ़ में दोनों चरणों के मतदान हो चुके हैं और मध्यप्रदेश, राजस्थान में आने वाले दिनों में मतदान होना शेष है। चूंकि मध्यप्रदेश के मतदान का समय पहले आ रहा है, ऐसे में यहां बीजेपी व कांग्रेस दोनों दलों के राष्ट्रीय नेताओं के आने व सभाओं का सिलसिला इन दिनों जोरों पर है। अब बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं के बीच जुबानी जंग भी तेज होती जा रही है। जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पिछले दिनों मप्र के कई शहरों में सभाएं की, वहीं कांग्रेस से राहुल गांधी, ज्योतिरादित्य सिंधिया भी लगातार सभाएं कर रहे हैं।
इसी क्रम में अभिनेता से नेता बने कांग्रेस के राज बब्बर पिछले दिनों इंदौर में थे, जहां उन्होंने अपने भाषण में मर्यादा की सभी सीमाएं लांघ दीं। उन्होंने प्रधानमंत्री पर निजी आक्षेप करते हुए बेहद आपत्तिजनक भाषा एवं लहजे का प्रयोग कर डाला। उन्होंने डॉलर के मुकाबले रुपया गिरने की बात को पीएम की माताजी के साथ जोड़कर एक अनुचित टिप्पणी की।
मप्र में ही सिंधिया ने भी एक विवादित बयान देते हुए कहा कि लोग मुझे मिर्च की माला पहना रहे हैं लेकिन भाजपा को मिर्च लग रही है। शनिवार को स्वयं पीएम मोदी ने भोपाल एवं छतरपुर में हुई सभा में राज बब्बर की इस निम्न स्तरीय टिप्पणी पर कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि अब कांग्रेसियों के पास गाली देने के सिवाय कोई विकल्प नहीं बचा है। वे राजनीति में बराबरी का मुकाबला नहीं कर पा रहे हैं, तो मां की गालियां देने पर उतारू हो गए हैं। अभी ये प्रकरण चल ही रहा था कि राजस्थान में कांग्रेस नेता विलासराव मुत्तेमवार ने प्रधानमंत्री के पिता को लेकर आपत्तिजनक बयान दे डाला।
देखा जाए तो पिछले दिनों ऐसे कई अवसर आए हैं जब मणिशंकर अय्यर, संजय निरुपम आदि अनेक कांग्रेस नेताओं ने भाजपा एवं प्रधानमंत्री पर अत्यंत आपत्तिजनक टिप्पणी की। कांग्रेस नेताओं के सतही बयानों से निराशा अवश्य होती है, लेकिन हैरत नहीं। कारण यह है कि इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वयं असंतुलित और बेतुकी बयानबाजी के आदी रहे हैं, तो ऐसे में अन्य नेताओं को ऐसी नकारात्मक प्रेरणा मिलना स्वाभाविक ही है। लेकिन इस प्रवृत्ति के मूल में जो ग्रंथि है, उस पर जरूर बात की जा सकती है।
असल में कांग्रेस सरकार के रूप में विफल रहने के बाद एक विपक्ष के तौर पर भी पिछले साढ़े चार सालों में असफल रही है। कांग्रेस के पास आज भी विरोध करने का कोई भी सटीक व तार्किक मुद्दा नहीं है। ऐसे में अब खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे की तर्ज पर कांग्रेसी नेता अपने घटिया बयानों से भाजपा सरकार को घेरने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। यह बात अलग है कि मीनमेख की इस हरकत को नज़र अंदाज करते हुए भाजपा अपने विकास क्रम को जारी रखे हुए है। इसी क्रम में पिछले दिनों मप्र में भाजपा ने अपने घोषणा-पत्र का ऐलान किया है।
यदि हम केवल मध्यप्रदेश की ही बात करें तो भाजपा के पास विकास के अपने दावे हैं। गौरतलब है कि मप्र में विगत पंद्रह वर्षों से भाजपा की सरकार है। इससे पहले यहां एक दशक तक कांग्रेस की सरकार रही थी। दिग्विजय सिंह यहां मुख्यमंत्री थे। 2003 में भाजपा ने कांग्रेस को हराया और उमा भारती बतौर मुख्यमंत्री यहां काबिज हुईं थीं। इसके बाद मप्र के वरिष्ठ भाजपा नेता बाबूलाल गौर भी अल्पसमय के लिए मुख्यमंत्री रहे, तत्पश्चात नवंबर 2005 में शिवराज सिंह चौहान के पास प्रदेश की कमान आई तो वह अभी तक कायम है।
शिवराज सिंह के नेतृत्व में मप्र में भाजपा ने 2008 और 2013 के चुनाव जीते हैं। 2013 में शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव से पहले प्रदेश भर में जन आर्शीवाद यात्रा निकाली थी। इस यात्रा के बहाने उनका ध्येय जनता को अपने द्वारा किए गए कार्यों का बखान करना और उपलब्धियां गिनाना था। यही कवायद उन्होंने इस बार भी जारी रखी। 2018 के चुनाव से पहले उन्होंने फिर से प्रदेश भर में जन आर्शीवाद यात्रा निकाली और जनता के समक्ष अपने कार्य गिनाए।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)