कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों को राहत देने के लिये वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 26 मार्च को 1.7 लाख करोड़ रूपये प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत देने की घोषणा की। सरकार की कोशिश है कि 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान कोई भूखा न रहे। इस योजना के तहत डॉक्टर, पैरामेडिकल कर्मचारियों आदि का 50 लाख का बीमा किया जायेगा, क्योंकि यह वर्ग अपनी जान को जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचा रहे हैं।
कोरोना वायरस मानव अस्तित्व के लिये आज एक बड़ा खतरा बन गया है, जिससे बचने के उपाय फिलहाल बहुत ही कम दिख रहे हैं। सुधारात्मक उपायों को देर से अमलीजामा पहनाने वाले देशों को धीरे-धीरे यह अपनी चपेट में ले रहा है। सुधारात्मक उपाय नहीं करने पर इसका प्रकोप क्रमिक रूप से आगे बढ़ता है। पहले चरण में यह लोगों को गंभीर नहीं लगता है, लेकिन दूसरे चरण से यह लोगों के प्राणों को लीलने लगता है। नहीं चेतने पर तीसरे चरण में इसका फैलाव समुदाय में हो जाता है और यह फिर यह थोक में लोगों की जान लेता है। तदुपरांत, यह बेकाबू हो जाता है, जिसे रोकना मुमकिन नहीं होता है।
चूँकि, इस रोग की कोई दवा नहीं है। इसलिये, इसके रोकथाम के लिये जरुरी है कि संभावित मरीजों की अधिक-से-अधिक संख्या में टेस्ट किया जाये, ताकि कोरोना से संक्रमित लोगों को अविलम्ब 14 दिनों के क्वारटाईन में भेजा जाये। इस तरीके से ही लोगों को संक्रमित होने से बचाया जा सकता है। भारत में कोरोना वायरस अभी दूसरे चरण में है। इसपर काबू पाने के लिये देशव्यापी 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की गई है, जिसकी मियाद 14 अप्रैल को ख़त्म होगी।
लॉकडाउन में निर्माण और अन्य गतिविधियों के ठप्प पड़ने के कारण मजदूरों व अन्य कामगारों के लिये रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। प्रवासी मजदूरों एवं कामगारों को अपने गाँव लौटना पड़ा है। हजारों की संख्या में मजदूर एवं कामगार जगह-जगह फंसे हुए भी हैं।
कोरोना वायरस से प्रभावित लोगों को राहत देने के लिये वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 26 मार्च को 1.7 लाख करोड़ रूपये प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत देने की घोषणा की। सरकार की कोशिश है कि 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान कोई भूखा न रहे। इस योजना के तहत डॉक्टर, पैरामेडिकल कर्मचारियों आदि का 50 लाख का बीमा किया जायेगा, क्योंकि यह वर्ग अपनी जान को जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचा रहे हैं।
लगभग 80 करोड़ गरीब लोगों को अगले तीन महीनों तक 5 किलो गेहूं या चावल और दाल मुफ्त देने का प्रस्ताव है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 2 हजार रूपये की किस्त 8.7 करोड़ किसानों के खाते में अप्रैल के पहले सप्ताह में अंतरित की जायेगी। मनरेगा के तहत दी जा रही मजदूरी को 182 रूपये से बढाकर 202 रूपये प्रतिदिन किया गया है, ताकि मजदूरों को आर्थिक परेशानी का कम सामना करना पड़े। बुजुर्ग, गरीब विधवा और गरीब दिव्यांगों को आगामी 3 महीनों तक एक हजार रूपये देने की भी बात कही गई है।
उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को अगले तीन महीनों तक मुफ्त में गैस सिलेंडर दिया जायेगा। बीस करोड़ महिला जनधन खाताधारकों के खातों में अगले तीन महीनों तक हर महीने 500 रूपये जमा किये जायेंगे, ताकि वे मुश्किल वक्त का सामना कर सकें।
कर्मचारी अपने भविष्य निधि खाते से 75 प्रतिशत या 3 महीनों के वेतन के बराबर पैसों की निकासी कर सकेंगे, जिसे उन्हें वापिस नहीं जमा करना होगा। इससे एक बड़े वर्ग को आर्थिक मदद मिलेगी।
महिलाओं द्वारा संचालित स्व-सहायता समूह को अब 20 लाख रूपये तक ऋण बिना संपार्श्विक प्रतिभूति के दिया जायेगा, जिससे स्व-रोजगार का दायरा व्यापक होगा। पंद्रह हजार रूपये तक मासिक वेतन पाने वाले कर्मचारियों या कामगारों का भविष्य निधि अंशदान अगले तीन महीनों तक सरकार देगी।
निर्माण क्षेत्र से जुड़े 3.5 करोड़ पंजीकृत कामगारों को आर्थिक मदद देने के लिये 31,000 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। इसके पहले 24 मार्च को भी सरकार ने एटीएम शुल्क एवं खातों के न्यूनतम बैलेंस को खत्म कर और आयकर व जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की अवधि बढाकर लोगों के घाव पर कुछ मरहम लगाया था।
आर्थिक मोर्चे पर कारोबारियों और आमजनों को राहत देने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक ने 27 मार्च 2020 को मौद्रिक समीक्षा के दौरान सभी मियादी ऋणों पर क़िस्त एवं ब्याज की चुकौती में 3 महीने की छूट दी है। वर्किंग कैपिटल के ऋण की ब्याज अदायगी में भी 3 महीनों की छूट दी गई है।
कोरोना वायरस के कारण कारोबारी एवं आमजन फिलवक्त बैंकों से लिये ऋण की क़िस्त एवं ब्याज नहीं दे पा रहे हैं। इससे बैंकों के ऋण भुगतान करने में चूक की आशंका बढ़ गई थी। रिजर्व बैंक के ताजा फैसले से तीन महीनों तक क़िस्त एवं ब्याज ऋण खाते में नहीं जमा करने से वह गैर निष्पादित आस्ति (एनपीए) नहीं होगा और न ही इसके लिये कोई रेटिंग एजेंसी बैंकों की रेटिंग को कम करेगी।
कारोबारियों को सस्ती दर पर ऋण मिल सके, इसके लिये केंद्रीय बैंक ने रेपो दर को 75 बेसिस पॉइंट कम किया है, जिससे यह 5.15 प्रतिशत से घटकर 4.4 प्रतिशत हो गई है। इससे ऋण के किस्तों में कमी आयेगी।
संवाधिक तरलता अनुपात यानी सीआरआर को भी 4 प्रतिशत से घटाकर 3 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे बैंकिंग प्रणाली में 3.74 लाख करोड़ रूपये की नकदी का प्रवाह होगा। सस्ती पूँजी उपलब्ध होने से बैंक सस्ती दर पर कारोबारियों और आमजनों को ऋण मुहैया करा सकेंगे। केंद्रीय बैंक की कोशिश है कि प्रणाली में नकदी की कमी नहीं हो। रिजर्व बैंक ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को कहा है कि जरूरतमंदों को नकदी मुहैया कराना सुनिश्चित करें, ताकि अर्थव्यवस्था और आमजन को मौजूदा संकट से बाहर निकलने में आसानी हो।
कहा जा सकता है कि कोरोना वायरस के कारण जब आर्थिक गतिविधियाँ पूरी तरह से ठप्प पड़ चुकी हैं, ऐसे में सरकार द्वारा 1.70 लाख करोड़ रूपये की मदद की घोषणा करने और केंद्रीय बैंक द्वारा कारोबारियों और आमजन को राहत देने के लिये रेपो दर में कटौती करने, तीन महीनों के लिये क़िस्त एवं ब्याज की चुकौती में छूट देने, बैंकिंग प्रणाली में लाखों करोड़ रूपये डालने आदि से कमजोर तबके, मध्यम वर्ग और कारोबारियों को राहत मिलने की उम्मीद है। उम्मीद है, इस आपदा से देश जल्द ही उबर जाएगा।
(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)