जिस तेजी से यह वायरस पूरी दुनिया में फैला है, उस हिसाब से यह संभव था कि भारत में यह कोहराम मचा देता क्योंकि भारत में सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ हमेशा रहती है। लेकिन सरकार के प्रयासों की सराहना की जानी चाहिये कि बहुत कम समय में सरकार ने अपनी पूरी प्रशासनिक मशीनरी को इस काम में युद्ध स्तर पर झोंक दिया, जिसका परिणाम यह है कि आज भी आबादी के मान से देश में संक्रमितों की सख्ंया कम है और इससे बचने के लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है।
कोरोना वायरस के रूप में आज मानवता के समक्ष एक वैश्विक संकट आन खड़ा हुआ है। जहां दुनिया भर के देश इससे जूझ रहे हैं, वहीं भारत में इस वायरस के संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। इस महामारी के खतरे से बचाव के लिए आज 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया है। मोदी ने दो दिन पहले राष्ट्र के नाम दिए संदेश में पूरे देश से यह अपील की थी कि 22 मार्च को स्वेच्छा से सारे बाजार बंद रखे जाएं और लोग अपने घरों में रहें। भीड़ से बचें और किसी भी तरह के संपर्क में ना आएं। मोदी की इस अपील का असर पूरे देश में दिखाई दे रहा है।
असल में मोदी यह चाहते हैं कि जब तक कोरोना का कोई सक्षम इलाज ईजाद नहीं हो जाता है, इससे बचाव पर पूरा ध्यान दिया जाए। इसके चलते उन्होंने पूरे देश से स्वेच्छा से बंद रखने का आग्रह किया। इस बात में सार्थकता भी नजर आती है क्योंकि कोरोना का घातक वायरस यदि एक दिन भी इस प्रकार के तमाम तरीकों से संक्रमित नहीं हो पाता है तो यह प्रयास अपने आप में महत्वपूर्ण साबित होगा।
भारतीय रेलवे ने भी प्रधानमंत्री की मंशा के साथ कंधे से कंधा मिलाया और पूरे देश भर की पैसेंजर ट्रेनों को निरस्त करने का निर्णय लिया है। ट्रेनों में बड़ी आबादी यात्रा करती है इसलिए संक्रमण का सर्वाधिक खतरा यहीं पर है। इस पर रोक लगाने से संक्रमण को रोका जा सकता है।
देश के कई शहरों को लॉक डाउन किया जा चुका है। गुजरात के चार शहर पूरी तरह बंद रहेंगे। पंजाब और राजस्थान में लॉकडाउन हो गया है। यह खतरे की तो घड़ी है ही, परीक्षा और धैर्य की भी घड़ी है। इसी दौरान सरकार एवं जनता के आपसी तालमेल का भी पता चल रहा है।
चीन के वुहान से दुनिया भर में पैर पसार चुके घातक कोरोना वायरस की दहशत दिनों दिन बढ़ती जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित कई देशों व राज्यों ने इसे महामारी घोषित कर दिया है। इसका मतलब यह हुआ कि हालात गंभीर हैं और इस जानलेवा संक्रमण से बचना चुनौती है। इस वायरस के संक्रमण का आंरभ तो चीन से हुआ लेकिन चीन के अलावा भी इसने कहर बरपाया है।
देश में अभी तक तीन सौ से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और छः मौतें हो चुकी हैं। चीन के बाद भारत की आबादी दुनिया में सबसे ज्यादा है। सवा सौ करोड़ की आबादी के बीच इस संक्रामक बीमारी का तेजी से फैलना एक बड़ी आशंका है। इसके चलते भारत सरकार ने हालात को नियंत्रित करने के लिए जी जान लगा दी है।
अधिकांश राज्यों में स्कूल, कॉलेज, सिनेमाघर, पब, जिम, क्लब, सार्वजनिक समारोह, शादी समारोह आदि निरस्त कर दिए गए हैं। ट्रेनों को बंद कर दिया गया है। स्टेशन पर भीड़ हटाने के लिए प्लेटफार्म टिकट के दाम 10 गुना बढ़ा दिए गए हैं। सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को भी बंद कर दिया गया है।
एक प्रकार से देखा जाए तो बाजारों में सन्नाटा है और लोग घरों में कैद हो गए हैं। लेकिन यह सब अहतियात और लोगों की सुरक्षा के लिए किया जा रहा है, इसलिए सरकार के फैसलों का जनता भी भरपूर सहयोग कर रही है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने इस बार आईपीलएल सहित घरेलू स्पर्धाएं भी सुरक्षा के चलते निरस्त कर दी हैं।
जिस तेजी से यह वायरस पूरी दुनिया में फैला है, उस हिसाब से यह संभव था कि भारत में यह कोहराम मचा देता क्योंकि भारत में सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ हमेशा रहती है। लेकिन सरकार के प्रयासों की सराहना की जानी चाहिये कि बहुत कम समय में सरकार ने अपनी पूरी प्रशासनिक मशीनरी को इस काम में युद्ध स्तर पर झोंक दिया, जिसका परिणाम यह है कि आज भी आबादी के मान से देश में संक्रमितों की सख्ंया कम है और इससे बचने के लिए पूरा प्रयास किया जा रहा है।
सरकार ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में हेल्पलाइन सेंटर स्थापित किए हैं। देश भर का एक नंबर भी जारी किया है। मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में तो विगत 72 वर्षों से विराट पैमाने पर चले आ रहे होली-रंगपंचमी महोत्सव को भी इस बार निरस्त कर दिया गया। इस आयोजन में लाखों लोग जुटते हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि जनता भी जागरूक हुई है और सरकार की मंशा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग कर रही है।
कई राज्यों में 31 मार्च तक स्कूल व कॉलेज बंद हैं। संक्रमण के फैलने से रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने सभी पर्यटक स्थलों, मंदिरों, दफ्तरों को बंद करने के निर्देश जारी किए हैं। अनेक राज्यों में भी ऐसी हर जगह को बंद कर दिया गया है जहां अधिक भीड़ जमा हो सकती है। मुंबई, पुणे, गुरुग्राम, बेंगलुरु, दिल्ली जैसी जगहों पर प्रशासन ने निजी कंपनियों को पत्र लिखकर कहा है कि वे अपने कर्मचारियों से घर से ही काम करवाएं।
कई कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था भी लागू कर दी है। यह अच्छी बात है कि स्थिति की भयावहता को देखते हुए सभी प्रदेश की सरकारें स्वविवेक से निर्णय ले रही हैं। अभी तक तो भारत में अन्य देशों की तुलना में स्थिति नियंत्रण में ही है। सोशल मीडिया पर भी सरकार नजर रख रही है। भ्रामक सूचना देने वालों पर कार्यवाही भी की जा रही है। हालांकि कोरोना का खतरा कब थमेगा यह अभी नहीं कहा जा सकता लेकिन परहेज ही सबसे बड़ा इलाज है। इसी ध्येय वाक्य को ध्यान में रखकर सरकार एवं जनता चल रही है। निश्चित ही देश में कोरोना के संक्रमण से आगामी समय में पूरी तरह से निपटा जा सकेगा, यह उम्मीद की जा सकती है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)