अटल जी एक व्यक्ति नहीं, विचार थे जिन्होंने सारे देश को एक सूत्र में पिरो दिया। क्या पक्ष-क्या विपक्ष, क्या विरोधी और क्या समर्थक, अटल जी के आगे सब मुग्ध हो जाते थे। ऐसे लोग भले ही हमारे बीच से चले जाते हैं, लेकिन उनका असर आने वाले कई दशकों तक सियासत और समाज पर कायम रहता है।
आपने पिछले बार किसी नेता के लिए दिल्ली की सड़कों पर ऐसा विशाल जनसैलाब कब देखा? किसी नेता के लिए ऐसा अपार प्यार, स्नेह और इज्ज़त आपने कब देखी? यह याद रखिए अटल जी ने एक ऐसे समय में सियासत की थी, जब कोई सोशल मीडिया नहीं था, लेकिन इसके बावजूद लाखों-करोड़ों लोगों के दिल में उनकी प्रतिमा स्थापित रही। अब पूरे देश के सामने यह उदाहरण है कि जैसा जीवन उन्होंने जिया उसमें से आपने कितना कुछ सीखा। उनके उसूलों को सामने रखकर “अटल-पथ” पर चलना कितनी बड़ी चुनौती होगी।
अटल जी एक व्यक्ति नहीं, विचार थे जिन्होंने सारे देश को एक सूत्र में पिरो दिया। क्या पक्ष-क्या विपक्ष, क्या विरोधी और क्या समर्थक, अटल जी के आगे सब मुग्ध हो जाते थे। ऐसे लोग भले ही हमारे बीच से चले जाते हैं, लेकिन उनका असर आने वाले कई दशकों तक सियासत और समाज पर कायम रहता है।
उनके जाने से देश ने बहुत कुछ खोया, लेकिन उनके होने के दौरान बहुत कुछ पाया भी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम यात्रा में उमड़े असंख्य लोग किसी पार्टी से जुड़े हुए नहीं थे, वह आम लोग थे, जिनकी जिंदगी को अटल बिहारी वाजपेयी ने किसी न किसी तरह से छुआ था।
आज तो हमने टीवी के जरिये वो दृश्य देखे, जो दिल्ली की सड़कों पर थे, लेकिन ऐसे ही दृश्य पूरे देश भर में थे। अटल जी का व्यक्तित्व और कृतित्व ही इतना विशाल था कि वो तमाम विचारधाराओं और दीवारों को तोड़कर सबको अपने आगोश में समा लेने की क्षमता रखता था।
अटल जी पिछले 10 सालों से सक्रिय राजनीति से दूर थे, लेकिन दूर रहकर भी वह दूर नहीं थे। हर अवसर पर उन्हें देश बराबर याद करता था। दो महीने पहले अटल जी को जब एम्स में भर्ती करवाया गया, उनके चाहने वाले यही उम्मीद कर रहे थे कि अटल जी मौत पर जीत हासिल करके पुनः वापिस आ जाएंगे, लेकिन जितनी सांसें उनके हिस्से में थी उसको जीकर उन्होंने अंतिम सांस ली।
अटल जी के राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि पिछले 60 सालों में उन्होंने संसदीय राजनीति की गौरवशाली परम्पराओं को परिभाषित किया। उन्होंने राजनीति में नैतिक निष्ठा और वैचारिक शालीनता के उच्च मानदंड स्थापित किए। उनका ज्यादातर समय विपक्ष में गुजरा लेकिन उनका कद इतना बड़ा था कि उन्होंने पार्टीगत दूरियों को भी ख़त्म कर दिया। उनको चाहने वाले हर दलों में थे, कांग्रेस से लेकर कम्युनिस्ट पार्टी तक। उनकी उस स्पष्टवादिता और वाकपटुता का हर कोई कायल था, जिसके बल पर वह अपने विरोधियों को भी निशब्द कर दिया करते थे।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री एक बहुत ही कुशल वक्ता थे, उनके भाषण को सुनने का इन्तजार न सिर्फ सत्ता पक्ष के लोग अपितु विपक्ष के लोग भी शिद्दत के साथ करते थे। वह एक अकेले नेता थे जो अपने विपक्षियों को भी निशब्द कर देने में सक्षम थे। मृत्यु एक अंतिम सत्य है और आज अटल जी इस दुनिया से जा रहे हैं, लेकिन उनका कृतित्व इस धरा पर कायम रहेगा। अटल जी कहते थे कि सत्ता में आना-जाना तो चलता रहता है, बस यह देश और लोकतंत्र बना रहना चाहिए। उनके विचारों को अपने जीवन और व्यवहार में उतारना ही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)