आमतौर पर प्रधानमंत्रियों के लोकसभा क्षेत्र विकास के मानदंड पर पिछड़े ही रहते हैं। फूलपुर से लेकर अमेठी तक इसके अनगिनत उदाहरण मिल जाएंगे। इसका कारण है कि देश-विदेश की गतिविधियों में व्यस्त होने के कारण उन्हें अपने क्षेत्र के विकास की ओर देखने की फुर्सत ही नहीं मिलती है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र इन सबसे अलग है। मोदी के सांसद बनने के बाद से ही न सिर्फ वाराणसी संसदीय क्षेत्र बल्कि समूचे पूर्वांचल में विकास की बयार बह रही है।
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वाराणसी को केंद्र बनाकर समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश और समीपवर्ती बिहार में चिकित्सा ढांचा, रेल, सड़क, पाइपलाइन, जलमार्ग का व्यवस्थित नेटवर्क बिछाया जा रहा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में चिकित्सा सुविधाएं बेहद पिछड़ी हुई हैं। यही कारण है कि यहां के लोगों को इलाज के लिए लखनऊ से लेकर दिल्ली तक का चक्कर लगाना पड़ता है। स्पष्ट है महंगे इलाज से भी यहां के लोगों का गरीबी में आटा गीला होता रहा है। ऐसे में, मोदी सरकार समूचे पूर्वांचल को मेडिकल हब के रूप में विकसित कर रही है।
हर तीन लोक सभा सीट पर एक मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जा रही है। गाजीपुर और मिर्जापुर में मेडिकल कालेज का शिलान्यास किया जा चुका है। इससे लोगों को पास में ही सस्ता इलाज मिलेगा। इसके अलावा वाराणसी स्थित सर सुंदर लाल अस्पताल को उच्चीकृत करके एम्स का दर्जा दिया गया है। टाटा के सहयोग से वाराणसी में शुरू हुए कैंसर संस्थान में मरीजों का इलाज होने लगा है। गोरखपुर में एम्स की नींव रखी गई। परिणामस्वरूप जो कालाजार हर साल समूचे गोरखपुर क्षेत्र में प्रकोप बनकर आता था, वह इस बार काबू में रहा।
आजादी के बाद से पूर्वांचल में रेलवे के आधारभूत ढाँचे के विकास पर ध्यान ही नहीं दिया गया। नेताओं ने नए रेलमार्गों के निर्माण, रेलमार्गों के दुहरीकरण व विद्यतीकरण करने की बजाए यहां से लंबी दूरी की रेलगाड़ियां चलाई ताकि कुशल-अकुशल कामगारों के पलायन को बढ़ावा मिले। मोदी सरकार ने रेलवे के आधारभूत ढाँचे पर सर्वाधिक बल दिया है।
पिछले 50 वर्षों में उत्तर प्रदेश में रेलवे के विकास पर जितना खर्च हुआ उससे अधिक साढ़े चार वर्षों में हुआ। इस दौरान 88000 करोड़ रूपये रेलवे के विकास पर खर्च किए गए। क्षेत्र की सभी रेल लाइनों का दोहरीकरण-विद्युतीकरण कार्य प्रगति पर है। छोटे-छोटे शहरों से लंबी दूरी की रेलगाड़ियां चलाने से लोगों को वाराणसी और गोरखपुर के चक्कर नहीं लगाने पड़ रहे हैं।
सरकार ने बहराइच और खलीलाबाद के बीच नई रेल लाइन को मंजूरी दे दी है और इस पर काम भी शुरू हो गया है। यह रेल लाइन सामाजिक और आर्थिक महत्व वाले औद्योगिक विकास को आधारभूत संरचना उपलब्ध कराएगी। इन इलाकों में लघु उद्यमों की बहुलता है और रेल लाइन बन जाने से इनका तेजी से विकास होगा। इस रेल लाइन का पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यंत महत्व है क्योंकि यह बौद्ध और जैन धर्म से जुड़े श्रावस्ती से होकर गुजरेगी। इससे पड़ोसी देश नेपाल की यात्रा भी सुगम हो जाएगी।
वाराणसी शहर की यातायात व्यवस्था ठीक करने के लिए रिंग रोड परियोजना का पहला चरण पूरा हो चुका है। इससे जाम से मुक्ति मिलेगी। इसी तरह शहर में फ्लाईओवर, अंडरपास बनाए जा रहे हैं। वाराणसी पहला स्थान है जहां अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र खुला है। यह फिलीपीन्स के बाद दूसरा केंद्र है। वाराणसी में अत्यंत आधुनिक ट्रेड सेंटर खुल गया है। यहां उद्योगों के संवर्द्धन का काम होगा। वाराणसी से मिर्जापुर, भदोही, चंदौली, आजमगढ़ और मऊ तक बुनकरों की बड़ी तादाद है। ऐसे में उनके रोजगार के साधन बढ़ रहे हैं।
वाराणसी को पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों से जोड़ने के लिए 2835 किलोमीटर की सड़क परियोजनाओं को मंजूरी मिल चुकी है। इनमें से 1143 किलोमीटर की 15 सड़क परियोजनाओं पर काम शुरू हो चुका है। इससे न सिर्फ पूर्वी उत्तर प्रदेश में रोजगार के अवसर सृजित होंगे बल्कि यहां के औद्योगिक विकास को भी पंख लग जाएंगे। गाजीपुर से सीधे राजधानी लखनऊ को जोड़ने वाले देश के सबसे लंबे एक्सप्रेस वे को अब छह लेन के बजाए आठ लेन का बनाया जा रहा है। यह एक्सप्रेस वे पूर्वांचल के आठ जिलों को जोड़ेगा।
वाराणसी में देश के पहले आईडब्ल्यूटी मल्टी मॉडल टर्मिनल से मालवाहक जहाजों की आवाजाही हो रही है। गौरतलब है कि पूर्वी भारत में जल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए वाराणसी और हल्दिया के बीच राष्ट्रीय जलमार्ग संख्या-1 को मालवाहक जहाजों के परिचालन योग्य बनाया गया है। इसके लिए वाराणसी में एक मल्टी मॉडल टर्मिनल विकसित किया गया है।
आगे चलकर वाराणसी से हल्दिया के बीच 20 मल्टी मॉडल टर्मिनल बनाए जाएंगे। विश्व बैंक की सहायता से बने इस जलमार्ग के जरिए 1500 से 2000 डीडब्ल्यूटी क्षमता वाले जहाजों का परिचालन संभव होगा। इसी तरह गैस पाइपलाइन का नेटवर्क बिछाया जा रहा है। समग्रत: दशकों से उपेक्षा का शिकार रहे पूर्वी उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकास की नई गाथा लिख रहे हैं। जब ये परियोजनाएं पूरी हो जाएंगी तब यह क्षेत्र आर्थिक विकास की धुरी बन जाएगा।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)