केंद्र सरकार की फसल बीमा योजना ने देश में किसानों के हितों को सुरक्षित किया है। इस योजना के कारण किसान आपदाओं के कारण फसल बर्बाद होने के बाद की संकटपूर्ण स्थिति से मुक्त हुआ है। यह योजना दर्शाती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार किस प्रकार अपने प्रथम कार्यकाल से ही हर प्रकार से देश के किसानों के हितों को लेकर सजग एवं सक्रिय रही है।
केंद्र सरकार की फसल बीमा योजना को 5 साल पूरे हो गए हैं। यह देशवासियों के लिए गर्व की बात है कि हमारी यह योजना विश्व की सबसे बड़ी एवं प्रभावशाली कृषि फसल बीमा योजना है। करोड़ों किसान इसके लाभार्थी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके इस योजना के लाभार्थियों को बधाई दी है। उन्होंने कहा है कि इस योजना से देश के करोड़ों किसानों को सीधे तौर पर लाभ पहुंचा है।
यह योजना न केवल खरीफ और रबी की फसलों को बल्कि वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए भी सुरक्षा प्रदान करती है। किसान वर्ष भर मेहनत कर खेत की जुताई, बुआई, निकाई सिंचाई एवं खाद डालकर फसल तैयार करता है। फसलों में विशेषकर खरीफ व रबी की फसलें होती हैं।
खेती किसानी में किसान के पूरे परिवार की मेहनत लगती है। ऐसे में अधिक वर्षा, आंधी-तूफान, पाला, बर्फबारी, ओले, कीट, फसली रोगों, आग आदि जैसी आपदा आ गई और फसल नष्ट हुई, तो किसान की पूरी मेहनत और लागत समाप्त हो जाती है।
इन स्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए किसानों की आपदा के दौरान नष्ट हुई फसल की क्षतिपूर्ति करने और किसानों को सम्बल प्रदान करने के लिए ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 13 जनवरी, 2016 को जब इस योजना का आरंभ किया था, तबसे लेकर 2021 तक इसका दायरा तेजी से बढ़ा है।
विश्व की सबसे बड़ी इस कृषि बीमा योजना में किसानों को क्लेम के रूप में 90 हजार करोड़ रुपए मिल चुके हैं। इस योजना का प्रचार एवं प्रसार आज अधिक प्रासंगिक हो गया है क्योंकि देश में यह संदेश जाना बहुत जरूरी हो गया है कि वर्तमान केंद्र सरकार सदा से किसानों की हितैषी रही है और अभी तक किसानों के लिए बहुत कुछ किया है। कृषक द्वारा वहन किये जाने वाले प्रीमियर अंश से अधिक व वास्तविक प्रीमियर दर के अन्तर की समस्त धनराशि को अनुदान के रूप में केन्द्र व राज्य द्वारा बराबर वहन किया जाता है।
प्रदेश के प्रत्येक जनपद में फसल की उत्पादन लागत के अनुरूप बीमित राशि निर्धारित की गई है। एक तरफ जहां कोई नागरिक अपनी सामान्य जीवन बीमा पॉलिसी भी लेने जाता है तो वहां उसे प्रीमियम को लेकर समझौते करना पड़ते हैं क्योंकि बीमा के क्षेत्र में सारा खेल प्रीमियम का है।
अधिक प्रीमियम भरने पर पॉलिसी और पुख्ता होती है लेकिन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में सरकार ने किसानों को सबसे कम प्रीमियम पर एक व्यापक फसल जोखिम बीमा समाधान प्रदान करने की सौगात दी ताकि किसान आत्मनिर्भर हो सकें।
जो किसान ऋण/उधार पैसे लेकर खेती में लगाते थे, उन्हें इस योजना से बड़ा फायदा हो रहा है तथा उनकी आय में स्थायित्व भी आ रहा है। इस योजना को कई प्रदेशों में ग्राम पंचायत स्तर पर लागू किया गया है। इसमें ऋणी कृषक अनिवार्य रूप से तथा अन्य कृषक स्वैच्छिक आधार पर सम्मिलित किये गये हैं। बीमित राशि को फसल के उत्पादन लागत के बराबर जनपद स्तर पर अधिसूचित किया गया है। सभी फसलों हेतु वास्तविक प्रीमियर दर पर लागू किये गये हैं।
किसानों को ऐसे मिलता है बीमा का लाभ
किसानों की फसल के संबंध में अनिश्चितताओं को दूर करने के लिये कैबिनेट ने फसल बीमा योजना को मंजूरी दी थी। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों की फसल को प्राकृतिक आपदाओं के कारण हुई हानि को किसानों के प्रीमियम का भुगतान देकर कम कराती है।
इस योजना के लिये 8,800 करोड़ का प्रावधान किया गया। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत, किसानों को बीमा कंपनियों द्वारा निश्चित, खरीफ की फसल के लिये 2% प्रीमियम व रबी की फसल के लिये 1.5% प्रीमियम का भुगतान करना होता है।
इसमें प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब हुई फसल के लिए किसानों द्वारा भुगतान की जाने वाली बीमा की किश्तों को बहुत कम रखा गया है, जिनका प्रत्येक स्तर का किसान आसानी से भुगतान कर सके।
उत्तर प्रदेश में इस योजना के लागू होने से किसानों को बड़ी राहत मिली है। यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के कार्यकाल में अब तक कुल 161.69 लाख बीमित कृषकों द्वारा 134.75 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों का बीमा कराया गया, जिसमें 16.92 लाख कृषकों को रूपये 1388.40 करोड़ क्षतिपूर्ति का भुगतान किया गया। ये आंकड़े पिछले साल सितंबर तक के हैं।
कुल मिलाकर स्पष्ट है कि केंद्र सरकार की फसल बीमा योजना ने देश में किसानों के हितों को सुरक्षित किया है। इस योजना के कारण किसान विभिन्न आपदाओं से फसल के बर्बाद होने के बाद की संकटपूर्ण स्थिति से मुक्त हुआ है। यह योजना दर्शाती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अपने प्रथम कार्यकाल से ही हर प्रकार से देश के किसानों के हितों को लेकर सजग एवं सक्रिय रही है और अब भी है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)