शुक्रवार शाम को पीएम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे। दिल्ली की चिलचिलाती धूप, गर्मी, उमस भरे मौसम में कई किलोमीटर पैदल चलकर वे पूरे कार्यक्रम में सक्रिय बने रहे। उन्हें पितृतुल्य अटल जी के अवसान का व्यक्तिगत शोक तो था ही, साथ ही देश के हालातों की भी चिंता थी। यह प्रधानमंत्री मोदी का पुरुषार्थ ही है कि शाम साढ़े सात बजे उन्होंने अपने ट्वीटर हैंडल से स्वयं देश को सूचना दी कि वे तत्काल केरल के लिए रवाना हो रहे हैं।
केरल में इन दिनों प्राकृतिक आपदा आई हुई है। लगभग आधे से अधिक राज्य भीषण बाढ़ के प्रकोप में है। अभी तक यहां 300 से अधिक लोगों की मौत बाढ़ के चलते हुई है। सैकड़ों की संख्या में लोग बेघर हो गए हैं। एक अनुमान के मुताबिक जान-माल के नुकसान का आंकड़ा 20 हज़ार करोड़ तक पहुंच चुका है। निश्चित ही केरल की यह आपदा इस सदी की सर्वाधिक भीषण आपदाओं में से एक मानी जा रही है। ऐसे में केंद्र सरकार ने केरल के लिए मदद का हाथ आगे बढ़ाया है।
यहां यह उल्लेख करना जरूरी होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केरल की विपदा की घड़ी में पूरी तन्मयता से मदद में हाथ बंटा रहे हैं। शुक्रवार शाम को पीएम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे। दिल्ली की चिलचिलाती धूप, गर्मी, उमस भरे मौसम में कई किलोमीटर पैदल चलकर वे पूरे कार्यक्रम में सक्रिय बने रहे। उन्हें पितृतुल्य अटल जी के अवसान का व्यक्तिगत शोक तो था ही, साथ ही देश के हालातों की भी चिंता थी। यह प्रधानमंत्री मोदी का पुरुषार्थ ही है कि शाम साढ़े सात बजे उन्होंने अपने ट्वीटर हैंडल से स्वयं देश को सूचना दी कि वे तत्काल केरल के लिए रवाना हो रहे हैं।
एक कर्तव्य से निवृत्त होकर वे दूसरे कर्तव्य के लिए निकल पड़े। रात 11 बजे केरल पहुंचते ही उन्होंने केरल सरकार के अधिकारियों से आपात बैठक की और जमीनी स्थिति का जायज़ा लिया। इतना ही नहीं, शनिवार सुबह उन्होंने हवाई सर्वेक्षण करके स्वयं राज्य का हाल देखा और बाढ़ग्रस्त केरल के लिए सहायता स्वरूप 500 करोड़ रुपए की राशि तत्काल स्वीकृत की। पीएम के साथ केरल के सीएम पी विजयन भी थे।
पीएम मोदी ने बाढ़ का शिकार हुए लोगों के परिजनों के लिए 2 लाख रुपए एवं घायलों के लिए 50 हज़ार रुपए की राशि का ऐलान किया। ज्ञात हो कि केंद्र सरकार अपने आपदा राहत कोष से केरल के लिए पहले ही 100 करोड़ रुपए की मदद का ऐलान कर चुकी है। पीएम मोदी की इस गजब की सक्रियता को सोशल मीडिया पर काफी सराहना मिल रही है।
मालूम हो कि यह वही केरल राज्य है जहां वामपंथी शासन है जो केंद्र सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के खिलाफ अक्सर आक्रामक ही रहता है। स्वयं केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन कई मौकों पर ऐसे बयान दे चुके हैं जो कि राष्ट्र की अखंडता को शोभा नहीं देते। लेकिन संकट की इस घड़ी में तमाम मतभेद भुलाकर केंद्र सरकार बड़ी पहल करते हुए आगे आई है। समाज में समरसता और सदभावना के ये संस्कार भाजपा जैसे दल के सदा से रहे हैं।
एक ओर जहां पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर पंजाब की कांग्रेस सरकार के केबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में शामिल होने पाकिस्तान पहुंच गए, ऐसे में उनके इस रवैये पर पूरा देश भौंचक रह गया। विपक्ष में होकर सिद्धू ने अनुचित रवैये का परिचय दिया। कांग्रेस शासित राज्य से होने के नाते यदि उन्हें भाजपा से कोई समस्या है तो समझा जा सकता है लेकिन बाढ़ ग्रस्त केरल में जाने से उन्हें किसने रोका था। लेकिन वे तो पाकिस्तानी जश्न में शरीक होने पहुँच गए।
आज जहां अन्य राज्य केरल के लिए भोजन, पानी आदि की त्वरित सहायता रेल परिवहन के माध्यम से भेज रहे हैं, ऐसे में सिद्धू सहित विपक्ष के अन्य नेताओं को मदद के लिए किसने रोका है। वे स्वत: संज्ञान लेकर पहल कर सकते थे, लेकिन अभी तक ऐसा कुछ सुनने में नहीं आया है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि समय-समय पर केरल राज्य से आधारहीन हमले झेलने के बावजूद संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बड़प्पन दिखाते हुए केरल जा पहुंचे हैं और हर संभव मदद कर रहे हैं। निश्चित ही वे संपूर्ण राजनेता हैं जो पक्ष एवं विपक्ष दोनों को साथ लेकर चलते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि दोनों को साधने से ही राष्ट्र का कल्याण हो सकेगा। बहरहाल, कामना की जा सकती है कि केरल में बाढ़ग्रस्त जनता तक हरसंभव मदद पहुंचे एवं जल्द ही यह राज्य पुन: पटरी पर आ सके।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)