मोदी भारत के तो यशस्वी प्रधानमंत्री हैं ही, वे एक वैश्विक राजनेता बनकर भी तेजी से उभरे हैं। यही कारण है कि वे जहां भी जाते हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जाती है। आखिर मोदी की इस लोकप्रियता का राज़ क्या है? वास्तव में मोदी ने जीवन भर जो कार्य किए हैं, परिश्रम दिखाया है और अब भी जिस तरह अपनी नयी दृष्टि व सोच के साथ देश को आगे ले जाने के लिए काम कर रहे हैं, यह उसी का परिणाम है।
22 सितंबर, रविवार को अमेरिका में एक ऐसा कार्यक्रम होने जा रहा है, जिस पर अमेरिका, भारत सहित दुनिया के कई देशों की निगाहें रहेंगी। अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में ‘हाउडी, मोदी’ कार्यक्रम होना है। ‘हाउडी’ का अर्थ ‘हाउ डू यू डू’ (आप कैसे हैं) ही है जो कि दक्षिण पश्चिम अमेरिका में एक वाक्य का अपभ्रंश है और प्रचलित है। टेक्सास इंडिया फोरम की ओर से आयेाजित किए जाने वाले इस कार्यक्रम में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य आकर्षण हैं। एनआरजी स्टेडियम में होने वाले कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी शामिल होंगे और वे मोदी के साथ मंच साझा करेंगे।
वैसे तो पीएम मोदी की लोकप्रियता सोशल मीडिया पर बहुत है, दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे उनके फॉलोअर्स की संख्या इसकी ताकीद भी करती है लेकिन अमेरिका में भी मोदी के चर्चे जोरों पर हैं। अमेरिका में अभी यह स्थिति है कि ह्यूस्टन के सभी प्रमुख हाईवे पर इवेंट के प्रचार-प्रसार संबंधी होर्डिंग लगे हुए हैं। अमेरिका में रहने वाले अप्रवासी भारतीयों के मन में इस आयोजन के प्रति जबर्दस्त उत्साह है।
शुक्रवार रात पीएम मोदी इसमें शामिल होने के लिए अमेरिका रवाना हो चुके हैं। कार्यक्रम मूल रूप से अमेरिका और भारत के आपसी संबंधों पर आधारित रहेगा। इसकी अवधि डेढ़ घंटे की रहेगी जिसमें अमेरिका की प्रगति में भारतीयों के योगदान का उल्लेख किया जाएगा। कार्यक्रम से पहले मोदी की एक रैली भी होगी जिसमें ट्रंप भी सम्मिलित होंगे। व्हाइट हाउस ने पूरे आयोजन का आधिकारिक कार्यक्रम भी जारी किया है और पूरी कवायद का ध्येय दोनों राष्ट्रों के परस्पर संबंधों को मजबूत करना है।
मालूम हो कि वर्ष 2014 में मोदी प्रधानमंत्री बने थे और तब से लेकर अमेरिका में यह उनका तीसरा बड़ा कार्यक्रम होने जा रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता देश व दुनिया में लगातार बढ़ती रही है। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से अभी तक उनकी लोकप्रियता में दिनोंदिन इजाफा ही होता आया है। पांच साल पहले भी जब उन्होंने सितंबर के महीने में न्यूयार्क के मेडिसन स्कवॉयर में स्पीच दी थी तो पूरी दुनिया की मीडिया ने उसे प्रमुखता से स्थान दिया था। इसके बाद वेंबले स्टेडियम में भी उनके भाषण की धूम मची रही।
कह सकते हैं कि मोदी भारत के तो यशस्वी प्रधानमंत्री हैं ही, वे एक वैश्विक राजनेता बनकर भी तेजी से उभरे हैं। यही कारण है कि वे जहां भी जाते हैं, उन्हें प्राथमिकता दी जाती है। आखिर मोदी की इस लोकप्रियता का राज़ क्या है? वास्तव में मोदी ने जीवन भर जो कार्य किए हैं, परिश्रम दिखाया है और अब भी जिस तरह अपनी नयी दृष्टि व सोच के साथ देश को आगे ले जाने के लिए काम कर रहे हैं, यह उसी का परिणाम है। उनका विकासवादी रवैया, दूरगामी नीतियां कुछ ऐसे गुण हैं जो उन्हें उनके बहुत से पूर्ववर्ती राष्ट्राध्यक्षों से पृथक करते हैं।
चूंकि अब मोदी को दुनिया भर के देशों में इतना हाथोंहाथ लिया जा रहा है तो इसी बहाने भारत का मुकम्मल प्रतिनिधित्व भी हो रहा है और भारत का भी मान बढ़ रहा है। इसके उलट, यूपीए सरकार के समय तो भारत की इतनी पूछ-परख थी ही नहीं। उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह यदि कहीं विदेश दौरे पर जाते थे तो पता ही नहीं चल पाता था। वे कहां जाते थे, क्या करते थे, क्या बोलते थे, कुछ मालूम नहीं होता था।
यूपीए सरकार ने स्वयं का तो मखौल उड़वाया ही, देश की वैश्विक प्रतिष्ठा को भी कमजोर करने का काम किया। यहां इस बात का उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि उस समय भी विपक्ष में रहते हुए नरेंद्र मोदी एक मुखर और सक्रिय नेता के रूप में सदा मौजूद रहे। यह बात अलग है कि कांग्रेस ने उनकी छवि को हमेशा नकारात्मक रूप से प्रस्तुत किया, बावजूद उन्होंने अपनी लीक नहीं छोड़ी। उनकी सकारात्मकता पर इसका असर नहीं पड़ा।
कांग्रेस ने उन्हें मुस्लिम विरोधी नेता कहकर दुष्प्रचारित किया और आज यह तथ्य है कि विश्व के मुस्लिम देशों में भी मोदी की लोकप्रियता हावी है। अधिक समय नहीं बीता, जब संयुक्त अरब अमीरात में मोदी को सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया। इतना ही नहीं, भारत में भी अब मुस्लिम महिलाएं मोदी के पक्ष में आ खड़ी हुईं हैं। मोदी सरकार ने तीन तलाक के विरुद्ध कानून बनाकर इन महिलाओं को यातना से मुक्ति का रास्ता खोल दिया है।
आश्चर्य इस बात का है कि विश्व के कट्टर इस्लामिक मुल्क भी जब मोदी के मुरीद हो रहे हैं तो देश के भीतर बैठे चंद विपक्षियों, वामपंथियों को भला मोदी से ऐसा क्या निजी बैर है जो वे मोदी के कद को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। उनके अहंकार को यह कैसी चोट लग रही है। लंबे समय तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे राहुल गांधी लोकसभा चुनाव के पहले खुलेआम मोदी को सार्वजनिक रूप से अपशब्द बोलते नहीं थकते थे, और अब भी वे मौका पाकर कुछ ना कुछ बेतुकी बयानबाजी कर ही देते हैं। हाउडी मोदी इवेंट को लेकर भी उन्होंने तंज़ ही कसा है।
असल में राहुल एक कुंठाग्रस्त नेता बनते जा रहे जिनमें असफलता के कारण कोई वैचारिक विवेक नहीं रह गया है। आज यह हाल है कि वे अपनी ही पार्टी की मीटिंग से मुंह चुराने लगे हैं, नदारद रहने लगे हैं। जो नेता अपने दल का ही नहीं हो सकता, वह राष्ट्र का क्या होगा।
बेशक, आज मोदी को जितना सम्मान मिल रहा है, वे इसके सच्चे हकदार हैं और वैसे भी यह केवल मोदी का सम्मान नहीं, पूरे भारत का सम्मान है जिसपर हर भारतीय को गर्व होना चाहिए। मोदी की बड़ी बात यह है कि जब उनकी आलोचनाएं हो रही थीं तब भी वे अडिग बने रहे और आज जब पूरा विश्व उन्हें नवाज रहा है तो भी उनके पैर धरातल पर ही हैं।
नरेंद्र मोदी अब भारत तक ही सीमित नहीं हैं, वे एक ग्लोबल लीडर बन चुके हैं, जिसके भाषणों को सुनने के लिए समूचा वैश्विक समुदाय लालायित रहता है। हाउडी मोदी आयोजन इसी कड़ी में नया नाम है। पिछले दिनों जी-7 देशों के सम्मेलन में विश्व ने मोदी और ट्रंप की जुगलबंदी देखी और अब अमेरिका में मोदी की अगवानी को ह्यूस्टन शहर तैयार है।
इस आयोजन की वहां कितनी बेसब्री से प्रतीक्षा हो रही है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इवेंट के लिए 50 हजार लोगों ने बहुत पहले ही रजिस्ट्रेशन करा लिया है। हालांकि वहां प्रतिकूल मौसम की खबरें सामने आ रही हैं, लेकिन निश्चित ही ट्रंप और मोदी की एक और जुगलबंदी देखने को लालायित अप्रवासी भारतीय समुदाय इस मुश्किल को उत्साह में आड़े नहीं आने देगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)