विपक्षी दल काग्रेस ने सरकार के सौ दिन के कार्यकाल को विकास से रहित और लोकतंत्र को बर्बाद करने वाला बताया है, लेकिन वस्तुस्थिति को देखते हुए ये कहें तो शायद अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इन सौ दिनों में मोदी सरकार ने देश को मजबूती व विकास को गति देने वाले जितने बड़े काम किए हैं, उतने कांग्रेस की सरकार शायद अपने अबतक के सभी कार्यकालों को मिलाकर भी नहीं कर पाई होगी। उम्मीद है कि सरकार आगे भी इसी तरह कार्य करते हुए देश को आगे ले जाएगी।
किसी सरकार के प्रारंभिक सौ दिन को उसकी आगे की कार्य-योजना के लिए एक प्रस्थान-बिंदु माना जाता है। अब मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के सौ दिन पूरे हुए हैं, तो यह देखना आवश्यक है कि प्रथम कार्यकाल से अधिक बहुमत से चुनकर आई यह सरकार किस नीति, नीयत और योजना के साथ आगे बढ़ रही है।
गौर करें तो इस सौ दिन में मोदी सरकार ने अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए हैं, जिनमें से कई कार्य ऐतिहासिक भी रहे हैं। सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट की बैठक में शहीद जवानों के बच्चों की छात्रवृत्ति में वृद्धि का निर्णय किया तो वहीं किसान सम्मान निधि योजना के विस्तार तथा किसानों को पेंशन देने की भी घोषणा हुई। साथ ही सरकार ने सौ दिन के अंदर ही 14 खरीफ फसलों की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) भी बढ़ा दिया है। इनमें धान, कपास, अरहर दाल, तिल, उड़द दाल, सूरजमुखी और सोयाबीन शामिल हैं।
इस सरकार का पहला संसद सत्र कई प्रकार से ऐतिहासिक साबित हुआ है। पहली चीज तो ये कि इस सत्र में जितना काम हुआ, उतना अबतक किसी सत्र में नहीं हुआ। 17 जून से 6 अगस्त तक चले इस सत्र में कुल 37 बैठकें हुईं और करीब 280 घंटे तक कार्यवाही चली जिस दौरान रिकॉर्ड 35 विधेयक पारित हुए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने इस सत्र को 1952 से अबतक का सबसे स्वर्णिम सत्र करार दिया।
इस रिकॉर्ड के साथ ही यह सत्र कई और मामलों में भी ऐतिहासिक रहा। सबसे पहले तो इसमें मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की कुप्रथा से मुक्ति दिलाने वाला ‘मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश, 2019’ पारित हुआ। यह लम्बे समय से लोकसभा में पारित होकर राज्यसभा में विपक्ष के गतिरोध के कारण अटक जा रहा था, लेकिन अबकी सरकार ने पूरी तैयारी और बहुमत का प्रबंध करके इसे लोकसभा के बाद राज्यसभा में पेश किया और पारित करवाया।
इस क़ानून के बाद अब मुस्लिम महिलाओं को तत्काल तीन तलाक देना क़ानून अपराध हो गया है, जिसके लिए शौहर को तीन साल की सज़ा का प्रावधान है। शाहबानो मामले में राजीव गांधी की सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पलटकर मुस्लिम महिलाओं के साथ जो अन्याय किया था, इस सरकार ने यह क़ानून लाकर उस अन्याय को समाप्त कर मुस्लिम महिलाओं को उनका अधिकार देने का एक ऐतिहासिक कार्य किया है।
लम्बे समय से भाजपा का यह वादा रहा था और इस बार के संकल्प-पत्र में भी उसने दोहराया था कि वो जम्मू-कश्मीर और शेष भारत के बीच दूरी पैदा करने वाले अनुच्छेद-370 को समाप्त करेगी। इस संसद सत्र में सरकार ने यह ऐतिहासिक कार्य भी संपन्न किया। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देते हुए वहां से अनुच्छेद-370 के अधिकांश प्रावधानों को समाप्त कर दिया। इस अनुच्छेद के कारण जम्मू-कश्मीर न केवल देश से कटा हुआ सा था, बल्कि विकास की मुख्यधारा से भी वंचित था। अनुच्छेद-370 हटने के बाद पूरी उम्मीद है कि जल्द-ही यह राज्य मुख्यधारा में शामिल होकर राष्ट्र की प्रगति में सहभागी बनेगा।
एक महत्वपूर्ण कार्य ‘गैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम’ को संशोधित कर सशक्त बनाने का काम किया गया है। इस क़ानून के बाद अब संगठन के साथ-साथ किसी व्यक्ति को भी आतंकी घोषित करने का अधिकार एनआईए को मिल गया है। साथ ही वो विदेशी स्तर पर भी भारत और भारतीयों के हितों को नुकसान पहुंचाने वाले आतंकी मामलों की जांच कर सकती है। स्पष्ट है कि ये क़ानून आतंकवाद के खिलाफ देश की लड़ाई को मजबूती देने वाला है।
इस संसद सत्र में ही नया मोटर वाहन अधिनियम भी लाया गया, जिसके जरिये चालान की राशि में वृद्धि की गयी तथा नाबालिगों को वाहन देने पर अभिभावकों के लिए जेल आदि के दंडात्मक प्रावधान भी किए गए हैं। सड़क पर दुर्घटनाओं को रोकने तथा यातायात को सुव्यवस्थित करने की दिशा में यह निर्णय अत्यंत महत्वपूर्ण है। हालांकि विचित्र है कि कुछ लोग उनके हितों के लिए ही लाए गए इस क़ानून का बेमतलब विरोध कर रहे हैं। लेकिन उम्मीद है कि जल्द-ही लोग इस क़ानून का लाभ समझेंगे और नियमों का पालन करते हुए सड़क पर चलना सीखेंगे।
सरकार ने बैंकों का विलय करने का भी निर्णय लिया है। यह निर्णय अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर की करने की दिशा में बड़ी भूमिका निभाएगा।
अनुच्छेद-370 खत्म करने पर पाकिस्तान द्वारा भारत के विरुद्ध विश्व बिरादरी का समर्थन हासिल करने के प्रयासों का विफल होना दुनिया में भारत के बढ़ते प्रभाव की ही तस्दीक करता है। साथ ही जी-7 में अमेरिकी राष्ट्रपति जिन्होंने कश्मीर पर मध्यस्थता की बात की थी, उनके समक्ष बैठकर मोदी का पूरी दृढ़ता के साथ यह कहना कि ‘जम्मू-कश्मीर भारत-पाक के बीच का मसला है, इसपर हम दुनिया के किसी और देश को कष्ट नहीं देना चाहते’, दुनिया के अघोषित दारोगा अमेरिका सहित पूरी विश्व बिरादरी को भारत की संप्रभुता में हस्तक्षेप से दूर रहने की नसीहत देने वाला एक मजबूत कथन है। निश्चित रूप से यह भी मोदी सरकार के सौ दिन के कार्यकाल की एक उपलब्धि है।
उपर्युक्त बातों से जाहिर है कि सरकार ने अपने सौ दिन के कार्यकाल में बहुत से बड़े और ऐतिहासिक काम किए हैं, जिनका असर भी धीरे-धीरे दिखाई देगा। हालांकि विपक्षी दल काग्रेस ने सरकार के सौ दिन के कार्यकाल को विकास से रहित और लोकतंत्र को बर्बाद करने वाला बताया है, लेकिन वस्तुस्थिति को देखते हुए ये कहें तो शायद अतिश्योक्ति नहीं होगी कि इन सौ दिनों में मोदी सरकार ने देश को मजबूती व विकास को गति देने वाले जितने बड़े काम किए हैं, उतने कांग्रेस की सरकार शायद अपने अबतक के सभी कार्यकालों को मिलाकर भी नहीं कर पाई होगी। उम्मीद है कि सरकार आगे भी इसी तरह कार्य करते हुए देश को आगे ले जाएगी।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)