बाजार उधारी कम करने से आएगी राजकोषीय घाटे में कमी

सरकार द्वारा बाजार उधारी कम करने से राजकोषीय घाटे के कम होने के आसार हैं। विनिवेश और जीएसटी में बढ़ोत्तरी, प्रत्यक्ष कर में इजाफा एवं दूसरे अप्रत्यक्ष करों में वृद्धि से सरकार को बाजार उधारी को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के अनुरूप रखने में सरकार के कामयाब रहने की संभावना है।

नकदी और बॉन्ड यील्ड पर दबाव कम करने के लिये सरकार वित्त वर्ष 2018-19 में सकल बाजार उधारी में 700 अरब रुपये की कटौती करेगी, जिससे राजकोषीय घाटे में कमी आयेगी। अक्टूबर, 2018 से मार्च, 2019 के दौरान सरकार 2.47 लाख करोड़ रूपये बाजार उधारी को  कम करेगी। पहली छमाही यानी अप्रैल, 2018 से सितंबर, 2018 की अवधि में सरकार बाजार उधारी को 2.88 लाख करोड़ रुपये कम करेगी।

गौरतलब है कि सरकार ने वित्त वर्ष 2019 में बाजार उधारी को 6.06 लाख करोड़ रुपये कम करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अब यह लक्ष्य कम होकर 5.35 लाख करोड़ रुपये (दूसरी छमाही में 2.47 लाख करोड़ रुपये और पहली छमाही में 2.88 लाख करोड़ रुपये) हो गया है।

सांकेतिक चित्र

सरकार का लक्ष्य लघु बचत से भी अतिरिक्त संसाधन जुटाने का है। सरकार का विचार बाजार उधारी को कम करने के कार्यक्रम को यथावत जारी रखने का है, ताकि पूंजीगत व्यय को यथावत रखा जाये और राजकोषीय घाटे को भी नियंत्रण में रखा जाये। सरकार का मानना है कि लघु बचत से और भी धन जुटाया जा सकेगा। सरकार का लक्ष्य वित्त वर्ष 2019 में लघु बचत से कम से कम 250 अरब रुपये जुटाने का है।  

इधर, 10 साल का बॉन्ड यील्ड 8.0 से 8.1 प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है। इस समय यह 8.02 से 8.03 प्रतिशत के बीच है। एच-2 बाजार उधारी के आकार में अनिश्चितता है। कच्चे तेल के दाम और रुपये के मूल्य को लेकर अनिश्चिता का जोखिम है। साथ ही, विभिन्न राजकोषीय जोखिमों को लेकर संतुलन बनाना है, जिसका असर बॉन्ड यील्ड पर पड़ेगा।

इस साल की दूसरी छमाही में सरकार इन्फ्लेशन इंडेक्स्ड बॉन्ड भी पेश करेगी। सरकार का कहना है कि हमारी राजकोषीय जरूरतों के लिये हमारा उधारी कार्यक्रम पर्याप्त है। सरकार चाहती है कि केवल दूसरी छमाही में उधारी से 350 अरब रुपये जुटाये जायें। 

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि सरकार इस वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3 प्रतिशत रखने के लक्ष्य को हासिल कर लेगी और इसके लिये पूंजीगत व्यय में कोई कटौती नहीं की जायेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 2018-19 के केंद्रीय बजट की समीक्षा और विभिन्न विभागों व वित्त मंत्रालय द्वारा इस साल किये गये काम को देखने के बाद जेटली ने कहा कि केंद्र सरकार इस साल पूंजीगत व्यय में कोई कटौती नहीं करेगी और सरकार लक्ष्य से ज्यादा प्रत्यक्ष कर संग्रह करने में सफल रहेगी। जेटली ने यह भी कहा कि संभव है कि इस साल के अंत तक विनिवेश 800 करोड़ रुपये के लक्ष्य को पार कर जायेगा।

केंद्र सरकार का इस साल के लिये रिफंड और राज्यों का हिस्सा देने के बाद कुल शुद्ध कर राजस्व लक्ष्य 14.81 लाख करोड़ रुपये है। व्यक्तिगत आयकर का लक्ष्य 5.2 लाख करोड़ रुपये है, जबकि कॉर्पोरेट कर का लक्ष्य 6.2 लाख करोड़ रुपये है। विनिवेश से अब तक 92 अरब रुपये जुटाये गये हैं, जिसमें और तेजी आने की संभावना बरकरार है।

कहा जा सकता है कि सरकार द्वारा बाजार उधारी कम करने से राजकोषीय घाटे के कम होने के आसार हैं। विनिवेश और जीएसटी में बढ़ोत्तरी, प्रत्यक्ष कर में इजाफा एवं दूसरे अप्रत्यक्ष करों में वृद्धि से सरकार को बाजार उधारी को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे राजकोषीय घाटे को लक्ष्य के अनुरूप रखने में सरकार सफल हो सकती है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)