प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यदि एक परिवार के 48 साल के शासन और अपनी सरकार के 48 माह के शासन की तुलना करने की बात कह रहे हैं तो यह चुनावी भाषण नहीं है, बल्कि आंकड़ें इसकी पुष्टि कर रहे हैं। शहरी बेघरों को आवास देने के लिए संप्रग सरकार ने 2005-2014 के दौरान जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरणीय योजना के तहत 12.4 लाख घरों के लिए 17,400 करोड़ रूपये की धनराशि मंजूर की थी। दूसरी ओर मोदी सरकार ने 2014-16 के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के तहत 24 लाख घरों के लिए 37,233 करोड़ रूपये की सहायता राशि मंजूर की है। इससे 48 साल और 48 महीने का फर्क समझा जा सकता है।
दुनिया के सबसे उपजाऊ मैदानों, सदानीरा नदियों और मेहनतकश आबादी के बावजूद आज देश के करोड़ों लोगों को रोटी, कपड़ा और मकान जैसी मूलभूत जरूरतों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है तो इसकी वजह भ्रष्टाचार ही है। इसी को देखते हुए हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत से बाद आजाद होने वाले देश विकास के मामले में हमसे कई कदम आगे निकल गए हैं।
ऐसा नहीं है कि आजादी के 70 साल में गरीबों को रोटी, कपड़ा और मकान मुहैया कराने की योजनाएं नहीं बनी। एक नहीं, सैकड़ों योजनाएं बनीं, लेकिन वे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गईं। इसका नतीजा यह हुआ कि गरीबी, बेकारी, आवासहीनता जैसी समस्याएं बढ़ती गईं। यह राष्ट्रीय शर्म का विषय है कि आजादी के 70 साल बाद भी देश के दो करोड़ लोगों के पास अपनी छत नहीं है; दूसरी ओर गरीबों को छत देने के नाम पर बनी योजनाओं के भ्रष्टाचार से नेताओं-अफसरों-दलालों की तिकड़ी ने देश-विदेश में कोठियां खड़ी कर लीं।
हर घर तक बिजली और हर खेत तक पानी पहुंचाने के समयबद्ध कार्यक्रम तय करने के बाद अब मोदी सरकार ने आजादी की 75वीं वर्षगांठ अर्थात 2022 तक सभी बेघरों को छत मुहैय्या कराने का लक्ष्य निर्धारित किया है। सभी के सिर पर छत हो और बिजली, पानी व शौचालय की सुविधा सबको मिले, इसके लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना (ग्रामीण व शहरी) शुरू की गई है। इसके तहत 2 करोड़ मकानों का निर्माण किया जाना है। स्पष्ट है, यह आसान लक्ष्य नहीं है।
इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री ने एक कार्यक्रम में कहा था कि हिंदुस्तान के हर गरीब के पास अपना घर हो, यह लक्ष्य हासिल करने के लिए इतने घर बनाने पड़ेंगे जैसे यूरोप का एक देश बनाना हो। इतनी संख्या में घर बनेंगे तो इंट, सरिया, मिट्टी आदि की जरूरत पड़ेगी। इस प्रकार सभी के लिए छत की योजना न केवल करोड़ों लोगों को रोजगार मुहैया कराएगी बल्कि अर्थव्यवस्था में भी बूम आएगा। दुर्भाग्यवश ये उपलब्धियां मोदी विरोधियों को दिखाई नहीं दे रही हैं। मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री रोजगार योजना को महिला सशक्तीकरण से भी जोड़ दिया है। इस योजना के तहत बने घरों को परिवार के महिला सदस्यों के नाम आवंटित किया जाएगा।
प्रधानमंत्री आवास योजना– शहरी के तहत 24 लाख सस्ते घरों के निर्माण के लिए सरकार ने 11,412 करोड़ रूपये की धनराशि जारी कर दी है। इसके तहत देश के 2008 शहरों और कस्बों के बेघरों को अपनी छत मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यदि एक परिवार के 48 साल के शासन और अपनी सरकार के 48 माह के शासन की तुलना करने की बात कह रहे हैं तो यह चुनावी भाषण नहीं है, बल्कि आंकड़ें इसकी पुष्टि कर रहे हैं।
शहरी बेघरों को आवास देने के लिए संप्रग सरकार ने 2005-2014 के दौरान जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरणीय योजना के तहत 12.4 लाख घरों के लिए 17,400 करोड़ रूपये की धनराशि मंजूर की थी। दूसरी ओर मोदी सरकार ने 2014-16 के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी के तहत 24 लाख घरों के लिए 37,233 करोड़ रूपये की सहायता राशि मंजूर की है। इससे 48 साल और 48 महीने का फर्क समझा जा सकता है।
विरोधी यह आरोप लगा रहे हैं कि मोदी सरकार ने सभी बेघरों को छत मुहैया कराने के लिए 2022 तक का लक्ष्य इसलिए निर्धारित किया है ताकि 2019 का चुनाव जीता जा सके। ऐसे लोग प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के लक्ष्य और प्रगति की अनदेखी कर देते हैं। इस योजना के तहत वर्ष 2018-19 में 70 लाख परिवारों को घर दिए जाने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें से 21 लाख घर शहरी क्षेत्रों में जबकि 49 लाख घर ग्रामीण इलाकों में दिए जाएंगे।
दूसरी ओर मार्च 2019 तक एक करोड़ नए घरों के निर्माण का लक्ष्य है। इसमें से 51 लाख मकानों का निर्माण 31 मार्च 2018 अर्थात अगले महीने तक पूरा हो जाएगा। 3 जनवरी 2018 तक की स्थिति के अनुसार 9.03 लाख घर आवंटित किए जाने की प्रक्रिया में हैं, 30 लाख मकानों का निर्माण छत तक पूरा हो चुका है और 55.85 लाख मकानों का निर्माण प्रगति पर है। स्पष्ट है निर्माण कार्य लक्ष्य की तुलना में अधिक है।
मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले घरों का आकार 20 वर्ग मीटर से बढ़ाकर 25 वर्ग मीटर कर दिया है। सभी घरों में शौचालय की सुविधा होगी। इसी को देखते हुए प्रति यूनिट सहायता राशि 70,000 रूपये से बढा़कर 1,20,000 रूपये कर दी गई है। स्पष्ट है, सभी बेघरों को छत देने के साथ-साथ स्वच्छ भारत का सपना साकार करने की दिशा में भी यह सरकार बढ़ रही है।
(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)