इस पूरी श्रृंखला की सिलसिलेवार घटनाएं टीवी पर देश व दुनिया के लोगों ने देखी थीं। सबसे गौरतलब बात यह थी कि विक्रम लैंडर के डिसकनेक्ट हो जाने पर इसरो प्रमुख भावुक हो गए थे और अपने आंसुओं पर नियंत्रण नहीं रख पाए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब इसरो सेंटर से जा रहे थे तब सिवन उन्हें विदा करते समय फूट-फूटकर रो पड़े थे। तब पूरे विश्व ने देखा था कि किस प्रकार प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें गले लगाया और ढाढस बंधाया।
चंद्रयान-2 के बाद अब चंद्रयान-3 के लिए कवायद शुरू हो गई है। नवंबर 2020 तक के लिए इसकी समय-सीमा तय हो चुकी है।इसरो के मिशन चंद्रयान-2 के साथ सब कुछ ठीक था। इसकी लॉन्चिंग से लेकर चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने तक सारी गतिविधियां ठीक थीं लेकिन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने के पहले ही इसका पृथ्वी से संपर्क टूट गया। बस यही अंतिम क्षण की आंशिक विफलता रही, वर्ना यह मिशन सफल है। हालांकि विक्रम से अलग हुआ आर्बिटर अभी भी अपनी कक्षा में स्थापित है और लगातार चांद के चक्कर लगा रहा है।
इस पूरी श्रृंखला की सिलसिलेवार घटनाएं टीवी पर देश व दुनिया के लोगों ने देखी थीं। सबसे गौरतलब बात यह थी कि विक्रम लैंडर के डिसकनेक्ट हो जाने पर इसरो प्रमुख भावुक हो गए थे और अपने आंसुओं पर नियंत्रण नहीं रख पाए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब इसरो सेंटर से जा रहे थे तब सिवन उन्हें विदा करते समय फूट-फूटकर रो पड़े थे। तब पूरे विश्व ने देखा था कि किस प्रकार प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें गले लगाया और ढाढस बंधाया।
पीएम मोदी की इस संवेदनशीलता के बाद इसरो ने अब चंद्रयान-3 के लिए कमर कस ली है। इसी सप्ताह चंद्रयान-3 के कांफिग्युरेशन की एक समीक्षा बैठक हुई, जिसमें मिशन के तकनीकी पक्षों पर बात की गई। इसरो ने इसके लिए कुछ निश्चित बिंदुओं पर ध्यान दिया है, जिनमें यान की लैंडिंग के लिए स्थान का चयन और नेविगेशन, लोकल नेविगेशन आदि चीजें शामिल हैं।
चूंकि इस बार विक्रम लैंडर की लैंडिंग में गड़बड़ होने से ही मिशन विफल हुआ, इसलिए इस बार सारा जोर लैंडिंग पर है। मिशन की प्राथमिकता में लैंडर की टांगों को मजबूत रूप से तैयार करना शामिल है ताकि यह अधिक गति में होने के बावजूद हार्ड या सॉफ्ट लैंडिंग कर सके। पिछले दिनों के सिवन ने एक बयान में कहा भी था कि चंद्रयान-2 किसी कहानी का अंत नहीं है, अभी हमारे पास और कई मिशन हैं।
गगनयान सहित कई अन्य मिशन तैयारी में
चंद्रयान-2 के अलावा इसरो गगनयान प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहा है। यह भारत का पहला मानव मिशन है जिसे भारत के 75वें स्वतंत्रता दिवस से पहले भेजने की कोशिश है। गगनयान में भारतीय वायुसेना और इसरो दोनों की भागेदारी है। इसरो ने इसकी लॉन्चिंग के लिए दिसंबर 2021 तक का समय घोषित किया है। इस मिशन के तहत भारत स्वदेशी अभियान के माध्यम से पहली बार अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजेगा। इस मिशन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी दिलचस्पी है।
फिलहाल इस मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों का चयन चल रहा है। आगामी समय में कई उपग्रहों का प्रक्षेपण किया जाना है। आगामी दिसंबर व जनवरी में एसएसएलवी भी उड़ान भर सकता है। इसके अलावा दो सौ टन के सेमी-क्रायोजेनिक इंजन का भी परीक्षण किया जाना है। इसरो के अभियानों में मोबाइल फोन पर सैटेलाइट सिस्टम से नेविगेशन दिए जाने का भी काम किया जा रहा है। इसकी सफलता बड़े पैमाने पर एप्लीकेशन के उपयोग को सुलभ बनाएगी।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)