कोरोना संकट के दौर में भी उत्तर प्रदेश जैसे विशाल और सघन आबादी वाले राज्य को योगी सरकार ने जिस तरह से संभाला है, वो ध्यान खींचने वाला है। प्रदेश सरकार ने न केवल कोरोना से बचाव की दिशा में बेहतर काम किया है और संक्रमण को नियंत्रित रखा है, बल्कि इस आपदा से उपजी परिस्थितियों को अवसर में तब्दील करने की दिशा में भी पूरी सूझबूझ और योजनाबद्धता के साथ काम कर रही है। यही कारण है कि राज्य के प्रयासों की सराहना प्रधानमंत्री भी कर रहे हैं।
देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की शृंखला में एक और महत्वपूर्ण कड़ी जुड़ गई है। शुक्रवार को इसी के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान’ की शुरुआत की। एक करोड़ 25 लाख लोगों को रोजगार देने के इस अभियान को कोरोना संकट की इस कठिन घड़ी में काफी महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस अभियान की शुरुआत की गयी। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने संकट के दौरान सामान्य नागरिकों के हित में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा किए गए कार्यों की प्रशंसा की और उनके प्रयासों को वंदनीय बताया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब अन्य राज्य कोरोना संक्रमण की लड़ाई में जूझ रहे हैं, तब उत्तर प्रदेश सरकार अपने राज्य के विकास के लिए इतनी बड़ी योजना शुरू कर रही है। मेरा तो मानना है कि एक प्रकार से आपदा से बने हर अवसर को यूपी साकार कर रहा है।
देखा जाए तो केंद्र सरकार की योजनाओं को योगी सरकार ने गुणात्मक और संख्यात्मक दोनों ही तरीकों से विस्तार दिया है। साथ ही, वैश्विक महामारी के संक्रमण के प्रसार को रोकने में भारत में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जो काम किया है, वह बेहद प्रशंसनीय है। यूपी में जिस प्रकार कोरोना काल में काम किया गया, निश्चित रूप से वह काबिले तारीफ है।
कोरोना संक्रमण के इस दौर में यूपी की तुलना यूरोपिय देशों से करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि आंकड़ों की तुलना से पता चलता है कि यूरोप के चार बड़े देश इंग्लैंड, फ्रांस, इटली और स्पेन 200 से 250 साल पहले दुनिया में सुपर पावर हुआ करते थे। आज भी इनका दबदबा है। इनकी आबादी 24 करोड़ है। हमारी तो अकेले यूपी की जनसंख्या 24 करोड़ है।
कोरोना से इन चार देशों में 1 लाख 30 हजार लोगों की मौत हुई है, जबकि उत्तर प्रदेश में केवल 600 लोगों की जानें गईं। उन्होंने आगे कहा कि इंग्लैंड, फ्रांस, इटली और स्पेन की सरकारों ने कोरोना से लड़ने की हर कोशिश की। लेकिन उन्हें वह कामयाबी नहीं मिली जो उत्तर प्रदेश को मिली।
योगी सरकार की उससे पहले की सरकार से तुलना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले वाली सरकार होती तो अस्पताल का बहाना बनाकर, अस्पताल में बिस्तरों का बहाना बनाकर इस संकट को टाल देती। लेकिन योगी सरकार ने हालात को समझा और इसे देखते हुए युद्ध स्तर पर काम किया।
यूपी सरकार की प्रशंसा करते हुए प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आपदा के समय सवा करोड़ कामगारों और कर्मचारियों की पहचान करना, 30 लाख से ज्यादा श्रमिकों के कौशल व अनुभव का डेटा तैयार करना और रोजगार की समुचित व्यवस्था करना आसान काम नहीं है। लेकिन यह किया जाना दिखाता है कि उत्तर प्रदेश सरकार की तैयारी कितनी सघन और व्यापक रही है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश सरकार पीएम गरीब कल्याण रोजगार अभियान में भी शीर्ष पर है।
इस तरह कोरोना काल में राज्य सरकार के कामकाज की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री का कहना था कि अब तक कम से कम 85 हजार लोगों का जीवन बचाने में यूपी की सरकार कामयाब हुई है जो बड़े संतोष की बात है।
कामगारों और श्रमिकों को डायरेक्ट फायदा पहुंचाने वाले इस ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान’ के बारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कार्यक्रम की शुरुआत में बताते हुए कहा कि कोरोना संकट में प्रधानमंत्री मोदी ने कामगारों और श्रमिकों के लिए जिन योजनाओं को आगे बढ़ाने की दिशा में मार्गदर्शन दिया था, अब उनके जरिये रोजगार सृजन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
गौर करें तो यूपी सरकार ने अब तक 30 लाख प्रवासी मजदूरों की स्किल मैपिंग की है और यह काम लगातार जारी है। इनमें 18 साल से कम उम्र वालों को नहीं शामिल किया गया है। राज्य सरकार के मुताबिक, दूसरे राज्यों से घर लौटे 38 लाख प्रवासी श्रमिक और कामगार के साथ-साथ स्थानीय लोगों को इसका फायदा मिलेगा और यह संख्या एक करोड़ से ज्यादा है।
योगी का प्रदेश की जनता के प्रति जो समर्पण है, उसे इसी से समझा जा सकता है कि अभी कुछ दिनों पहले ही उनके पिताजी का स्वर्गवास हो गया था, लेकिन उन्होंने जनता की सेवा को प्राथमिकता देते हुए पिता की अंत्येष्टि में न जाने का निर्णय लिया और वे उस दौरान भी लोगों की सेवा में जुटे रहे। जब नेतृत्व में जनता के प्रति ऐसा समर्पण होता है, तभी संकट में समाधान के मार्ग निकलते हैं।
बता दें कि कोरोना संक्रमण और वैश्विक अर्थव्यवस्था के संकट में उत्तर प्रदेश का भारत को आत्मनिर्भरता के रास्ते पर ले जाने के अभियान में बहुत बड़ा योगदान है। यहां करीब 60 लाख नागरिकों को गांव के विकास से जुड़ी योजनाओं में, जबकि करीब 40 लाख को छोटे उद्योगों यानि एमएसएमई के माध्यम से रोजगार दिया जा रहा है। इसके अलावा, स्वरोजगार के लिए हजारों उद्यमियों को मुद्रा योजना के तहत करीब 10 हजार करोड़ रुपए का ऋण भी आवंटित किया गया है।
उल्लेखनीय होगा कि उक्त कार्यक्रम के तहत ही प्रधानमंत्री को यूपी के 6 जनपदों के उन लोगों से बातचीत करनी थी, जिन्होंने इन सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त किया है। प्रधानमंत्री ने किसान तिलकराम से पूछा कि आपको प्रधानमंत्री आवास योजना से मकान मिला है, लेकिन मुझे क्या दोगे।
इसके जवाब में तिलकराम ने कहा, ‘हम दुआ करते हैं कि आप पूरी जिंदगी पीएम रहें’। इसके बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि आप मेरे लिए एक काम करेंगे। आप अपने बच्चों को अच्छी पढ़ाई कराएं और इसकी जानकारी मुझे देते रहें।
कार्यक्रम के दौरान सिद्धार्थनगर के प्रवासी मजदूर कुर्बान अली ने भी प्रधानमंत्री मोदी से बात की और बताया कि मुंबई में राजमिस्त्री का काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन में वापस लौटकर आ गए हैं और अब शौचालय बनाने का काम मिला है। इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि खूब मेहनत करो और आगे बढ़ो।
वहीं संतकबीरनगर के अमरेंद्र कुमार ने भी प्रधानमंत्री मोदी से बात की। उन्होंने बताया कि बैंक से कर्ज लेकर अब वह छोटा सा कारोबार शुरू किए हैं। इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि छोटे से शुरुआत करने वाले लोग ही आगे बढ़ते हैं, जिन्हें विरासत में मिलता है वे लुढ़क जाते हैं। मेहनत से ही जिंदगी आगे बढ़ती है।
कुल मिलाकर कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना संकट के दौर में भी उत्तर प्रदेश जैसे विशाल और सघन आबादी वाले राज्य को योगी सरकार ने जिस तरह से संभाला है, वो ध्यान खींचने वाला है। प्रदेश सरकार ने न केवल कोरोना से बचाव की दिशा में बेहतर काम किया है और संक्रमण को नियंत्रित रखा है, बल्कि इस आपदा से उपजी परिस्थितियों को अवसर में तब्दील करने की दिशा में भी पूरी सूझबूझ और योजनाबद्धता के साथ काम कर रही है। यही कारण है कि राज्य के प्रयासों की सराहना प्रधानमंत्री भी कर रहे हैं।
(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)