अपना नाम, पहचान छुपाकर किसी से शादी करना, उसपर धर्म बदलने का दबाव बनाना या उसकी देह का सौदा करना और उससे व्यभिचार के बाद उसकी हत्या कर देना मानवता को शर्मसार करने जैसा अपराध है। लव जिहाद के अंतर्गत ऐसे ही अपराधों को अंजाम दिया जाता है। ऐसे में यदि इसके खिलाफ राज्य सरकारें अब प्रस्ताव लाकर कानून बना रही हैं तो यह स्वागत योग्य निर्णय है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाकर बताया है।
लव जिहाद बड़ा अजीब शब्द है। इसमें प्रेम भी है और जिहाद भी। लेकिन यह तय करना कठिन है कि इसमें प्राथमिकता पर क्या है। मज़हब की तथाकथित मजबूती के लिए ‘लव’ यानी प्रेम को हथियार की तरह इस्तेमाल करने के कारण इसे ‘लव जिहाद’ नाम दिया गया है।
यहां ध्यान देने योग्य यह बात है कि मज़हब विशेष के युवक अपना नाम, पहचान सब छुपाकर हिंदू युवतियों को फुसलाते हैं, उन्हें विवाह का झांसा देकर या तो उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया जाता है या विवाह के बाद उनका कहीं सौदा कर दिया जाता है, बलपूर्वक धर्मांतरण किया जाता है और कई मामलों में तो नृशंस हत्या तक की घटनाएं सामने आई हैं। चूंकि तीन चार मामले ऐसे होते तो संयोग हो सकता था, कहीं क्षेत्र विशेष के होते तो संयोग हो सकता था लेकिन धीरे-धीरे पता चला कि पूरे देश भर में ऐसा हो रहा है।
सभी राज्यों से ऐसी घटनाओं की सूचनाएं सामने आ रही हैं। अब तय हो गया है कि यह एक प्रायोजित अपराध है और इस अपराध के लिए विधिवत रूप से शोहदे तैयार किए जाते हैं। एक तरफ जहां इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ धर्म निरपेक्षता का ढोल पीटने वाला वर्ग आंखें मूंदकर इसलिए बैठा है क्योंकि इसके तहत कहीं ना कहीं उनका कोई एजेंडा पूरा हो रहा है।
अपना नाम, पहचान छुपाकर किसी से शादी करना, उसपर धर्म बदलने का दबाव बनाना या उसकी देह का सौदा करना और उससे व्यभिचार के बाद उसकी हत्या कर देना मानवता को शर्मसार करने जैसा अपराध है। लव जिहाद के अंतर्गत ऐसे ही अपराधों को अंजाम दिया जाता है। ऐसे में यदि इसके खिलाफ राज्य सरकारें अब प्रस्ताव लाकर कानून बना रही हैं तो यह स्वागत योग्य निर्णय है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सरकारों ने यह महत्वपूर्ण कदम उठाकर बताया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अध्यादेश के जरिये लव जिहाद के विरुद्ध अध्यादेश लाई है। अध्यादेश को मंजूरी मिलने के साथ ही यह लागू हो चुका है। हालांकि न्यायपालिका का सहारा लेकर और संविधान का हवाला देकर इस प्रकार की दुहाई भी कतिपय तत्वों ने दी है कि प्रेम एवं विवाह दो वयस्कों का निजी मामला है, उन्हें अपना जीवनसाथी चुनने का अधिकार है।
लेकिन उनके पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है कि विवाह के लिए पहचान छुपाना और बाद में धर्म परिवर्तन करा लेना क्यों जरूरी है। ऐसा क्यों है कि जीवनसाथी चुनने के बाद हमेशा एक ही पक्ष को अपना धर्म छोड़ना होगा। युवती ही क्यों धर्म बदलेगी, युवक अपना धर्म क्यों नहीं बदल सकता।
लेकिन चूंकि यह तार्किक और अस्तित्वगत बात है, इसलिए कुतर्क करने वाले और बेतुकी दलीलें देने वाले इन बातों पर बगले झाँकने लगते हैं। इस कानून के पक्ष में भी बड़ी संख्या में लोग आए हैं और उनका कहना है कि गैर मुस्लिम लड़कियों को प्रेम और शादी के जाल में फंसाकर उनका धर्म परिवर्तन धड़ल्ले से किया जा रहा है। ऐसे में कानून बनाने से इस पर लगाम तो लगेगी ही। इसमें भी बचाव की पतली गली खोजनों वालों का मानसिक स्तर निश्चित ही विकृत होगा।
साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार ने सख्त कानून बनाकर धर्मांतरण करने के आरोपियों को 10 साल की कैद का प्रावधान कर दिया है। इन मामलों में यदि कोई संगठन लिप्त पाया जाता है तो उसका भी पंजीयन निरस्त कर दिया जाएगा। खास बात यह है कि यह अपराध गैर जमानती होगा।
मध्य प्रदेश में भी ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने की पूरी तैयारी हो चुकी है। यहां बनाए जाने वाले कानून के आरंभिक मसौदे पर गृह विभाग ने संशोधन के बाद अंतिम रूप दे दिया है। इसके बाद अब यहां धोखा देकर विवाह करने और धर्मांतरण कराने के आरोपियों को 5 से बढ़ाकर 10 साल की सजा का प्रावधान कर दिया गया है। यदि धर्मांतरण प्रशासन को बताए बिना, आवेदन दिए बिना कराया जाता है तो संबंधित धर्मगुरु, काजी, मौलवी, पादरी को भी 5 साल का कारावास होगा।
इसके अलावा भी कानून में अनेक कड़े प्रविधान किए गए हैं। शिवराज सरकार लव जिहाद पर अध्यादेश लाने के बजाय विधानसभा में विधेयक लाना चाहती है। अगले माह विधानसभा का सत्र है। उसमें लव जिहाद से जुड़ा विधेयक पारित होना है। इसे देखते हुए सरकार कानून बनाने में तेजी दिखा रही है।
इसके अलावा उत्तराखंड और हरियाणा में भी सरकारें लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की तैयारी में हैं। इस कवायद के बीच एक स्वर यह भी उभरकर सामने आया कि इस तरह का कानून उन्हीं राज्यों में बन रहा है जो भाजपा शासित प्रदेश हैं। यदि ऐसा है तो यह लव जिहाद जैसे अपराध के प्रति भाजपा सरकारों की गंभीरता को ही दिखाता है और इससे अन्य राज्य सरकारों को भी प्रेरणा लेनी चाहिए।
वास्तव में धर्म परिवर्तन मात्र अपने आप में एक बुराई है। एक अपराध है। तो इसके खिलाफ यदि स्वर उठते हैं तो उसका तो सदा स्वागत होना चाहिये। यदि सरकारें अब सख्ती कर रही हैं तो इससे अच्छा क्या हो सकता है। लेकिन तथाकथित सेक्युलर-लिबरल ब्रिगेड बेवजह गंगा जमुनी तहजीब की दुहाई दिए चले जा रहे हैं और अपना खेल बिगड़ता देख विरोध पर उतर आए हैं।
भारत में धर्मनिरपेक्षता का अपनी सहूलियत के अनुसार अपने मंसूबे पूरे करने के लिए गलत लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता रहा है। ये ही लोग जब-तब संविधान का हवाला देते हैं और धार्मिक स्वतंत्रता की बात करते हैं।
लव जिहाद के खिलाफ राज्य सरकारें कानून बना रही हैं, यह एक सही संकेत है। यह एक सामाजिक सुधार और संरक्षण का संकेत है। उम्मीद कर सकते हैं कि अब लव जिहाद चलाने वाले अपराधी सींखचों के पीछे नज़र आएंगे और इस अपराध पर इसी तरह क्रमिक रूप से धीरे-धीरे अंकुश लग जाएगा।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)