काशी-महाकाल एक्सप्रेस मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के बीच चलेगी। इसका रूट वाराणसी से लखनऊ और इलाहाबाद के रूट से होता हुआ इंदौर तक आएगा। इस ट्रेन को चलाने का ध्येय देश के ज्योर्तिलिंगों को आपस में जोड़ना है। अपनी यात्रा के दौरान यह ट्रेन तीन ज्योर्तिलिंगों को जोड़ेगी, जिनमें वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ, उज्जैन स्थित महाकालेश्वर और इंदौर के निकट ओंकारेश्वर शामिल हैं।
भारतीय रेलवे के खाते में रविवार को एक और उपलब्धि जुड़ गई। धार्मिक पर्यटन की दिशा में एक महत्वपूर्ण ट्रेन का आरंभ हुआ है जो दो प्रदेशों को आपस में जोड़ेगी। इस ट्रेन का नाम काशी-महाकाल एक्सप्रेस है। आज रविवार को स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिये इस ट्रेन का हरी झंडी दिखाकर उद्घाटन किया है।
अन्य विशेष धार्मिक ट्रेनों की तरह यह ट्रेन भी पूरी तरह से वातानुकूलित है, जिसके सारे कोच एसी कोच हैं। आगामी 20 फरवरी से यह नियमित रूप से संचालित होगी। यहां इस तथ्य का उल्लेख करना आवश्यक है कि यह देश की तीसरी कॉर्पोरेट ट्रेन है। पिछली बार तेजस कार्पोरेट ट्रेन पटरी पर आई थी। तेजस की तरह यह भी आईआरसीटीसी (इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कार्पोरेशन) द्वारा ही संचालित व नियंत्रित की जाएगी।
काशी-महाकाल एक्सप्रेस मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के बीच चलेगी। इसका रूट वाराणसी से लखनऊ और इलाहाबाद के रूट से होता हुआ इंदौर तक आएगा। इस ट्रेन को चलाने का ध्येय देश के ज्योर्तिलिंगों को आपस में जोड़ना है। अपनी यात्रा के दौरान यह ट्रेन तीन ज्योर्तिलिंगों को जोड़ेगी, जिनमें वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ, उज्जैन स्थित महाकालेश्वर और इंदौर के निकट ओंकारेश्वर शामिल हैं।
अपने नियमित संचालन के अलावा यह ट्रेन सप्ताह में दो दिन लखनऊ एवं एक दिन प्रयागराज से भी होकर चलेगी। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका विधिवत शुभारंभ कर दिया है। उनके साथ कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद थे।
ज्ञात हो कि करीब डेढ़ साल पहले भी रामायण एक्सप्रेस नाम की एक विशेष ट्रेन का आरंभ किया गया था जिसके कोच के भीतर एवं बाहर श्रीराम के जीवन के मुख्य प्रसंगों का चित्रण था। यह बहुत प्रसन्नता की बात है कि भारतीय रेलवे के सहयोग से इस प्रकार की विशेष ट्रेनें सामने आ रही हैं जो कि समाज में देश की सांस्कृतिक एवं धार्मिक भावना को बल देने वाली हैं। उक्त ट्रेन भी इसी श्रृंखला में नवाचार है जो कि उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश जैसे दो हिंदी भाषी राज्यों को आपस में जोड़ेगी एवं दोनों राज्यों के बीच सांस्कृतिक तालमेल को बनाए रखने में अपनी अहम भूमिका का निर्वाह करेगी।
काशी-महाकाल ट्रेन की विशेषता यह है कि यह पूर्ण रूप से शाकाहारी भोजन उपलब्ध कराने वाली ट्रेन रहेगी। सामान्य तौर पर ट्रेनों में नॉनवेज भी भोजन के मीनू में शामिल रहता है लेकिन तीर्थ की दृष्टि से महत्वपूर्ण इस ट्रेन में धार्मिक भावनाओं का पूरा ध्यान रखा गया है। प्रत्येक कोच में सुरक्षाकर्मी तैनात होंगे। हाउसकीपिंग सहित बेडरोल की पूर्ण व्यवस्था होगी। यदि किसी कारण से ट्रेन निरस्त कर दी जाती है तो कंफर्म टिकट एवं प्रतीक्षा सूची के यात्रियों को उनके टिकट की पूरी राशि लौटाई जाएगी। ऑटोमेटिक फुल रिफंड की सुविधा इसमें लागू है।
तयशुदा रूट के अलावा इसमें अन्य रूट के टूर का भी पैकेज शामिल रहेगा। इतना ही नहीं, स्टेशनों पर आरक्षण चार्ट बनने के बाद भी ट्रेन रवाना होने के पांच मिनट पहले तक रहेगा। जाहिर है, रेलवे के माध्यम से देश की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान से लोगों को जोड़ने का कार्य यह सरकार शानदार ढंग से कर रही है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)