बैंकों से ऋण मिलने की प्रक्रिया जटिल और लंबी होती है। ऐसे में देश भर के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों को केंद्र सरकार ने बड़ी राहत देते हुए यह व्यवस्था तय की है कि अब उन्हें एक करोड़ रुपए तक की राशि का ऋण महज 59 मिनट में मिल जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पानीपत में आयोजित एक कार्यक्रम में इस योजना की शुरुआत की और सम्बंधित वेब पोर्टल लांच किया।
किसी भी उद्योग को स्थापित करने, संचालित करने के लिए विशाल पूंजी की आवश्यक्ता होती है। यह पूंजी जुटाने के लिए कारोबारी हमेशा जद्दोजहद में रहते हैं। सक्षम निवेशक तो यह पूँजी जुटा लेते हैं, लेकिन नए या साझेदारी में निवेश करने वालों के सामने कर्ज लेने का ही विकल्प होता है जिसकी प्रक्रियात्मक जटिलताएं उद्यमियों को हतोत्साहित कर देती हैं।
बैंकों से ऋण मिलने की प्रक्रिया जटिल और लंबी होती है। ऐसे में देश भर के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमियों को केंद्र सरकार ने बड़ी राहत देते हुए यह व्यवस्था तय की है कि अब उन्हें एक करोड़ रुपए तक की राशि का ऋण महज 59 मिनट में मिल जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पानीपत में आयोजित एक कार्यक्रम में इस योजना की शुरुआत की और सम्बंधित वेब पोर्टल लांच किया।
59 मिनट का शाब्दिक अर्थ ना लिया जाकर इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि यदि आवेदक अपनी सारी जानकारियां संबंधित पोर्टल पर जाकर दर्ज करता है तो आगे की प्रक्रिया बहुत जल्द संपन्न हो जाएगी और सांकेतिक रूप से इसे एक घंटे में होने वाला काम कहा गया है। पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम में छोटे उद्यमियों के लिए अन्य कई सुविधाओं का भी ऐलान किया। जैसे- इस पोर्टल के तहत लोन आवेदन करने वालों को ऋण राशि की ब्याज दर में 2 फीसदी तक की रियायत मिलेगी। छोटे उद्योगों का संचालन करने वालों को तय समय पर कंपनियों से लोन की राशि दिलवाए जाने की व्यवस्था भी सुनिश्चित की गई है।
वास्तव में इस कवायद का ध्येय सरकार और निवेशकों के बीच सीधे व्यवहार और पारदर्शिता को स्थापित करना तथा देश में उद्यमिता की संस्कृति को प्रोत्साहन देना है। हर साल कस्बों से लेकर शहरों तक में बड़ी संख्या में युवा और बेरोजगार वर्ग स्वरोजगार की दिशा में पैर जमाने का प्रयास करता है। ये लोग कई बार मामूली से सहयोग की नींव पर बड़ा जिम्मा उठाने तक का जोखिम ले लेते हैं। ऐसे में नियमों की जटिलताएं और शासन की अनदेखी व असहयोगी रवैया कई युवाओं के सपने पूरे होने में बाधा बन जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बिंदु को बखूबी समझा है और समय-समय पर नियमों में ढील देने की यथासंभव कोशिश की है।
छोटे व मझोले उद्योगों के लिए उन्होंने श्रम विभाग के नियमित निरीक्षण को भी कम्यूटर से जोड़ दिया है। हालांकि कई औपचारिकताओं से मुक्त करने का उद्देश्य अब निवेशकों के मन में स्वयं दायित्व बोध को स्थापित करना भी है। अभी तक यह होता आया है कि छोटे उद्यमियों को पर्यावरण क्लीयरेंस सर्टिफिकेट के लिए असुविधाओं का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब इस समस्या का समाधान करते हुए सरकार ने प्रावधानों का एकीकरण कर दिया है, जिसके जरिये अब उद्यमी स्वयं ही प्रामाणीकरण से उद्योग का संचालन कर सकेंगे।
निश्चित ही सरकार के इस स्वरोजगार उन्मुखी एवं प्रेरक कदम के बाद उद्यमियों को हिम्मत मिलेगी एवं वे पोर्टल के माध्यम से अपना लोन एप्लाय करके ससमय उद्यम शुरू कर सकेंगे। यह पहला अवसर नहीं है जब मोदी सरकार ने उद्यमियों के लिए रास्ते खोले हैं, इससे पहले भी देश में स्टार्ट-अप संस्कृति को पनपाने और आगे बढ़ाने की पहल स्वयं प्रधानमंत्री मोदी कर चुके हैं। अब छोटे व मझोले उद्योगों के लिए पीएम की नई घोषणाएं प्रेरणा का काम करेंगी।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)